कटिहार: बिहार में नीतीश कुमार सुशासन बाबू कहे जाते हैं. सुशासन का मतलब अच्छा शासन. लेकिन, बिहार में तेजी से बढ़ते अपराध के बीच नीतीश सरकार के सुशासन की पोल खुलती नजर आ रही है. बढ़ते अपराध पर सरकार को आइना दिखाने के लिए ईटीवी भारत की टीम आम लोगों से बात कर रही है. आइए जानते हैं प्रदेश की जनता लॉ एंड ऑर्डर पर क्या बोलती है.
बिहार में क्राइम पर कोई कंट्रोल नहीं
डीजीपी साहेब भले ही पुलिस को यह राय दे रहे हों कि अपराधियों को देखते ही दौड़ाइए, लेकिन उसका कोई असर दिखाई नहीं पड़ता है. तभी तो बिहार में क्राइम पर कोई कंट्रोल नहीं है. बिहार में बढ़ते अपराध को लेकर जनता त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही है. शाम होने से पहले ही यहां अब सन्नाटा छा जाता है. कारोबारी हों या डॉक्टर या फिर इंजीनियर कोई भी बिहार में अब सुरक्षित नहीं है.
क्या बिहार में हो रही है जंगलराज की वापसी?
आज एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं कि क्या बिहार में जंगलराज की वापसी हो रही है? कटिहार में पिछले दिनों डीजीपी का दौरा था. एक तरफ डीजीपी बैठक कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ दुकान में घुसकर कारोबारी पर अपराधियों ने फायरिंग कर दी. वहीं भाजपा नेता को भी अपराधियों ने निशाना बना लिया. 6 जून को पेट्रोल पंप के सामने दिन दहाड़े कैश वैन से 50 लाख रुपये लूट लिए गए. बरारी थाना के जरलाही गांव में रेल की पटरियों के किनारे दो युवकों की लाश क्षत - विक्षत हालत में मिली. यहां क्राइम ही नहीं भ्रष्टाचार भी खूब हो रहा है,ओपी थाने के थानाध्यक्ष रंगे हाथों घूस लेते विजिलेंस की टीम ने पकड़ा.
'अपराध बढ़ गया है साहब'
चैंबर ऑफ कॉमर्स का कहना है कि अब लोग बढ़ते अपराध को लेकर बहुत परेशान हैं.
'हम सुरक्षित नहीं'
छात्राएं अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रही हैं और कह रही हैं की बिहार में अब डर लगता है
'फिर लौटा जंगलराज'
लोग कहने लगे हैं जंगलराज फिर आ गया है. वही पुराना दौर लौट आया है
'सुरक्षा की गारंटी कब'
महिलाएं सीएम नीतीश कुमार से अपनी सुरक्षा की गारंटी मांग रही हैं.
'क्राइम पर रोक लगाएं साहेब'
वहीं बढ़ते अपराध को लेकर कारोबारी प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि बढ़ते क्राइम पर रोक लगाएं
'डीजीपी का रिजल्ट जीरो'
नीतीश कुमार सुशासन के लाख दावे करते हों, बिहार के डीजीपी लाख दौरे करते हों लेकिन रिजल्ट जीरो है..आलम यह है कि अपराध थमने का नाम ही नहीं ले रहा.
बिहार पुलिस का क्राइम रिकॉर्ड
अब अगर बिहार पुलिस के जुलाई तक के क्राइम रिकॉर्ड पर गौर करें तो जुलाई 2019 तक 893 दुष्कर्म की घटना दर्ज की गई है. वहीं 1,853 हत्या के मुकदमे लिखे जा चुके हैं. ऐसे में सवाल जस के तस हैं कि आखिर कब सुरक्षित होंगी बिहार में बेटियां. आखिर कब अपराध मुक्त बनेगा बिहार क्योंकि इतनी घटनाओं के बाद भी अब तक पुलिस प्रशासन की अंतरात्मा नहीं जागी है. तो दूसरी तरफ लोग पूछ रहे हैं कि कहां हैं सुशासन बाबू?