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जान जोखिम में डालकर रेलवे ट्रैक पार करते हैं लोग, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा - फ्लाईओवर की मांग

शॉर्टकट रास्ता अपनाने के चक्कर में लोग जान जोखिम में डाल रहे हैं. कटिहार मनिहारी रेलखंड के आरबीएचएम जूट मिल के समीप लोग जान जोखिम में डाल बाइक, साइकिल, रिक्शा पार करते हैं. वहीं स्थानीय लोग रेलवे पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाया है.

कटिहार
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Published : Oct 27, 2019, 3:20 PM IST

कटिहार: शहर में लोग जानबूझ कर जान जोखिम में डाल कर रेलवे ट्रैक पार कर रहे हैं. गौशाला चौक और शरीफगंज मोहल्ले के लोग मुख्य बाजार पहुंचने के लिए शॉर्टकट रास्ता अपना रहे हैं. इस शॉर्टकट रास्ते से मुख्य बाजार की दूरी महज 2 किलोमीटर रह जाती है. हालांकि शॉर्टकट रास्ता अपनाने के लिए लोग अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं.

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जान जोखिम में डालकर रेल ट्रैक पार करते राहगीर

गौरतलब है कि मनिहारी रेलखंड पर जुट मिल के समीप रेलवे लाइन से लगभग 30 हजार लोग प्रतिदिन क्रॉस कर शहर पहुंचते हैं. रेलवे ट्रैक के पास न तो कोई रेल गुमटी है और ना ही कोई अंडरपास. जिसके कारण लोग जान जोखिम में डाल कर रेलवे ट्रैक को पार करने पर मजबूर हैं. इस तरह पार करने पर जान को खतरा भी रहता है, बावजूद लोग मजबूरी में आवागमन कर रहे हैं.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

रेल अधिकारियों से लगा चुके हैं गुहार
राहगीर बताते हैं कि यह रास्ता शहर के मुख्य बाजार को जोड़ता है. इस रास्ते से मुख्य बाजार की दूरी भी कम हो जाती है. वहीं, दूसरी तरफ से जाने पर लगभग 6-8 किमी की दूरी पड़ती है. वहीं इस रास्ते से मुख्य बाजार की दूरी महज 2 किमी है. राहगीर ने बताया कि स्थानीय लोग रेलवे से पूल निर्माण की मांग कर चुके हैं. स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस संबंध में रेल अधिकारी का ध्यान आकर्षित कर चुके हैं. बावजूद इसके पुल निर्माण नहीं हो सका. मजबूरी में लोग जान जोखिम में डाल कर बाजार पहुंच रहे हैं.

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राहगीर

कॉलेज और मुख्य बाजार पहुंचते हैं राहगीर
वहीं दूसरे राहगीर भोला प्रसाद महतो ने बताया कि मुख्य बाजार पहुंचने के लिए यह शॉर्टकट रास्ता है. इसी रास्ते में शहर के सभी कॉलेज भी हैं. लिहाजा हजारों की संख्या में राहगीर इस रास्ते से गुजरते हैं. उन्होंने बताया कि रेलवे की दोहरी नीति के कारण यहां पर फ्लाईओवर या अंडरपास नहीं बना.

कटिहार: शहर में लोग जानबूझ कर जान जोखिम में डाल कर रेलवे ट्रैक पार कर रहे हैं. गौशाला चौक और शरीफगंज मोहल्ले के लोग मुख्य बाजार पहुंचने के लिए शॉर्टकट रास्ता अपना रहे हैं. इस शॉर्टकट रास्ते से मुख्य बाजार की दूरी महज 2 किलोमीटर रह जाती है. हालांकि शॉर्टकट रास्ता अपनाने के लिए लोग अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं.

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जान जोखिम में डालकर रेल ट्रैक पार करते राहगीर

गौरतलब है कि मनिहारी रेलखंड पर जुट मिल के समीप रेलवे लाइन से लगभग 30 हजार लोग प्रतिदिन क्रॉस कर शहर पहुंचते हैं. रेलवे ट्रैक के पास न तो कोई रेल गुमटी है और ना ही कोई अंडरपास. जिसके कारण लोग जान जोखिम में डाल कर रेलवे ट्रैक को पार करने पर मजबूर हैं. इस तरह पार करने पर जान को खतरा भी रहता है, बावजूद लोग मजबूरी में आवागमन कर रहे हैं.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

