कटिहार: कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन ने मानवीय क्रियाकलापों पर पाबंदी लगा दी है. इसका सबसे ज्यादा असर किसानों पर हुआ है. बंदी के कारण किसानों को फसल उगाने से लेकर उसे बाजार में पहुंचाने तक भारी परेशानियों का सामना करना पर रहा है. सीमांचल इलाके में हरी मिर्चों की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. यहां के उत्पादित मिर्चों को 'बुलेट मिर्च' के नाम से जाना जाता है. यह मिर्च नार्थ ईस्ट समेत देश के अन्य प्रदेशों में निर्यात की जाती थी. लेकिन लॉक डाउन के कारण किसान परेशान हैं. वजह यह है कि बाहर के व्यापारी मिर्च खरीदने नहीं पहुंच पा रहे हैं. इस वजह से किसान तैयार फसल को औने-पौने कीमत में स्थानीय व्यापारियों को बेच रहे हैं.
'फसल तैयार लेकिन खरीदने को नहीं है कोई तैयार'
इसको लेकर किसान मोहन चौहान बताते हैं कि गांव-गांव मिर्च के लहलहाते खेत देखे जा सकते हैं. फसल तैयार है. लॉकडाउन के चलते मिर्च देश के विभिन्न हिस्सों में नहीं जा पा रही है, जबकि यहां की मिर्च उत्तम प्रजाति की होती है. यहां के मिर्चों की मांग गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में अधिक रहती है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण बाहर से व्यापारी यहां पर नहीं आ पा रहे है. इस वजह से वे स्थानीय व्यापारियों को फसल बेचने के मजबूर है.
यहां पर मांग के मुकाबले ज्यादा मिर्च पहुंचने से किसानों को वाजिब दाम नहीं मिल पा रहे हैं. जिससे किसान परेशान हैं. जो मिर्च पिछले साल 40 रुपये किलो तक बिकी थी. वह इस समय दस रुपये किलो भी नहीं बिक पा रही है. यह तब है जबकि चार से पांच रुपये किलो मिर्च तोड़ने का खर्च आ रहा है. फसल की लागत भी नहीं लौट पा रही है. किसानों ने बताया कि खेतों में मिर्च की फसल तैयार है. लेकिन मांग न होने से हमलोग परेशान हैं. ऐसे में क्या करें. हमें समझ नहीं आ रहा है.
सीमांचल की घरती मिर्च खेती के लिए सहायक
बता दें कि सीमांचल की घरती और वातावरण में मिर्च की खेती के लिए काफी सहायक मानी जाती है. यहां पर 'बुलेट मिर्च' की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. यहां के मिर्चचार से लेकर अन्य कई उत्पादों के लिए उपयुक्त होते हैं. अपने तीखेपन के लिए यहां का 'बुलेट मिर्च' काफी मशहूर है. अपने इसी गुणों के कारण यहां के हरे मिर्चों की मांग काफी अधिक रहती थी. इस वजह से किसानों को मिर्च की अच्छी किमत मिल जाती थी. लेकिन लागू लॉकडाउन के कारण किसान परेशान है. हालांकि, राज्य सरकार ने कृषि कार्यों को लॉकडाउन से अलग रखा है. बावजूद किसान मायूस हैं.