कटिहार: चारों ओर से नदियों से घिरे कटिहार में हर साल बारिश और बाढ़ की वजह से भारी तबाही मचती है. बाढ़ के दौरान जान माल का काफी नुकसान होता है. बाढ़ के कारण लाखों लोग प्रभावित होते हैं. जिन्हे सरकारी मदद पाने के लिए काफी जद्दोजहद करना पड़ता है. इस साल जिले में बाढ़ आने की संभावना जतायी जा रही है और संभावित बाढ़ से बचने के लिए लोग अभी से ही अपनी तैयारी कर रहे हैं. स्थानीय लोग बाढ़ से बचने के लिए अपने स्तर से नाव के निर्माण में जुट गये हैं.
नाव निर्माण में लगे स्थानीय
बता दें कि जिले का बरारी प्रखंड, मनसाही, मनिहारी, अमदाबाद, प्राणपुर, कदवा, आजमनगर, बलरामपुर, फलका बाढ़ प्रभावित इलाका है. इस इलाके में बाढ़ की वजह से काफी तबाही मचती है. इस इलाके के लाखों लोग प्रभावित होते हैं और अपनी सुरक्षा के लिए ऊंचे स्थान, बांध या रेलवे ट्रैक के किनारे शरण लेने को मजबूर हो जाते हैं. बाढ़ पीड़ितों के लिए जिला प्रशासन की ओर से सरकारी नाव की व्यवस्था कराई जाती है. लेकिन यह सरकारी नाव बाढ़ पीड़ितों के लिए कम पड़ जाती है. यही वजह है कि बाढ़ से पहले जिले के कई प्रखंड क्षेत्र में लोग बाढ़ से बचने के लिए खुद नाव निर्माण करते हैं ताकि आपातकालीन स्थिति में नाव के जरिए सुरक्षित स्थान पर पहुंच सके.
एहतियातन के तौर पर बना रहे नाव
जानकारी के मुताबिक फिलहाल जिले में बाढ़ जैसी कोई स्थिति नहीं है. लेकिन एहतियातन के तौर पर लोग नाव बनाने में जुटे हुए हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर लोग इस नाव का इस्तेमाल कर सकें. मुख्य रूप से नाव का प्रयोग ग्रामीण पशु का चारा लाने के लिए किया जाता है. बाढ़ ग्रसित इलाके में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए एकमात्र सहारा नाव रहता है. इसलिए इन इलाकों में लोग आवागमन बहाल रहे इसके लिए खुद का नाव बनाकर उपयोग करते हैं. लोगों की माने तो एक नाव बनाने में करीब देढ़ लाख रुपये खर्च होते हैं और बाढ़ के दौरान नाव लोगों के लिए वरदान साबित होती है. लोगों की माने तो बाढ़ प्रभावित इलाके में निजी स्तर पर अपना नाव बनाकर रखते हैं.