कटिहार: लॉकडाउन की वजह से देश के कई राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला जारी है. कोई हरियाणा से तो दिल्ली से आ रहा हैं. लेकिन सभी लोगों में खास बात यह हैं कि सभी के सभी संड़कों पर बदहवास पैदल चलते दिख जाएंगे. यह सभी लोग सूबे के विभिन्न इलाकों के रहने वाले हैं. जो रोजगार के सिलसिले में देश के दूसरे प्रान्तों में पलायन कर गये थे. लेकिन जब से कोरोना महामारी से बचाव और संक्रमण की रोकथाम के लिये देशभर में लॉकडाउन लागू है तब से इनके रोजगार पर असर पड़ा है.
'यूपी सरकार ने किए हैं बेहतर इंतजाम'
वहीं, कुछ दिन तो मजदूरों ने जमा पूंजी से समय गुजरने का इंतजार किया. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन की अवधि बढ़ती गयी. तो कुछ मजदूर तो सरकार की ओर से चलाये गये स्पेशल ट्रेनों से तो लौट गये. लेकिन बाकी बचे लोग मजबूरी में पैदल ही सफर कर रहे हैं. प्रवासी मजदूर मो. सज्जाद बताते हैं कि जैसे ही यूपी बॉर्डर पहुंचे तो थर्मल स्क्रिनिंग के बाद यूपी सरकार के दिये गये वाहन से बिहार बॉर्डर पर पहुंचे. लेकिन जैसे ही बिहार में प्रवेश किया तो कुछ दूरी के लिये गाडियां मिली. लेकिन इसके बाद चार दिनों से पैदल ही चलकर जिले तक पहुंचे.
बिहार सरकार से नाराज प्रवासी मजदूर
मजदूरों ने कहा कि अब चुनाव के समय वोट के चोट से बतायेगें. उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने बहुत मदद की. यूपी सरकार की तुलना में बिहार सरकार ने लोगों के लिये कुछ नहीं किया. बता दें कि बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. जिसको देखते हुए राजनीतिक दलों ने तैयारियां भी शुरू कर दी है. हाल ही में सीएम नीतीश कुमार और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने पार्टी कार्यकर्ताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये लॉकडाउन के दौरान परेशान लोगों की हर मुमकिन मदद करने के निर्देश भी जारी किया. लेकिन लाखों की तादाद में लौट रहे प्रवासी मजदूरों की यह तल्खी विधानसभा चुनाव तक रही तो चुनाव के नतीजे को प्रभावित कर सकती है.