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बाढ़ का पानी कम होने के बाद किसान युद्धस्तर पर कर रहे धान की रोपनी - mahananda river in katihar

जिले में बाढ़ के बाद किसान युद्धस्तर पर धान की रोपनी कर रहे हैं. कृषि विभाग की तरफ से रखे गए लक्ष्य 73 की जगह 71 हेक्टेयर में धान की रोपनी पुरी हो चुकी है.

कटिहार में धान की रोपनी
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Published : Aug 31, 2019, 3:25 PM IST

Updated : Aug 31, 2019, 4:11 PM IST

कटिहारः जिले में महानंदा नदी ने जमकर तबाही मचायी. बाढ़ की पानी ने किसानों के धान का फसल बर्बाद कर दिया. हालांकि जल्द ही पानी निकले के बाद किसान फिर से धान की रोपनी कर रहे हैं. पुरे जिले में जिले के किसान युद्धस्तर पर खेतों में धान की फसल लगा रहे हैं. किसानों के इस हौसले से जिला कृषि पदाधिकारी काफी खुश हैं. विभाग का मानना है कि लक्ष्य को लगभग पुरा कर लिया गया है.

farming of paddy
धान की रोपणी करती महिलाएं

महानंदा नदी ने जिले में मचाई थी तबाही
गौरतलब है कि बीते महीने कटिहार जिले में महानंदा नदी की पानी ने इलाके में भारी तबाही मचायी थी. बाढ़ का पानी लोगों के घर में घुसने के साथ-साथ खेतों में लगे फसलों को नुकसान पहुंचाया था. जिले के उंचे इलाकों से पानी मात्र एक सप्ताह में उतर गया था. हालांकि खेतों में ज्यादा दिन पानी रहने के कारण धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा.

katihar agriculture officer chandradev prasad
जिला कृषि पदाधिकारी चन्द्रदेव प्रसाद

73 की जगह 71 हेक्टेयर में धान की रोपनी
जिला कृषि पदाधिकारी चन्द्रदेव प्रसाद ने बताया कि विभाग की तरफ से 73 हजार हेक्टेयर धान रोपनी का लक्ष्य था. बाढ़ के कारण खेती प्रभावित हुई थी. हालांकि जिले के किसानों ने 71 हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन पर दोबारा धान की रोपनी पुरी कर ली गई है. किसानों ने सीमावर्ती इलाके और पश्चिम बंगाल के बाजारों से धान के बीचड़े लाकर फसल लगाये हैं. किसानों के हौसले के कारण बाढ़ के बाद भी धान की रोपनी पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा है.

कटिहार में किसानें के हौसले से खुश कृषि पदाधिकारी

समय पर किसानों को मिले मदद
प्राकृतिक आपदा पीड़ित इलाके के किसानों के बाढ़ से कमर टूटने के बाद भी इससे उबरने की कोशिश कर रहे हैं. मुआवजे में सरकारी लेट-लतीफी के बाद भी कटिहार के किसानों की मेहनत रंग ला रही है. जिले में धान की रोपनी का लक्ष्य लगभग पुरा कर लिया गया है. किसानों के जज्बे को सरकारी अधिकारी भी सलाम कर रहे हैं. हालांकि किसानों को समय पर सरकारी मदद की आस है.

कटिहारः जिले में महानंदा नदी ने जमकर तबाही मचायी. बाढ़ की पानी ने किसानों के धान का फसल बर्बाद कर दिया. हालांकि जल्द ही पानी निकले के बाद किसान फिर से धान की रोपनी कर रहे हैं. पुरे जिले में जिले के किसान युद्धस्तर पर खेतों में धान की फसल लगा रहे हैं. किसानों के इस हौसले से जिला कृषि पदाधिकारी काफी खुश हैं. विभाग का मानना है कि लक्ष्य को लगभग पुरा कर लिया गया है.

farming of paddy
धान की रोपणी करती महिलाएं

महानंदा नदी ने जिले में मचाई थी तबाही
गौरतलब है कि बीते महीने कटिहार जिले में महानंदा नदी की पानी ने इलाके में भारी तबाही मचायी थी. बाढ़ का पानी लोगों के घर में घुसने के साथ-साथ खेतों में लगे फसलों को नुकसान पहुंचाया था. जिले के उंचे इलाकों से पानी मात्र एक सप्ताह में उतर गया था. हालांकि खेतों में ज्यादा दिन पानी रहने के कारण धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा.

katihar agriculture officer chandradev prasad
जिला कृषि पदाधिकारी चन्द्रदेव प्रसाद

73 की जगह 71 हेक्टेयर में धान की रोपनी
जिला कृषि पदाधिकारी चन्द्रदेव प्रसाद ने बताया कि विभाग की तरफ से 73 हजार हेक्टेयर धान रोपनी का लक्ष्य था. बाढ़ के कारण खेती प्रभावित हुई थी. हालांकि जिले के किसानों ने 71 हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन पर दोबारा धान की रोपनी पुरी कर ली गई है. किसानों ने सीमावर्ती इलाके और पश्चिम बंगाल के बाजारों से धान के बीचड़े लाकर फसल लगाये हैं. किसानों के हौसले के कारण बाढ़ के बाद भी धान की रोपनी पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा है.

