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कटिहार सदर अस्पताल: कबाड़खाने में फेंकी है मरीजों को बांटे जाने वाली करोड़ों की दवाएं

कटिहार के सिविल सर्जन डॉक्टर मुर्तुजा अली ने इस प्रकरण में जांच के आदेश दे दिए हैं. उन्होंने बताया इसका जल्द ही नतीजा आएगा और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.

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Published : Jul 25, 2019, 11:12 AM IST

कूड़ेदान में दवा

कटिहारः बिहार में स्वास्थ्य विभाग का एक काला चिट्ठा सामने आया है. जिले के सदर अस्पताल में मरीजों के बीच बंटने वाली दवा कबाड़खाने की शोभा बढ़ा रही है. अस्पताल परिसर में दवा के भंडार में या तो करोड़ों की दवा यूं ही सड़ती रहती हैं, नहीं तो कबाड़खाने में कचरे की तरह फेंक दी जाती हैं. दवा क्यों सड़ रही है यह जांच का विषय है.

इस खबर ने स्वास्थ्य विभाग को एक बार फिर से सवालों के कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. हालांकि इस मामले में सिविल सर्जन ने संज्ञान लेते हुए जांच के लिए टीम गठित कर दी है और दोषियों पर कार्रवाई भी करने की बात कही है.

कटिहार
कबाड़खाने में फेंकी गई दवाएं

2020 में एक्सपायर होने वाली दवा भी फेंक दी जाती है
कटिहार सदर अस्पताल पर जिले के 35 लाख आबादी को स्वस्थ रखने का जिम्मा है. इन आबादियों को अगर कोई बीमारी हो जाए तो उन्हें सदर अस्पताल का रुख करना पड़ता है. सरकार ने इनके लिए अस्पताल में मुफ्त दवा वितरण का इंतजाम कर रखा है. लेकिन दृश्य बहुत ही चौंकाने वाले हैं. हद तो तब हुई जब पता चला कि जो दवा 2020 में एक्सपायर होने वाली थी, उसे भी कचरा बनाकर फेंक दिया गया है.

कटिहार सदर अस्पताल

सिविल सर्जन ने दिए जांच के आदेश
अब दवा क्यों और कौन फेंक रहा है, यह स्वास्थ्य विभाग के लिए जांच का विषय है. कटिहार के सिविल सर्जन डॉक्टर मुर्तुजा अली ने इस प्रकरण में जांच के आदेश दे दिए हैं. उन्होंने बताया इसका जल्द ही नतीजा आएगा और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. वहीं, अपना बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे तो यहां आए अभी 1 साल ही हुआ और फेंकी हुई दवाएं 10-12 साल पुरानी हैंं. बहरहाल जांच टीम बैठा दी गई है और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई करेंगे.

कड़ी कार्रवाई की है जरूरत
स्वास्थ्य विभाग की दवाओं का यह खेल विभाग को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है. दवाओं को एक्सपायरी के नाम पर कबाड़खाने में फेंकने के बदले क्यों नहीं उसे विभाग द्वारा वापस दवा कंपनी को भेज दिया जाता है, यह एक बड़ा सवाल है. इसके बदले सरकार को दवा खरीदने के पैसे भी नहीं चुकाने पड़ते. अब तो सरकार का राजस्व भी गया और मरीजों को दवा भी मयस्सर नहीं हो पाई. मरीज बाहर ही दवाओं पर जिंदा रहने को विवश हैं.

कटिहारः बिहार में स्वास्थ्य विभाग का एक काला चिट्ठा सामने आया है. जिले के सदर अस्पताल में मरीजों के बीच बंटने वाली दवा कबाड़खाने की शोभा बढ़ा रही है. अस्पताल परिसर में दवा के भंडार में या तो करोड़ों की दवा यूं ही सड़ती रहती हैं, नहीं तो कबाड़खाने में कचरे की तरह फेंक दी जाती हैं. दवा क्यों सड़ रही है यह जांच का विषय है.

इस खबर ने स्वास्थ्य विभाग को एक बार फिर से सवालों के कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. हालांकि इस मामले में सिविल सर्जन ने संज्ञान लेते हुए जांच के लिए टीम गठित कर दी है और दोषियों पर कार्रवाई भी करने की बात कही है.

कटिहार
कबाड़खाने में फेंकी गई दवाएं

2020 में एक्सपायर होने वाली दवा भी फेंक दी जाती है
कटिहार सदर अस्पताल पर जिले के 35 लाख आबादी को स्वस्थ रखने का जिम्मा है. इन आबादियों को अगर कोई बीमारी हो जाए तो उन्हें सदर अस्पताल का रुख करना पड़ता है. सरकार ने इनके लिए अस्पताल में मुफ्त दवा वितरण का इंतजाम कर रखा है. लेकिन दृश्य बहुत ही चौंकाने वाले हैं. हद तो तब हुई जब पता चला कि जो दवा 2020 में एक्सपायर होने वाली थी, उसे भी कचरा बनाकर फेंक दिया गया है.

