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GDP में गिरावट का बड़ा असर, बंद जूट मिल का दिखाकर बोले लोग- बेरोजगारी पहुंचेगी चरम सीमा पर - कटिहार में बंद पड़ी मिलों

कटिहार में बंद पड़ी मिलों से लाखों लोगों को रोजगार मिलता था. लेकिन आज लोग बेरोजगार हो गए हैं. लोगों ने जीडीपी के बारे में उनकी अपनी सोच को ईटीवी भारत से शेयर किया है.

जूट मिल हो गई जर्जर
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Published : Sep 16, 2019, 11:44 PM IST

कटिहार: देश की अर्थव्यवस्था में आई भारी गिरावट के बाद जहां लोगों की मासिक आय, नौकरियों में कमी आई है. वहीं, जूट व्यापारियों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. पिछले वर्ष जहां जीडीपी 8% थी. इस बार घटकर 5% पर आ गई है. जीडीपी ग्रोथ रेट कम होने का साफ मतलब है आर्थिक क्रियाकलापों में बड़ी कमी.

जीडीपी में गिरावट के बाद इसका असर कटिहार में भी दिख रहा है. औद्योगिक नगरी और जूट नगरी के नाम से देश भर में प्रसिद्ध कटिहार में दो जूट मिल, दो फ्लावर मिल तथा दियासलाई मिल हुआ करती थीं. आज स्थिति यह है कि सारी मिल बंद हो चुके हैं. जूट की खेती भी लगभग 20% पर आकर सिमट गई है.

क्या बोले लोग

'लोग विद्रोह पर हो जाएंगे उतारू'
स्थानीय जानकार श्याम लाल अग्रवाल बताते हैं कि वर्तमान केंद्र सरकार ने प्लास्टिक से बने बर्तन उद्योग, जूट उद्योग को बंद कर दिया है. इन मिलों से लाखों लोगों को रोजगार मिलता था. लेकिन आज लोग बेरोजगार हो गए हैं और आने वाले दिन में बेरोजगारी अपने चरम पर होगी. लोग विद्रोह करने पर उतारू हो जाएंगे.

बंद पड़ी जूट मिल
बंद पड़ी जूट मिल

दिख रहा है असर-स्थानीय
वहीं, समरेंद्र कुणाल का कहना है कि जीडीपी अंतरराष्ट्रीय स्तर की मुद्रा की स्थिति के रुप में देखी जाती है. जीडीपी ग्रोथ रेट गिरने से व्यापारियों का निवेश कम हो जाता है. निवेशकों का भरोसा देश पर से टूटने लगता है. आज स्थिति भयावह हो गई है. फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं, नौकरी में कमी आ गई है. ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी आ गई है. टेक्सटाइल के क्षेत्र में भी मंदी आ गई है. इसका असर दुकानदारों पर पड़ रहा है. आर्थिक मंदी होने से एक करोड़ 15 लाख ऐसे लोग बेरोजगार हो गए हैं, जिनके पास पहले रोजगार था. निश्चित रूप से जीडीपी में भारी गिरावट का असर बाजारों में दिख रहा है.

कटिहार: देश की अर्थव्यवस्था में आई भारी गिरावट के बाद जहां लोगों की मासिक आय, नौकरियों में कमी आई है. वहीं, जूट व्यापारियों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. पिछले वर्ष जहां जीडीपी 8% थी. इस बार घटकर 5% पर आ गई है. जीडीपी ग्रोथ रेट कम होने का साफ मतलब है आर्थिक क्रियाकलापों में बड़ी कमी.

जीडीपी में गिरावट के बाद इसका असर कटिहार में भी दिख रहा है. औद्योगिक नगरी और जूट नगरी के नाम से देश भर में प्रसिद्ध कटिहार में दो जूट मिल, दो फ्लावर मिल तथा दियासलाई मिल हुआ करती थीं. आज स्थिति यह है कि सारी मिल बंद हो चुके हैं. जूट की खेती भी लगभग 20% पर आकर सिमट गई है.