कटिहार में किसानें के हौसले से खुश कृषि पदाधिकारी

समय पर किसानों को मिले मदद
प्राकृतिक आपदा पीड़ित इलाके के किसानों के बाढ़ से कमर टूटने के बाद भी इससे उबरने की कोशिश कर रहे हैं. मुआवजे में सरकारी लेट-लतीफी के बाद भी कटिहार के किसानों की मेहनत रंग ला रही है. जिले में धान की रोपनी का लक्ष्य लगभग पुरा कर लिया गया है. किसानों के जज्बे को सरकारी अधिकारी भी सलाम कर रहे हैं. हालांकि किसानों को समय पर सरकारी मदद की आस है.

Intro:.......कुदरत पर भारी पड़ी किसानी.....। जिस खेतों में सैलाब के थपेड़ों ने किसानों के धान के पौधे को तबाह कर डाला था , पौधे के जड़ों में पानी लग जाने की वजह से पौधे गल गये थे .....उसी खेतों में किसानों ने खेतों से पानी निकलने के बाद दोबारा उसी सैलाबजदा इलाके के किसानों ने दोबारा से इस कदर धानरोपनी किया कि यह जिला कृषि विभाग के लक्ष्य को छू लिया .....। किसानों के इस जज्बे से जिला कृषि विभाग खुश हैं .....। खास बात यह हैं कि युद्धस्तर पर हुए धानरोपनी में किसान समीप के पश्चिम बंगाल के बाजारों से भी बीज लाकर धान के पौधे लगाये......।


Body:दरअसल , बीते महीने कटिहार जिले में महानंदा नदी के पानी ने इलाके में भारी तबाही मचायी ....। लोगों के घरों से लेकर किसानों के खेत - खलिहानों तक बाढ़ के पानी से काफी कुछ नुकसान हुआ ......। प्रकृति के इस कहर का असर सबसे ज्यादा उन किसानों पर पड़ा जिसके खेतों में धान के पौधे लगे चन्द दिन ही गुजरे थे .....। पानी लग जाने की वजह से पौधे डूब गये .....। धीरे - धीरे जब इलाके से पानी कम होने लगा तो लोगों को राहत मिली लेकिन इस सुकून से किसानों में कोई ज्यादा उत्साह नहीं था क्योंकि ऊँचे इलाके से पानी का कहर तो सात से आठ दिन में निकल गया लेकिन खेत - खलिहानों में पानी ज्यादा दिन रुक जाने की वजह से खेतों में लगे धान के पौधे गल गये .....। किसानों ने फिर भी हार नहीं मानी और हिम्मत से काम लिया .....। पखवाड़े बाद जैसे ही धीरे - धीरे खेतों से जलस्तर कम हुआ तो किसानों ने दोबारा धानरोपनी शुरू किया और देखते ही देखते यह इकहत्तर हजार हेक्टेयर से अधिक के करीब पहुँच गया ....। कटिहार के जिला कृषि पदाधिकारी चन्द्रदेव प्रसाद बताते हैं कि इस खरीफ वर्ष में कृषि विभाग ने तिहहतर हजार हेक्टेयर धानरोपनी रोपनी का लक्ष्य रखा था लेकिन बाढ़ का पानी आ जाने के कारण खेती प्रभावित हुई थी लेकिन किसानों ने इकहत्तर हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन पर किसानों ने दोबारा धानरोपनी कर डाली हैं जो लक्ष्य के करीब हैं .....। सीमावर्ती इलाके में किसानों ने पश्चिम बंगाल के बाजारों से भी बीज लाकर खेतों में लगाये हैं और इस तरह बाढ़ का धानरोपनी पर बहुत ज्यादा कुछ असर नहीं पड़ा हैं .......।


Conclusion:प्राकृतिक आपदा पीड़ित इलाके के किसानों के पास समस्या यह होती हैं कि बाढ़ से कमर टूटने के बाद इससे उबरने के लिये खेतों में अगली फसल लगाने के पैसे नहीं होते हैं और महाजनों से अन्य तरीकों से जो पैसे पूर्व के फसलों में लगाये गये थे , उसे कुदरत के कहर ने अपने जबड़े में लील लिया ....। राज्य सरकारें बाढ़ से हुए फसल क्षति का सर्वे कराते - कराते महीनों बीत जाता हैं , उसके बाद मुआवजे की योजना बनती हैं और फिर केन्द्रीय टीमों के नुकसान आंकलन के बाद वैकल्पिक खेती और मुआवजा की राशि मिलती हैं ......तब तक काफी देर हो चुकी होती हैं , जिससे दोबारा धानरोपनी का कार्य मुमकिन नहीं हो सकता .....। ऐसे में कटिहार के किसानों की मेहनत रंग लायी हैं और जिला धानरोपनी के लक्ष्य तक पहुँच गया जो कि सफल खेती की मिसाल हैं .....। उम्मीद की जानी चाहिये कि किसानों का यह मेहनत भरपूर अनाज उत्पादन करेगा ......।
Last Updated : Aug 31, 2019, 4:11 PM IST
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