कटिहार: जिले के प्राणपुर विधानसभा सीट पर मुकाबला बेहद ही रोचक होने वाला है. एनडीए ने जहां दिवंगत मंत्री विनोद सिंह की पत्नी निशा सिंह को उम्मीदवार बनाया है, तो वहीं महागठबंधन ने अपने पुराने प्रत्याशी तौकीर आलम पर भरोसा जताते हुए एक बार फिर उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं, 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी की टिकट पर चुनाव लड़ने के बाद दूसरे स्थान पर रही इशरत परवीन इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं.
एनडीए-महागठबंधन को टक्कर
2015 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के साथ कांग्रेस, आरजेडी और जदयू थी, बावजूद इसके महागठबंधन के प्रत्याशी तौकीर आलम तीसरे स्थान पर रहे थे. वहीं, एनसीपी की टिकट से चुनाव लड़ी इशरत परवीन दूसरे स्थान पर थीं और इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतर चुकीं हैं और एनडीए तथा महागठबंधन के प्रत्याशी को टक्कर देने के लिए भी पूरी तरह तैयार हैं.
विकास के मुद्दे पर चुनावी मैदान में इशरत
ईटीवी भारत से खास बातचीत में निर्दलीय प्रत्याशी इशरत परवीन ने बताया विकास के मुद्दे को लेकर लोगों के बीच जा रही हैं. आज भी प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा बदहाल है और मूलभूत सुविधाओं से लोग पूरी तरह वंचित है, यहां बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद क्षेत्र का विकास नहीं हो सका. उन्होंने बताया कि अगर उन्हें मौका मिलता है तो सबसे पहले क्षेत्र में कई सड़क, पुल, पुलिया बनाने का काम करेंगी.
सड़कें और पुल-पुलियों से होगा विकास
इशरत परवीन ने बताया कि सड़कों का चौड़ीकरण किया जाएगा, ताकि जाम की समस्या से लोगों को निजात मिल सके. उन्होंने बताया कि धबौल और दुर्गापुर के बीच महानंदा नदी पर पुल का निर्माण सबसे पहली प्राथमिकता होगी, ताकि धबौल गांव के लोग सीधा प्राणपुर प्रखंड मुख्यालय से जुड़ सकेंगे. वहीं, रोजगार के सवाल पर उन्होंने बताया कि अगर वह विधायक बनती है तो क्षेत्र में बड़ी कंपनी या फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए मांग की जाएगी ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके.
'किसानों के लिए कोल्डस्टोर'
निर्दलीय प्रत्याशी इशरत परवीन ने बताया कि प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र कृषि प्रधान इलाका है, लेकिन यहां एक भी कोल्डस्टोर नहीं होने के कारण किसानों को अनाज रखने में काफी परेशानी होती है. इशरत परवीन का मानना है कि प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र रेलवे लाइन से जुड़ा हुआ है, लेकिन रैक पॉइंट नहीं होने के कारण किसान अपने अनाज को ओने पौने दाम में बिचौलियों को बेच देते हैं, लिहाजा अगर विधायक बनी तो क्षेत्र में एक रैक पॉइंट बनाने का काम करेंगी.
2010-15 का चुनाव में लड़ चुकीं हैं इशरत
बता दें कि 2010 के विधानसभा चुनाव में इशरत परवीन को जहां 42,944 वोट मिले थे और अपने निकटतम प्रतिद्वंदी विनोद कुमार सिंह से मात्र 700 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. जबकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में इन्हें करीब 40,000 वोट प्राप्त हुए थे और अपने प्रतिद्वंदी से करीब 8000 वोट से हार का सामना करना पड़ा था. इन दोनों विधानसभा चुनाव में इशरत परवीन दूसरे स्थान पर रही थी, लेकिन इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर एनडीए को मात देने की तैयारी कर रही है.