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बोरा बेच रहे बिहार के मास्टर साहब...जानें क्यों? - teacher-selling-sack-in-katihar

बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के आदेश के बाद कटिहार में एक शिक्षक ने अपने माथे पर फटे-पुराने बोरों को गली-गली घूमकर बेचते नजर आए. मास्टर साहब आवाज लगा रहे थे 'बोरा ले लs हो बोरा... दस रुपये पीस बोरा'. जानें शिक्षकों के सामने ये नौबत आखिर क्यों आई?

शिक्षक बेच रहे बोरा
शिक्षक बेच रहे बोरा
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Published : Aug 8, 2021, 1:32 PM IST

Updated : Aug 8, 2021, 3:32 PM IST

कटिहारः बिहार सरकार के शिक्षा विभाग (Education Department) के द्वारा जारी फरमान का बड़ी संख्या में शिक्षकों ने विरोध (Teacher's Protest) किया है. फरमान जारी किए जाने के बाद शिक्षक गांव-गांव, डगर-डगर जाकर एमडीएम (MDM) के जुट के फटे-पुराने बोरे को बेचने में जुटे हैं.

इसे भी पढ़ें- बिहार में लड़कियों को कैसे मिलेगी मुफ्त शिक्षा, कई साल से बकाये हैं विश्वविद्यालयों के फंड

दरअसल, पूरा मामला स्कूली बच्चों के मध्याह्न भोजन योजना से जुड़ा है. शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि सत्र 2014-15 और सत्र 2015-16 में सरकारी स्कूलों को जो एमडीएम के चावल उपलब्ध कराए गए थे, उनके खाली बोरों को गिनती के साथ बिक्री कर प्रति बोरे 10 रूपये की दर से राशि विभाग को भेजी जाए.

देखें वीडियो

शिक्षा विभाग के द्वारा यह आदेश जारी किए जाने के बाद शिक्षक काफी परेशान हो गए हैं. उनका कहना है कि काफी समय बीत जाने के कारण बोरों को चूहों ने काट दिया है. वहीं बेंच-डेस्क के अभाव में स्कूली बच्चों ने बैठने के लिए भी बोरों को इस्तेमाल किया है. अब पांच सालों के बाद उन पुराने बोरों को कहां से वापस लाएंगे और राशि कैसे भेजी जाएगी?

इसे भी पढ़ें- हाल-ए-दरभंगा पॉलिटेक्निक कॉलेज: गले में टाई हाथ में जूता, टॉप करके आए हैं, क्लास तक जाना है

"बिहार सरकार के द्वारा मध्यान्ह भोजन विभाग के द्वारा पत्र जारी किया गया है, जिसमें सत्र 2014-15 और सत्र 2015-16 में उपलब्ध कराए गए अनाज के खाली बोरों को बेचकर विभाग को प्रति बोरे दस रूपये की राशि जमा करने का निर्देश दिया गया है. मैं बहुत कमजोर और गरीब परिवार का हूं. अगर बोरा नहीं बिका, और वेतन काटे गए तो हम सड़क पर आ जाएंगे. हमारे परिवार को भूखों मरने की स्थिति आ जाएगी. इसलिए मैने सरकार के आदेश का पालन किया हूं, लेकिन दुर्भाग्यवश एक भी बोरा नहीं बिका है. हम मुख्यमंत्री से आग्रह करना चाहते हैं कि बच्चे हमसे शिक्षा लेने आएं न कि बोरा खरीदने. कृपया ऐसे आदेश को वापल लें."- मो.तमिजुद्दीन, प्रभारी प्रधानाध्यक, प्राथमिक विद्यालय, कांताडीह कदवा

यहां ध्यान दें कि शिक्षा विभाग के आदेश में यह भी कहा गया है कि जो शिक्षक बोरा बेचकर राशि विभाग को नहीं भेजेंगे, उनके वेतन से बोरे की राशि काट ली जाएगी. अब मरता क्या ना करता. प्राथमिक विद्यालय, कांताडीह कदवा के प्रभारी प्रधानाध्यक मो.तमिजुद्दीन ने माथे पर बचे-खुचे फटे-पुराने बोरों को गट्ठर को माथे पर लादकर गली-गली बेचना शुरू कर दिया है.

कटिहारः बिहार सरकार के शिक्षा विभाग (Education Department) के द्वारा जारी फरमान का बड़ी संख्या में शिक्षकों ने विरोध (Teacher's Protest) किया है. फरमान जारी किए जाने के बाद शिक्षक गांव-गांव, डगर-डगर जाकर एमडीएम (MDM) के जुट के फटे-पुराने बोरे को बेचने में जुटे हैं.

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दरअसल, पूरा मामला स्कूली बच्चों के मध्याह्न भोजन योजना से जुड़ा है. शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि सत्र 2014-15 और सत्र 2015-16 में सरकारी स्कूलों को जो एमडीएम के चावल उपलब्ध कराए गए थे, उनके खाली बोरों को गिनती के साथ बिक्री कर प्रति बोरे 10 रूपये की दर से राशि विभाग को भेजी जाए.

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शिक्षा विभाग के द्वारा यह आदेश जारी किए जाने के बाद शिक्षक काफी परेशान हो गए हैं. उनका कहना है कि काफी समय बीत जाने के कारण बोरों को चूहों ने काट दिया है. वहीं बेंच-डेस्क के अभाव में स्कूली बच्चों ने बैठने के लिए भी बोरों को इस्तेमाल किया है. अब पांच सालों के बाद उन पुराने बोरों को कहां से वापस लाएंगे और राशि कैसे भेजी जाएगी?

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"बिहार सरकार के द्वारा मध्यान्ह भोजन विभाग के द्वारा पत्र जारी किया गया है, जिसमें सत्र 2014-15 और सत्र 2015-16 में उपलब्ध कराए गए अनाज के खाली बोरों को बेचकर विभाग को प्रति बोरे दस रूपये की राशि जमा करने का निर्देश दिया गया है. मैं बहुत कमजोर और गरीब परिवार का हूं. अगर बोरा नहीं बिका, और वेतन काटे गए तो हम सड़क पर आ जाएंगे. हमारे परिवार को भूखों मरने की स्थिति आ जाएगी. इसलिए मैने सरकार के आदेश का पालन किया हूं, लेकिन दुर्भाग्यवश एक भी बोरा नहीं बिका है. हम मुख्यमंत्री से आग्रह करना चाहते हैं कि बच्चे हमसे शिक्षा लेने आएं न कि बोरा खरीदने. कृपया ऐसे आदेश को वापल लें."- मो.तमिजुद्दीन, प्रभारी प्रधानाध्यक, प्राथमिक विद्यालय, कांताडीह कदवा

यहां ध्यान दें कि शिक्षा विभाग के आदेश में यह भी कहा गया है कि जो शिक्षक बोरा बेचकर राशि विभाग को नहीं भेजेंगे, उनके वेतन से बोरे की राशि काट ली जाएगी. अब मरता क्या ना करता. प्राथमिक विद्यालय, कांताडीह कदवा के प्रभारी प्रधानाध्यक मो.तमिजुद्दीन ने माथे पर बचे-खुचे फटे-पुराने बोरों को गट्ठर को माथे पर लादकर गली-गली बेचना शुरू कर दिया है.

Last Updated : Aug 8, 2021, 3:32 PM IST
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