रेल अधिकारियों से लगा चुके हैं गुहार
राहगीर बताते हैं कि यह रास्ता शहर के मुख्य बाजार को जोड़ता है. इस रास्ते से मुख्य बाजार की दूरी भी कम हो जाती है. वहीं, दूसरी तरफ से जाने पर लगभग 6-8 किमी की दूरी पड़ती है. वहीं इस रास्ते से मुख्य बाजार की दूरी महज 2 किमी है. राहगीर ने बताया कि स्थानीय लोग रेलवे से पूल निर्माण की मांग कर चुके हैं. स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस संबंध में रेल अधिकारी का ध्यान आकर्षित कर चुके हैं. बावजूद इसके पुल निर्माण नहीं हो सका. मजबूरी में लोग जान जोखिम में डाल कर बाजार पहुंच रहे हैं.

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राहगीर

कॉलेज और मुख्य बाजार पहुंचते हैं राहगीर
वहीं दूसरे राहगीर भोला प्रसाद महतो ने बताया कि मुख्य बाजार पहुंचने के लिए यह शॉर्टकट रास्ता है. इसी रास्ते में शहर के सभी कॉलेज भी हैं. लिहाजा हजारों की संख्या में राहगीर इस रास्ते से गुजरते हैं. उन्होंने बताया कि रेलवे की दोहरी नीति के कारण यहां पर फ्लाईओवर या अंडरपास नहीं बना.

Intro:कटिहार

शॉर्टकट रास्ता अपनाने के चक्कर में लोग जान जोखिम में डाल देते हैं। कटिहार मनिहारी रेलखंड के आरबीएचएम जूट मिल के समीप रेलवे ट्रैक पर जान जोखिम में डाल गाड़ियां, साइकिल, रिक्शा पार करते हैं लोग। स्थानीय लोगों ने रेलवे पर दोहरी नीति का लगाया आरोप।

Body:कटिहार शहर के गौशाला चौक और शरीफगंज मोहल्ले के लोगों को मुख्य बाजार पहुंचने के लिए 6 से 8 किलोमीटर की दूरी पड़ती है लेकिन लोग रेलवे लाइन क्रॉस कर उस दूरी को महज 2 किलोमीटर कर देते हैं। लोग शॉर्टकट रास्ता अपनाने के लिए अपना जान जोखिम में डाल देते हैं।

कटिहार मनिहारी रेलखंड पर जुट मिल के समीप रेलवे लाइन से लगभग 30 हजार लोग प्रतिदिन क्रॉस करते हैं और शहर को पहुंचते हैं। रेलवे ट्रैक के पास न तो कोई रेल गुमटी है और न ही कोई अंडरपास जिससे लोग आसानी से पार कर सके लिहाजा लोग रेलवे ट्रैक से ही बड़ी कड़ी मशक्कत से पार करते हैं। इस तरह पार करने पर जान को खतरा भी रहता है बावजूद लोग मजबूरी में आवागमन कर रहे हैं।

राहगीर पवन कुमार सिंह बताते हैं यह रास्ता शहर के मुख्य बाजार को जोड़ता है। मुख्य बाजार का दूरी भी कम हो जाता है वही घूमकर जाने में लगभग 6-8 किमी की दूरी पड़ती है वहीं इस रास्ते से महज 2 किमी की दूरी पर मुख्य बाजार है। इन्होंने बताया लोगों के द्वारा रेलवे से पूल निर्माण के लिए कई बार कहा गया। स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस बाबत रेल अधिकारी का ध्यान आकर्षित किया बावजूद पूल निर्माण नहीं हो सका और लोग जान जोखिम में डाल कर बाजार पहुंच रहे हैं।

Conclusion:वहीं राहगीर भोला प्रसाद महतो बताते हैं मुख्य बाजार पहुंचने के लिए शॉर्टकट रास्ता है। इसी रास्ते में शहर के सभी कॉलेज भी हैं लिहाजा हजारों की संख्या में राहगीर इस रास्ते से आवागमन करते हैं। उन्होंने बताया रेलवे की दोहरी नीति के कारण यहां पर फ्लाईओवर या अंडरपास नहीं बना। कई बार यहां के स्थानीय सांसद और जनप्रतिनिधियों ने रेल प्रशासन से आग्रह किया बावजूद रेलवे गहरी नींद में सो रही है और बड़े हादसे का इंतजार कर रही है।
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