कटिहारः जिले में विद्यालय रसोइया संघ का सम्मेलन आयोजित किया गया. सम्मेलन में जिले के कई सरकारी स्कूलों से रसोइयों ने भाग लिया. इस दौरान रसोइयों ने अपनी मांगे पूरी करने के लिए सरकार से गुहार लगाई.
इस मौके पर बिहार राज्य रसोइया संघ के जिला अध्यक्ष मो. मूसा ने बताया कि पूरे सूबे में करीब ढाई लाख रसोइया कार्यरत हैं. सरकारी विद्यालयों में कार्यरत मध्यान्ह रसोइयों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा प्राप्त नहीं है. सभी रसोइयों को बारह महीने में से मात्र दस महीने का ही मात्र भुगतान मिलता है. साथ ही उन्हें कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं भी नहीं मिली है.
खाना बनाने के अलावा होते हैं कई काम
सम्मेलन में शामिल होने आई इंदिरा देवी ने बताया कि भोजन बनाने के अलावा उनसे स्कूलों में कई अन्य काम लिये जाते हैं. जैसे रात्रि प्रहरी, साफ-सफाई , शौचालय सफाई, स्कूल का ताला खोलना आदि. लेकिन इन सभी कामों के लिए उन्हें कोई पैसा नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि रसोइयों की सरकार से मांग है कि मध्यान्ह भोजन कर्मियों को स्कूल की चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाए.
क्या है रसोईयों की मांग
रसोईयों की मांग है कि साल में बारह महीने का भुगतान उनके बैंक खाते के माध्यम से होना चाहिये. 180 दिन के वेतन के साथ मातृत्व अवकाश भी मिलना चाहिए. साथ ही चिकित्सा बीमा हो और मृत्यु होने पर पांच लाख रुपये की क्षति पूर्ति दिया जाए. वहीं सभी रसोईयों को कार्यस्थल पर सुविधा भी दिया जाए. इस दौरान इंदिरा देवी ने बताया कि पन्द्रह सौ रुपये के मासिक का मतलब पचास रुपये प्रतिदिन का होता है. पूरे देश में कहीं इतने कम मानदेय पर लोग काम नहीं करते हैं.