क्या बोले लोग

'लोग विद्रोह पर हो जाएंगे उतारू'
स्थानीय जानकार श्याम लाल अग्रवाल बताते हैं कि वर्तमान केंद्र सरकार ने प्लास्टिक से बने बर्तन उद्योग, जूट उद्योग को बंद कर दिया है. इन मिलों से लाखों लोगों को रोजगार मिलता था. लेकिन आज लोग बेरोजगार हो गए हैं और आने वाले दिन में बेरोजगारी अपने चरम पर होगी. लोग विद्रोह करने पर उतारू हो जाएंगे.

बंद पड़ी जूट मिल
बंद पड़ी जूट मिल

दिख रहा है असर-स्थानीय
वहीं, समरेंद्र कुणाल का कहना है कि जीडीपी अंतरराष्ट्रीय स्तर की मुद्रा की स्थिति के रुप में देखी जाती है. जीडीपी ग्रोथ रेट गिरने से व्यापारियों का निवेश कम हो जाता है. निवेशकों का भरोसा देश पर से टूटने लगता है. आज स्थिति भयावह हो गई है. फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं, नौकरी में कमी आ गई है. ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी आ गई है. टेक्सटाइल के क्षेत्र में भी मंदी आ गई है. इसका असर दुकानदारों पर पड़ रहा है. आर्थिक मंदी होने से एक करोड़ 15 लाख ऐसे लोग बेरोजगार हो गए हैं, जिनके पास पहले रोजगार था. निश्चित रूप से जीडीपी में भारी गिरावट का असर बाजारों में दिख रहा है.

Intro:कटिहार

अर्थवयव्स्था में आई भारी गिरावट के बाद जहां लोगों की मासिक आय, नौकरियां में कमी आई है वहीं जूट व्यापारियों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। पिछले वर्ष जहां जीडीपी 8% थी इस बार घटकर 5% पर आ गई है। जीडीपी ग्रोथ रेट कम होने का साफ मतलब है आर्थिक क्रियाकलापों में बड़ी कमी।Body:देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर 5 फ़ीसदी पर पहुंच गई है। जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट का सबसे ज्यादा असर गरीब लोगों पर पड़ता है। लोगों की औसत आय घट जाती है। नौकरियां में कमी आ जाती है। व्यापार में घाटा होने के आसार रहते हैं। लोगों की मासिक आय में कमी आती है।

जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट के बाद इसका असर कटिहार में भी दिख रहा है। औद्योगिक नगरी और जूट नगरी के नाम से पूरे भारत में प्रसिद्ध कटिहार में दो जूट मिल, दो फ्लावर मिल तथा दियासलाई मिल हुआ करती थी। आज स्थिति यह है कि सारे मिल बंद हो चुके हैं जूट की खेती भी लगभग 20% पर आकर सिमट गई है।

स्थानीय जानकार श्याम लाल अग्रवाल बताते हैं वर्तमान केंद्र सरकार प्लास्टिक से बने बर्तन उद्योग, जूट उद्योग को बंद कर दिया है। इन मिलों से लाखों, करोड़ों लोगों को रोज़गार मिलती थी लेकिन आज लोग बेरोजगार हो गए हैं और आने वाले दिन में बेरोजगारी अपने चरम पर होगी और लोग विद्रोह करने पर उतारू हो जाएंगे।Conclusion:समरेंद्र कुणाल बताते हैं जीडीपी अंतरराष्ट्रीय स्तर का मुद्रा के स्थिति के रुप में देखा जाता है और जीडीपी ग्रोथ रेट गिरने से निवेश कम हो जाता है और व्यापारियों का, निवेशकों का भरोसा देश पर से टूटने लगता है। आज स्थिति भयावह हो गई है। फैक्ट्रियां बंद हो रहे हैं, नौकरी में कमी आ गई है, ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी आ गई है, टेक्सटाइल के क्षेत्र में भी मंदी आ गई है, जिसका असर दुकानदारों पर पड़ रहा है। आर्थिक मंदी होने से एक करोड़ 15 लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं जिनका पहले रोजगार था। निश्चित रूप से जीडीपी ग्रोथ रेट में भारी गिरावट का असर बाजारों में दिख रहा है।
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