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कटिहार: लॉकडाउन में दिव्यांग बेहाल, राशन के लिए सरकारी कार्यालयों का काट रहे चक्कर - handicapped are wandering in government office

लॉकडाउन के कारण आम लोगों को तो काफी परेशानी हो रही है. वहीं, दिव्यांग काफी परेशान है. इन दिव्यांगों को तो सरकारी सहायता भी नहीं मिल रहा है. ये दिव्यांग राशन और आर्थिक सहायता से वंचित हैं. इन्हें सरकारी मदद की आश है.

handicapped are wandering in government offices for ration and financial assistance
सरकारी सहायाता के लिए भटक रहे दिव्यांग
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Published : Jun 11, 2020, 5:04 PM IST

कटिहार: कोरोना महामारी के कारण जारी लॉकडाउन से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. वहीं, जिले के दिव्यांगों को भी काफी परेशानियां हुई है. इन लोगों तक तो सरकारी सहायता भी नहीं पहुंची. सरकारी सहायता के लिए ये लोग रोज सरकारी ऑफिसों के चक्कर लगा रहे हैं.

बता दें कि सरकार एक ओर दिव्यांगों को सशक्त बनाने की बात कहती है लेकिन दूसरी ओर जिले के दर्जनों दिव्यांग आज भी सरकार के योजनाओं का लाभ उठाने के लिए दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं. देश में 70 दिनों का लॉकडाउन लागू रहा लेकिन किसी ने भी इन दिव्यांगों को कोई खबर नहीं ली. इन दिव्याांगों को सरकार से मदद की आश अभी है.

सरकारी मदद से वंचित है दिव्यांग

सरकारी सहायता के लिए भटक रहे जिले के दिव्यांग मो. एजाजुल हक और मो. जमाल ने बताया कि लॉकडाउन में 3 महीने से घरों में हैं लेकिन किसी भी तरह का सरकारी मदद हमें नहीं मिली. दो सालों से राशन कार्ड के लिए सरकारी ऑफिसों का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन वहां से आजकल कहकर भगा दिया जाता है. सरकार ने हरेक महिने 5 किलो अनाज देने की बात कही थी, उसका एक दाना तक नसीब नहीं हुआ है.

दिव्यांग है राशन और आर्थिक सहायता से वंचित
बताया जा रहा है कोरोना महामारी के कारण दूसरे राज्यों से प्रवासी मजदूर वापस राज्य आ गए. बिहार में भी करीब 25 लाख प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से वापस अपने घर आए हैं. ऐसे मजदूरों को सरकार 5 किलो मुफ्त अनाज और 1000 रुपये उनके खाते में भेजे गए हैं. लेकिन राज्य में रहने वाले दिव्यांग लोग राशन और आर्थिक सहायता के वंचित है.

कटिहार: कोरोना महामारी के कारण जारी लॉकडाउन से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. वहीं, जिले के दिव्यांगों को भी काफी परेशानियां हुई है. इन लोगों तक तो सरकारी सहायता भी नहीं पहुंची. सरकारी सहायता के लिए ये लोग रोज सरकारी ऑफिसों के चक्कर लगा रहे हैं.

बता दें कि सरकार एक ओर दिव्यांगों को सशक्त बनाने की बात कहती है लेकिन दूसरी ओर जिले के दर्जनों दिव्यांग आज भी सरकार के योजनाओं का लाभ उठाने के लिए दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं. देश में 70 दिनों का लॉकडाउन लागू रहा लेकिन किसी ने भी इन दिव्यांगों को कोई खबर नहीं ली. इन दिव्याांगों को सरकार से मदद की आश अभी है.

सरकारी मदद से वंचित है दिव्यांग

सरकारी सहायता के लिए भटक रहे जिले के दिव्यांग मो. एजाजुल हक और मो. जमाल ने बताया कि लॉकडाउन में 3 महीने से घरों में हैं लेकिन किसी भी तरह का सरकारी मदद हमें नहीं मिली. दो सालों से राशन कार्ड के लिए सरकारी ऑफिसों का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन वहां से आजकल कहकर भगा दिया जाता है. सरकार ने हरेक महिने 5 किलो अनाज देने की बात कही थी, उसका एक दाना तक नसीब नहीं हुआ है.

दिव्यांग है राशन और आर्थिक सहायता से वंचित
बताया जा रहा है कोरोना महामारी के कारण दूसरे राज्यों से प्रवासी मजदूर वापस राज्य आ गए. बिहार में भी करीब 25 लाख प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से वापस अपने घर आए हैं. ऐसे मजदूरों को सरकार 5 किलो मुफ्त अनाज और 1000 रुपये उनके खाते में भेजे गए हैं. लेकिन राज्य में रहने वाले दिव्यांग लोग राशन और आर्थिक सहायता के वंचित है.

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