कटिहार: जिले में समाजिक उत्थान के लिए एक वैचारिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन पिछड़ा वर्ग आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. भगवान लाल सहनी ने किया. इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक चिंतक उर्मिलेश उर्मिल, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतन लाल सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे. कार्यक्रम में पिछड़ा वर्ग की उन्नति और सामाजिक न्याय के बिंदुओं पर चर्चा की गई.
भगवान लाल सहनी ने वीपी मंडल को किया याद
भगवान लाल सहनी ने कहा कि पिछ़ा का अधिकार और उन्नति कैसे हो इसका प्रयास सरकार कर रही है. 1947 में देश आजाद हुआ लेकिन विधिवत आजादी 1950 को मिली. काका कालेलकर आयोग ने भी आरक्षण पर बात की थी. पिछड़े वर्ग के अधिकार पर वैज्ञानिक प्रयास बीपी मंडल आयोग ने की थी. उन्होंने कहा कि 1993 में पिछड़ा वर्ग का गठन किया गया है. लेकिन संवैधानिक अधिकार नहीं मिली थी. वर्तमान में केंद्र सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर एक संवैधानिक अधिकार प्रदान किया है. उन्होंने कहा कि केन्द्रीय सेवाओं में आरक्षित वर्ग को पूरा लाभ मिल सके इसके लिए कार्य करना है.
'27 प्रतिशत आरक्षण पिछड़ों को जरूर मिलेगा'
भगवान लाल सहनी ने कहा कि पिछड़ों के हित में जो भी संविधान में दिया गया, यदि कोई उससे छीनने का प्रयास करता है तो वह उसके खिलाफ न केवल सख्त कार्रवाई करेंगे बल्कि वारंट भी जार कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि पिछड़ा का कल्याण हो. इस आयोग का मकसद है कि 27 प्रतिशत आरक्षण का शत प्रतिशत अधिकार पिछड़ों को मिल सके. विश्वास रखिए मंडल कमिशन के 27 प्रतिशत आरक्षण पिछड़ों को जरूर मिलेगा. उन्होंने बताया कि कुछ विशेष वर्ग इसपर एकाधिकार कर रखें हैं, उसे तोड़ा जायेगा. उन्होंने कहा कि आरक्षण की सबसे बड़ी बाधाएं क्रिमिलेयर, आरक्षण कोटा और सामान्य मेधा सूची है. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि जिससे आरक्षण में कटअप किया जा सके.
कार्यक्रम में इन बिंदुओं पर हुई चर्चा
कार्यक्रम में आरक्षण को लेकर कहा गया कि समाजिक न्याय के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है. संविधान में सभी को उचित प्रतिनिधित्व की बात कही गयी हैं. उचित प्रतिनिधित्व से ही समाज और देश का विकाश होगा. सभी वर्गों की हिस्सेदारी से ही देश समृद्ध बनेगा. आरक्षण ही एकमात्र उपाय हैं, जिससे कम समय मे सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़ा हुआ व्यक्ति मुख्यधारा से जुड़ सके.