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कटिहार: बीतते साल में अन्नदाता परेशान, भूमि अधिग्रहण के नाम पर विभाग दे रहा सरकारी लॉलीपॉप

किसानों का कहना है कि प्रस्तावित राजमार्ग के लिए उनके भूमि और मकान नेशनल हाइवे के नक्शे पर आ गया. जिस वजह से प्रशासन नें उन्हें नोटिस थमा दिया. लेकिन मकान और जमीन का मूल्यांकन किया गया. वह कहीं से भी न्यायोचित नहीं है.

विदा हो रहे साल में अन्नदाता परेशान
विदा हो रहे साल में अन्नदाता परेशान
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Published : Dec 31, 2019, 5:29 PM IST

कटिहार: विदा हो रहे साल में अन्नदाता काफी परेशान और हतप्रभ हैं. किसान जिला प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगा रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार हमारी भूमी का अधिग्रहण तो कर रही है, लेकिन हमें इसके लिए कोई उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है.

दरअसल, राष्ट्रीय राजमार्ग-131 A को फोरलेन करने के लिए सरकार किसानों की जमीन को अधिग्रहित कर लिया है. जिस वजह से किसान अपने कृषि कार्य को छोड़कर सरकारी अधिकारियों के दफ्तरों का चक्कर लगाने को मजबूर हैं. किसानों का आरोप है कि सरकार हमें उचित मुआवजा नहीं दे रही है. दर्जनों किसानों ने एक स्वर में सरकार पर शोषण का आरोप लगाते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है.

'कानून को ताक पर रखकर किया गया मूल्यांकन'
इस बाबत रतौरा से आए हुए किसान सुबोध कुमार झा बताते है कि प्रस्तावित राजमार्ग के लिए उनके भूमि और मकान नेशनल हाइवे के नक्शे पर आ गया. जिस वजह से प्रशासन नें उन्हें नोटिस थमा दिया. लेकिन मकान और जमीन का मूल्यांकन किया गया. वह कहीं से भी न्यायोचित नहीं है. अधिकारियों ने कानून को ताक पर रखकर काफी कम राशि का आकलन किया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'घर-जमीन एक साथ गया, मिला सरकारी लॉलीपॉप'
पीड़ित किसान उमेश कुमार साह बताते है कि इस विकास ( फोरलेन रोड का निर्माण ) के वजह से घर-जमीन एक साथ गया. वहीं, अधिकारियों ने हमारे जख्मों पर मरहम लगाते हुए सरकारी लॉलीपॉप हाथ में थमा दिया. हम हर रोज जिले के विभिन्न कार्यालयों का चक्कर लगा रहें है. मजदूरी करते है. नियम कानून हमें ज्यादा समझ में नहीं आता है. लेकिन फिर भी हर रोज अधिकिरियों के दफ्तरों का चक्कर लगा रहे है.

नोटिस  दिखाते हुए किसान
नोटिस दिखाते हुए किसान

'मुख्यमंत्री से लगाएंगे गुहार'
इस मामले पर स्थानीय उमेश कुमार सिंह बताते हैं हमारी परेशानी यह है कि हम यदि मामले को उठाते हैं, तो सबसे पहले तकनीकी तौर पर कम मूल्यों वाले मुआवजे के चेक स्वीकार करना पड़ेगा. जिसके बाद इसका क्लेम प्रमंडलीय आयुक्त के पास कर सकते है. आयुक्त कार्यालय पुर्णिया में है, जो यहां से लगभग 30 किमी है और सबसे अहम बात यह है कि इसका फैसला आने में महीनों लग जायेगा. जिससे हमलोगों पर दोहड़ी मार पड़ेगी.उन्होंने बताया कि आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जल जीवन हरियाली अभियान के तहत जिले में आगमन होनी है. जहां वे अपनी फरियाद सूबे के मुखिया के समक्ष रखेंगे.

कटिहार: विदा हो रहे साल में अन्नदाता काफी परेशान और हतप्रभ हैं. किसान जिला प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगा रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार हमारी भूमी का अधिग्रहण तो कर रही है, लेकिन हमें इसके लिए कोई उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है.

