कटिहारः जिले में महानंदा नदी ने जमकर तबाही मचायी. बाढ़ की पानी ने किसानों के धान का फसल बर्बाद कर दिया. हालांकि जल्द ही पानी निकले के बाद किसान फिर से धान की रोपनी कर रहे हैं. पुरे जिले में जिले के किसान युद्धस्तर पर खेतों में धान की फसल लगा रहे हैं. किसानों के इस हौसले से जिला कृषि पदाधिकारी काफी खुश हैं. विभाग का मानना है कि लक्ष्य को लगभग पुरा कर लिया गया है.
महानंदा नदी ने जिले में मचाई थी तबाही
गौरतलब है कि बीते महीने कटिहार जिले में महानंदा नदी की पानी ने इलाके में भारी तबाही मचायी थी. बाढ़ का पानी लोगों के घर में घुसने के साथ-साथ खेतों में लगे फसलों को नुकसान पहुंचाया था. जिले के उंचे इलाकों से पानी मात्र एक सप्ताह में उतर गया था. हालांकि खेतों में ज्यादा दिन पानी रहने के कारण धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा.
73 की जगह 71 हेक्टेयर में धान की रोपनी
जिला कृषि पदाधिकारी चन्द्रदेव प्रसाद ने बताया कि विभाग की तरफ से 73 हजार हेक्टेयर धान रोपनी का लक्ष्य था. बाढ़ के कारण खेती प्रभावित हुई थी. हालांकि जिले के किसानों ने 71 हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन पर दोबारा धान की रोपनी पुरी कर ली गई है. किसानों ने सीमावर्ती इलाके और पश्चिम बंगाल के बाजारों से धान के बीचड़े लाकर फसल लगाये हैं. किसानों के हौसले के कारण बाढ़ के बाद भी धान की रोपनी पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा है.
समय पर किसानों को मिले मदद
प्राकृतिक आपदा पीड़ित इलाके के किसानों के बाढ़ से कमर टूटने के बाद भी इससे उबरने की कोशिश कर रहे हैं. मुआवजे में सरकारी लेट-लतीफी के बाद भी कटिहार के किसानों की मेहनत रंग ला रही है. जिले में धान की रोपनी का लक्ष्य लगभग पुरा कर लिया गया है. किसानों के जज्बे को सरकारी अधिकारी भी सलाम कर रहे हैं. हालांकि किसानों को समय पर सरकारी मदद की आस है.