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कटिहार: आजादी के 73 साल बाद भी सुविधाओं से वंचित हैं आदिवासी समुदाय के लोग - प्रखंड विकास पदाधिकारी दीना मुर्मू

स्थानीय युवक बताते हैं कि गांव में सड़क नहीं होने के कारण पगडंडियों के सहारे आवागमन करना पड़ता है. कई बार स्थानीय बीजेपी विधायक तार किशोर प्रसाद को लिखित आवेदन दिया गया, लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया.

कटिहार
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Published : Aug 9, 2020, 3:57 PM IST

कटिहार: आजादी के 73 साल बाद भी देश के मूल निवासी आदिवासी समुदाय मूलभूत सुविधा और विकास से पूरी तरह वंचित है. जिले के सौंसा गांव में जाने के लिए आजतक कोई सड़क नहीं बनी है. ये गांव चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है. पगडंडी के सहारे लोग आवागमन करने को मजबूर है. किसी के बीमार पड़ने पर खटिया के सहारे उसे इलाज के अस्पताल पहुंचाया जाता है.

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पगडंडियों के सहारे आवागमन करते लोग

73 साल बाद भी नहीं बनी सड़क
आगामी 15 अगस्त 20 को देश की आजादी के 74 साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार जो दावा करती है कि देश में विकास हो रहा है और सभी वर्ग के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है. लेकिन आज भी कटिहार जिले में देश के मूल निवासी कहे जाने वाले आदिवासी समुदाय विकास की रौशनी से कोसो दूर है. दरअसल, जिले के हसनगंज प्रखंड क्षेत्र के सोंसा गांव जो पूर्ण रूप से आदिवासी बहुल गांव है. यहां की आबादी लगभग 300 के करीब है, लेकिन इस गांव की स्थिति यह है कि इस गांव को जोड़ने के लिए कोई भी मुख्य सड़क तक नहीं है. यह गांव चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है.

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पानी के बीच मरीज को ले जाते लोग

मरीज रास्ते में तोड़ देते हैं दम
इस गांव में सरकार की योजनाओं का लाभ इन आदिवासियों को नहीं मिल पा रहा है. ग्रामीणों को न तो शौचालय का लाभ मिला है न ही आवास योजना का और न ही लोगों को सही से राशन और बिजली मिल पाती है. वहीं बरसात के दिनों में यहां के लोगों की परेशानी और बढ़ जाती है. पानी से घिरे इस गांव के लोगों को बाहर आने के लिए नाव से आवागमन करना पड़ता है, लेकिन सरकार की ओर से नाव की भी व्यवस्था की गई है. जिससे लोग गांव से बाहर निकल सकें. जब किसी की तबीयत खराब होती है, तो इस गांव के लोग 3 किलोमीटर तक खटिया पर लादकर मरीज को अस्पताल पहुंचाते हैं. यहां तक की सड़क नहीं होने के कारण कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं.

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आदिवासी समुदाय के लोग

'किसी स्थानीय जनप्रतिनिधि ने नहीं दिया ध्यान'
स्थानीय आदिवासी महिलाएं बताती हैं कि देश की आजादी के पहले से ही यह गांव बसा हुआ है, लेकिन आज भी यहां सड़क नहीं बना है. इस कारण हम लोगों को आने जाने में काफी परेशानी होती है. रास्ता नहीं होने के कारण मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देता हैं. महिलाओं ने बताया कि गांव के चारों ओर पानी भरा हुआ है. लेकिन फिर भी सरकार की ओर से नाव की व्यवस्था नहीं की गई है. खाने पीने को लेकर भी समस्याएं है. वहीं स्थानीय युवक बताते हैं कि गांव में सड़क नहीं होने के कारण पगडंडियों के सहारे आवागमन करना पड़ता है. कई बार स्थानीय बीजेपी विधायक तार किशोर प्रसाद को लिखित आवेदन दिया गया, लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया.

देखें पूरी रिपोर्ट

'जल्द करवाया जाएगा सड़क निर्माण'
वहीं हसनगंज प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी दीना मुर्मू ने बताया कि हमें ईटीवी भारत के माध्यम से यह जानकारी मिल रही है कि सोंसा गांव जो आदिवासी बहुल क्षेत्र है और उस गांव के ग्रामीण विकास से पूरी तरह वंचित है. हम जांच करवा रहे हैं. जांच के बाद वहां पर लोगों को आने-जाने के लिए सड़क का निर्माण जल्द ही करवाया जाएगा. उन्होंने बताया कि स्थानीय जनप्रतिनिधि से संपर्क किया है, तो यह बात सामने आ रही है कि वह इलाका दो प्रखंड क्षेत्र का सीमा है और उस गांव का कुछ क्षेत्र दूसरे प्रखंड में पड़ता है. इस कारण यहां पर काम नहीं किया गया है. फिर भी बरसात के दिन खत्म होते हीं उस गांव में सड़क का निर्माण किया जाएगा.