कटिहार सदर अस्पताल

सिविल सर्जन ने दिए जांच के आदेश
अब दवा क्यों और कौन फेंक रहा है, यह स्वास्थ्य विभाग के लिए जांच का विषय है. कटिहार के सिविल सर्जन डॉक्टर मुर्तुजा अली ने इस प्रकरण में जांच के आदेश दे दिए हैं. उन्होंने बताया इसका जल्द ही नतीजा आएगा और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. वहीं, अपना बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे तो यहां आए अभी 1 साल ही हुआ और फेंकी हुई दवाएं 10-12 साल पुरानी हैंं. बहरहाल जांच टीम बैठा दी गई है और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई करेंगे.

कड़ी कार्रवाई की है जरूरत
स्वास्थ्य विभाग की दवाओं का यह खेल विभाग को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है. दवाओं को एक्सपायरी के नाम पर कबाड़खाने में फेंकने के बदले क्यों नहीं उसे विभाग द्वारा वापस दवा कंपनी को भेज दिया जाता है, यह एक बड़ा सवाल है. इसके बदले सरकार को दवा खरीदने के पैसे भी नहीं चुकाने पड़ते. अब तो सरकार का राजस्व भी गया और मरीजों को दवा भी मयस्सर नहीं हो पाई. मरीज बाहर ही दवाओं पर जिंदा रहने को विवश हैं.

Intro:कटिहार

बिहार में स्वास्थ्य विभाग का काला चिट्ठा सामने आया है मरीजों के बीच बांटने वाली दवा कबाड़ खाने की शोभा बढ़ा रहा है। दवा क्यों सड रही है यह तो जांच का विषय है लेकिन दवा के सड़ने की खबर के बाद स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर से सवालों के कटघरे में आ गया है। हालांकि इस मामले में सिविल सर्जन ने संज्ञान लेते हुए जांच के लिए टीम गठित कर दी है और दोषियों पर कार्रवाई की भी बात कही है।


Body:दरअसल पूरा मामला कटिहार सदर अस्पताल का है जिस पर कटिहार के 35 लाख आबादी के स्वास्थ्य का जिम्मा टिका है। इन आबादियों को कोई बीमारी हो जाए और सदर अस्पताल का रुख करना पड़े तो सरकार ने इनके लिए अस्पताल में मुफ्त दवा वितरण का इंतजाम कर रखा है। लेकिन यह दृश्य आपको चौंका सकती है। सदर अस्पताल के परिसर में दवा के भंडार बने हैं जिसमें करोड़ों की दवा यूं ही कबाड़ खाने में कूड़े कचरे की तरह फेंक दी गई है। लेकिन हद तो इससे भी बड़ी है जो दवा 2020 में एक्सपायर करने वाली थी और मरीजों के इलाज के लिए विभाग से भेजी गई थी उसे भी कचरा बना कर फेंक दिया गया है।

अब दवा क्यों और किसने फेंके यह तो स्वास्थ्य विभाग के लिए तो जांच का विषय है। लेकिन कटिहार के सिविल सर्जन डॉक्टर मुर्तुजा अली ने इस प्रकरण में जांच के आदेश दे दिए हैं तथा उन्होंने बताया इस मामले में जल्द ही नतीजा आ जाएगा और दोषियों पर कारवाई की जाएगी। वहीं 2020 में एक्सपायर होने वाली दवा पुराने दवाइयों के साथ मिलने पर उन्होंने अपनी सफाई देते हुए कहा किनारों में रखे नए कार्टून से 15- 20 दवाइयां निकल गई है। वही अपना बीच बचाव करते हुए कहा मुझे तो यहां आए सिर्फ अभी 1 साल ही हुए हैं लेकिन इस जर्जर भवन में दवाइयां 10-12 साल पुरानी है। बहरहाल जांच टीम बैठा दी गई है और दोषी पाए जाने पर कारवाई करेंगे।


Conclusion:स्वास्थ्य विभाग का दवाओं का यह खेल विभाग को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है की किस प्रकार दवाओं को एक्सपायरी के नाम पर कबाड़खाना में फेंक दिया गया है और क्यों नहीं उसे विभाग द्वारा वापस दवा कंपनी को भेज दी जाती तो उसके बदले सरकार को खरीदने के पैसे नहीं चुकाने पड़ते। अब तो सरकार का राजस्व भी गया और मरीजों को दवा भी मयस्सर नहीं हो पाई और मरीज बाहर ही दवाओं पर जिंदा रहने को विवश है ऐसे में सरकार पर उंगली उठना लाजमी है कि क्यों नहीं आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
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