कटिहार: देशभर में हर जगह सीएए, एनआरसी और एनपीआर का विरोध जारी है. इसी कड़ी में कटिहार जिले में भी दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर पिछले 8 दिनों से बलरामपुर प्रखंड के बारसोई बाजार से महिलाएं और बच्चे नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. साथ ही केंद्र सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
'30 करोड़ लोग सड़कों पर भूखे रहते हैं'
जामिया यूनिवर्सिटी की छात्रा मोहम्मद रोजी ने बताया कि देश में सीएए की कोई जरूरत नहीं है. जरूरत है तो जो आज महिलाएं सड़क पर बैठी है उनकी सुरक्षा की, शिक्षा की, बेरोजगारी कम करने की. इस देश में बेरोजगारी इस कदर बढ़ गई है कि करीब 30 करोड़ लोग सड़कों पर भूखे रहते हैं. इसीलिए एनआरसी सीएए और एनपीआर के विरोध में हजारों महिलाएं बैठी हुई हैं. सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग कर रही हैं.
'हमारा संविधान खतरे में है'
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि आज हमारा संविधान खतरे में है. अपने देश और संविधान को बचाने के लिए हजारों महिलाएं और बच्चे सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार लोगों को नए-नए पैंतरे के जरिए परेशान करती रहती है. कभी 370 के नाम पर तो कभी ट्रिपल तलाक के नाम पर, तो कभी बाबरी मस्जिद पर हमारे खिलाफ फैसला सुनाती है. लेकिन आज हमारे संविधान की बात है जब तक केंद्र सरकार इस काले कानून को वापस नहीं लेती तब तक हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा.
'संविधान की हत्या की जा रही है'
स्थानीय बलरामपुर से भाकपा माले विधायक महबूब आलम जो इन प्रदर्शनकारियों के समर्थन में पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि संविधान की हत्या की जा रही है. बाबा साहेब आंबेडकर ने प्रतिज्ञा लिया था कि संविधान में आर्थिक समानता का अधिकार, विचार का अधिकार, पूजा-पाठ का अधिकार और भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश बनाने के संकल्प से छेड़छाड़ किया जा रहा है. इसीलिए संविधान की रक्षा के लिए केंद्र सरकार जो एनआरसी, सीएए कानून लाई है, उसे वापस लेने की मांग करते हैं.
देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी
बता दें कि पिछले एक महीने से एनआरसी और सीएए को लेकर पूरे देश में विरोध जारी है. जगह जगह पर प्रदर्शन किया जा रहा है, जनसभाएं की जा रही है. ताकि केंद्र सरकार इस कानून को वापस ले. लेकिन देश के गृह मंत्री अमित शाह ने साफ इंकार कर दिया है कि इस कानून को वापस नहीं लिया जाएगा. इस कानून से किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी बावजूद लोग सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.