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जंगल के रास्ते जाते लोग

कटिहार: आजादी के 73 साल बाद भी देश के मूल निवासी आदिवासी समुदाय मूलभूत सुविधा और विकास से पूरी तरह वंचित है. जिले के सौंसा गांव में जाने के लिए आजतक कोई सड़क नहीं बनी है. ये गांव चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है. पगडंडी के सहारे लोग आवागमन करने को मजबूर है. किसी के बीमार पड़ने पर खटिया के सहारे उसे इलाज के अस्पताल पहुंचाया जाता है.

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पगडंडियों के सहारे आवागमन करते लोग

73 साल बाद भी नहीं बनी सड़क
आगामी 15 अगस्त 20 को देश की आजादी के 74 साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार जो दावा करती है कि देश में विकास हो रहा है और सभी वर्ग के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है. लेकिन आज भी कटिहार जिले में देश के मूल निवासी कहे जाने वाले आदिवासी समुदाय विकास की रौशनी से कोसो दूर है. दरअसल, जिले के हसनगंज प्रखंड क्षेत्र के सोंसा गांव जो पूर्ण रूप से आदिवासी बहुल गांव है. यहां की आबादी लगभग 300 के करीब है, लेकिन इस गांव की स्थिति यह है कि इस गांव को जोड़ने के लिए कोई भी मुख्य सड़क तक नहीं है. यह गांव चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है.

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पानी के बीच मरीज को ले जाते लोग

मरीज रास्ते में तोड़ देते हैं दम
इस गांव में सरकार की योजनाओं का लाभ इन आदिवासियों को नहीं मिल पा रहा है. ग्रामीणों को न तो शौचालय का लाभ मिला है न ही आवास योजना का और न ही लोगों को सही से राशन और बिजली मिल पाती है. वहीं बरसात के दिनों में यहां के लोगों की परेशानी और बढ़ जाती है. पानी से घिरे इस गांव के लोगों को बाहर आने के लिए नाव से आवागमन करना पड़ता है, लेकिन सरकार की ओर से नाव की भी व्यवस्था की गई है. जिससे लोग गांव से बाहर निकल सकें. जब किसी की तबीयत खराब होती है, तो इस गांव के लोग 3 किलोमीटर तक खटिया पर लादकर मरीज को अस्पताल पहुंचाते हैं. यहां तक की सड़क नहीं होने के कारण कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं.

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आदिवासी समुदाय के लोग

'किसी स्थानीय जनप्रतिनिधि ने नहीं दिया ध्यान'
स्थानीय आदिवासी महिलाएं बताती हैं कि देश की आजादी के पहले से ही यह गांव बसा हुआ है, लेकिन आज भी यहां सड़क नहीं बना है. इस कारण हम लोगों को आने जाने में काफी परेशानी होती है. रास्ता नहीं होने के कारण मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देता हैं. महिलाओं ने बताया कि गांव के चारों ओर पानी भरा हुआ है. लेकिन फिर भी सरकार की ओर से नाव की व्यवस्था नहीं की गई है. खाने पीने को लेकर भी समस्याएं है. वहीं स्थानीय युवक बताते हैं कि गांव में सड़क नहीं होने के कारण पगडंडियों के सहारे आवागमन करना पड़ता है. कई बार स्थानीय बीजेपी विधायक तार किशोर प्रसाद को लिखित आवेदन दिया गया, लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया.

देखें पूरी रिपोर्ट

'जल्द करवाया जाएगा सड़क निर्माण'
वहीं हसनगंज प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी दीना मुर्मू ने बताया कि हमें ईटीवी भारत के माध्यम से यह जानकारी मिल रही है कि सोंसा गांव जो आदिवासी बहुल क्षेत्र है और उस गांव के ग्रामीण विकास से पूरी तरह वंचित है. हम जांच करवा रहे हैं. जांच के बाद वहां पर लोगों को आने-जाने के लिए सड़क का निर्माण जल्द ही करवाया जाएगा. उन्होंने बताया कि स्थानीय जनप्रतिनिधि से संपर्क किया है, तो यह बात सामने आ रही है कि वह इलाका दो प्रखंड क्षेत्र का सीमा है और उस गांव का कुछ क्षेत्र दूसरे प्रखंड में पड़ता है. इस कारण यहां पर काम नहीं किया गया है. फिर भी बरसात के दिन खत्म होते हीं उस गांव में सड़क का निर्माण किया जाएगा.

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जंगल के रास्ते जाते लोग
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