दरअसल, राष्ट्रीय राजमार्ग-131 A को फोरलेन करने के लिए सरकार किसानों की जमीन को अधिग्रहित कर लिया है. जिस वजह से किसान अपने कृषि कार्य को छोड़कर सरकारी अधिकारियों के दफ्तरों का चक्कर लगाने को मजबूर हैं. किसानों का आरोप है कि सरकार हमें उचित मुआवजा नहीं दे रही है. दर्जनों किसानों ने एक स्वर में सरकार पर शोषण का आरोप लगाते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है.

'कानून को ताक पर रखकर किया गया मूल्यांकन'
इस बाबत रतौरा से आए हुए किसान सुबोध कुमार झा बताते है कि प्रस्तावित राजमार्ग के लिए उनके भूमि और मकान नेशनल हाइवे के नक्शे पर आ गया. जिस वजह से प्रशासन नें उन्हें नोटिस थमा दिया. लेकिन मकान और जमीन का मूल्यांकन किया गया. वह कहीं से भी न्यायोचित नहीं है. अधिकारियों ने कानून को ताक पर रखकर काफी कम राशि का आकलन किया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'घर-जमीन एक साथ गया, मिला सरकारी लॉलीपॉप'
पीड़ित किसान उमेश कुमार साह बताते है कि इस विकास ( फोरलेन रोड का निर्माण ) के वजह से घर-जमीन एक साथ गया. वहीं, अधिकारियों ने हमारे जख्मों पर मरहम लगाते हुए सरकारी लॉलीपॉप हाथ में थमा दिया. हम हर रोज जिले के विभिन्न कार्यालयों का चक्कर लगा रहें है. मजदूरी करते है. नियम कानून हमें ज्यादा समझ में नहीं आता है. लेकिन फिर भी हर रोज अधिकिरियों के दफ्तरों का चक्कर लगा रहे है.

नोटिस  दिखाते हुए किसान
नोटिस दिखाते हुए किसान

'मुख्यमंत्री से लगाएंगे गुहार'
इस मामले पर स्थानीय उमेश कुमार सिंह बताते हैं हमारी परेशानी यह है कि हम यदि मामले को उठाते हैं, तो सबसे पहले तकनीकी तौर पर कम मूल्यों वाले मुआवजे के चेक स्वीकार करना पड़ेगा. जिसके बाद इसका क्लेम प्रमंडलीय आयुक्त के पास कर सकते है. आयुक्त कार्यालय पुर्णिया में है, जो यहां से लगभग 30 किमी है और सबसे अहम बात यह है कि इसका फैसला आने में महीनों लग जायेगा. जिससे हमलोगों पर दोहड़ी मार पड़ेगी.उन्होंने बताया कि आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जल जीवन हरियाली अभियान के तहत जिले में आगमन होनी है. जहां वे अपनी फरियाद सूबे के मुखिया के समक्ष रखेंगे.

Intro:एनएच - 131 ए के निर्माण का मामला , नहीं मिल पा रहा हैं जमीन मालिकों को उचित मुआवजा ।


.......कटिहार में किसान हैं परेशान क्योंकि नेशनल हाईवे के नाम पर हो रहा प्रशासन कर रहा जमीनों का भूमि अधिग्रहण और उसके नाम पर उसे थमाये जा रहे हैं हाथों में लॉलीपॉप ......। अधिग्रहण की जद में आ रहा हैं गरीबों के आशियाने और खेती की जमीनें.....। मुआवजे की गुहार में बाबूओं के दफ्तर के चक्कर मे घिस रही चप्पलें.....। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रस्तावित जल - जीवन - हरियाली मिशन यात्रा के दौरान पीड़ित लगायेंगे फरियाद सूबे के निजाम से .........।


Body:भूमि अधिग्रहण के नाम पर सरकारी मकड़जाल में फँसे सैकड़ों जमीन मालिक ।


यह दृश्य कटिहार समाहरणालय का हैं जहाँ दस - पाँच किसानों का जत्था हर समय कार्यालयों का चक्कर काटता रहता हैं । दरअसल , इस लोगों की परेशानी यह हैं कि यह वैसे जमीन मालिक हैं जिसे कटिहार जिला प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण के नाम पर मुआवजे के लिये नोटिस भेजा हैं । जिले में कटिहार के मनिहारी से सीमावर्ती पुर्णिया जिले तक राष्ट्रीय राजमार्ग 131- ए का निर्माण होना हैं । प्रस्तावित राजमार्ग के निर्माण के लिये हो रही जमीन की जरूरत के लिये इस किसानों के भूमि और मकान नेशनल हाइवे के नक्शे पर आया जिस कारण प्रशासन ने इन्हें भूमि अधिग्रहण का नोटिस थमाया लेकिन इस नोटिस में पेंच यह हैं कि जिस लोगों को भूमि अधिग्रहण के नोटिस किये गये हैं , उन्हें नेशनल हाइवे एक्ट के तहत अधिग्रहित भूमि का मूल्यांकन बाजार मूल्य से नहीं कर कानून को ताक पर रखकर बाबुओं की मनमानी से अधिग्रहित भूमि की राशि को काफी कम राशि का आकलन कर दिया जिससे पीड़ितों के एक ओर जमीनों को भी सरकार ने अधिग्रहित कर लिया तो दूसरी ओर इन्हें जो मुआवजा मिल रहा हैं , वह नाकाफी हैं और मिलने वाले मुआवजे के कम राशि से ना तो कहीं बसने के लिये नयी जमीन मिल पा रही हैं और ना ही मकान बन पा रहा हैं । रौतारा के किसान सुबोध कुमार झा बताते हैं कि अधिग्रहण में उनके मकान का आधा हिस्सा जद में आ गया हैं और यदि मकान में उतना दूर ही तोड़ें तो लाखों रुपया मजदूरी पर ही खर्च आयेगा और बात को तो छोड़िये.....। पीड़ित उमेश कुमार साह बताते हैं कि घर भी गया , जमीन भी गयी , किसानी भी गयी और मिला क्या ......सरकार को उचित मुआवजा देना चाहिये .....। स्थानीय उमेश कुमार सिंह बताते हैं कि परेशानी यह हैं कि यदि हम यदि मामले को उठाते हैं तो सबसे पहले तकनीकी तौर पर कम मूल्यों वाले मुआवजे का चेक स्वीकार करना पड़ेगा और तब ही हम इसका क्लेम प्रमंडलीय आयुक्त के यहाँ कर सकते हैं । आयुक्त महोदय का कार्यालय पुर्णिया में पड़ता हैं जो तीस किलोमीटर दूर हैं और सबसे बड़ी बात यह हैं कि इसका फैसला आने में भी महीनों लग जायेगा जिससे लोगों पर दोहरी मार पड़ेगी । उसकी जमीन और मकान भी छीने गये और मुआवजे के नाम पर मिला ' सरकारी लॉलीपॉप '......। उन्होंने बताया आगामी सात जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जल जीवन हरियाली मिशन यात्रा के तहत उन्हीं के गाँव रौतारा के चमरू पोखर का निरीक्षण करेगें जहाँ वह अपने निजाम से बाबुओं के कारस्तानी की फरियाद लगायेंगे .....।


Conclusion:सीएम नीतीश कुमार के प्रस्तावित सात निश्चय यात्रा के दौरान पीड़ित लगायेंगे फरियाद ।


भूमि अधिग्रहण के पेंच में फँसे लोगों का यह कोई दो - चार मामला नहीं हैं बल्कि इस तरह के सैकड़ों मामले कटिहार के विभिन्न मौजे - इलाके में हैं जहाँ लोग सरकारी बाबुओं के कागजों के मकड़जाल में फँसे तड़प रहे हैं । इनकी आँखों के सामने इनके जमीन - आशियाना का उजड़ना और मुआवजे के नाम पर मिल रहा सरकारी लॉलीपॉप के कारण अब यह सभी बेघरबार होने के हालात पर पहुँच चुके हैं । अब देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पीड़ितों के फरियाद पर क्या निर्णय लेते हैं .....।
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