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ग्राउंड रिपोर्ट: कराहते हुए बोले बाढ़ पीड़ित- 3 दिनों से नहीं मिला खाना, पी रहे हैं बाढ़ का पानी - katihar

सूबे में आई बाढ़ खास कर बुजुर्गों के लिए आफत बनी हुई है. जिनका एक जगह से दूसरे जगह पलायन करना भी मुहाल है. कटिहार के एक गांव में दो बुजुर्ग 3 दिन से भुखे प्यासे मचान पर पड़े थे.

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Published : Jul 18, 2019, 10:23 AM IST

कटिहारः नेपाल से आए प्रलयकारी जल ने दंडखोरा प्रखंड के नोहडी गांव को पूरी तरह से डूबा दिया है. बस्ती में घुसे सैलाब के पानी में कई जिंदगी मचानों पर बेबस पड़ी है. 3 दिन हो गए यहां चूल्हा तक नहीं जला है. बाढ़ के पानी में घिरे पीड़ितों ने बताया कि तीन दिनों से खाना नसीब नहीं हुआ है. बाढ़ का पानी पी कर जिंदा हैं.

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बाढ़ में फंसा व्यक्ति

बुजुर्गों के लिए आफत बनी बाढ़
ईटीवी भारत के संवाददाता जब खबर संग्रहित करने के सिलसिले में यहां पहुंचे तो मंजर देखकर हैरान रह गए. उन्होंने 3 दिनों से भूखे पेट पानी में फंसे दो लोगों को किसी तरह बाहर निकाला और तब तक आस-पास के ग्रामीण भी मदद को जुट गए. दंडखोरा प्रखंड के नोहडी गांव में बाढ़ के पानी ने आफत मचा रखी है. गांव में पानी घुस आने के कारण कई लोग यहां से पलायन कर चुके हैं.

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बाढ़ पीड़ितों को बाहर निकालते रिपोर्टर
भूखे पेट मचानों पर ले रहे शरण
जब ईटीवी भारत सामाजिक सरोकार से जुड़े इस खबर को संकलन करने यहां पहुंचा तो देखा कि पानी के बीच फंसे दो बुजुर्ग मदद की आस में टकटकी लगाए मचान पर बैठे हैं. पीड़ितों ने अपनी आप बीती सुनाई कि पिछले 3 दिनों से गांव में पानी घुस आया है. जिस कारण सारे लोग ऊंचे स्थानों पर चले गए हैं और भूखे पेट किसी मदद की आस में बैठे थे.
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पानी पार कर गांव से बाहर निकते लोग

नहीं पहुंचे सरकार के अधिकारी
बाढ़ पीड़ित बताते हैं कि सरकार की तरफ से अभी तक मदद के लिए कोई हाथ आगे नहीं बढ़ा है. इस गांव का शहरों से सड़क संपर्क पूरी तरह से टूट चुका है, लिहाजा अधिकारी दूसरे गांव से ही लौट जाते हैं. यह दर्द सिर्फ एक गांव या बस्ती का नहीं है. बल्कि कटिहार के छह प्रखंड के सैकड़ों गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. जिसमें लाखों की आबादी बुरी तरह प्रभावित हुई है. सरकारी मदद भी नसीब नहीं है और कागजी खानापूर्ति कर कैंप लगाया जा रहे है.

बाढ़ के पानी में डूबा गांव और मचान बैठे बुजुर्ग

नहीं हो रहा आदेश का अनुपालन
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सूबे के प्रशासनिक अफसरों को हर बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आदेश दे रखा है. लेकिन इसका अनुपालन अब तक ठीक से नहीं हो रहा है. अफसर सीएम की बातों को एक कान से सुन दूसरे कान से निकाल देते हैं. नतीजा यह है कि कई जगहों पर बाढ़ पीड़ितों को कोई मदद नहीं मिल रही है.

कटिहारः नेपाल से आए प्रलयकारी जल ने दंडखोरा प्रखंड के नोहडी गांव को पूरी तरह से डूबा दिया है. बस्ती में घुसे सैलाब के पानी में कई जिंदगी मचानों पर बेबस पड़ी है. 3 दिन हो गए यहां चूल्हा तक नहीं जला है. बाढ़ के पानी में घिरे पीड़ितों ने बताया कि तीन दिनों से खाना नसीब नहीं हुआ है. बाढ़ का पानी पी कर जिंदा हैं.

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बाढ़ में फंसा व्यक्ति

बुजुर्गों के लिए आफत बनी बाढ़
ईटीवी भारत के संवाददाता जब खबर संग्रहित करने के सिलसिले में यहां पहुंचे तो मंजर देखकर हैरान रह गए. उन्होंने 3 दिनों से भूखे पेट पानी में फंसे दो लोगों को किसी तरह बाहर निकाला और तब तक आस-पास के ग्रामीण भी मदद को जुट गए. दंडखोरा प्रखंड के नोहडी गांव में बाढ़ के पानी ने आफत मचा रखी है. गांव में पानी घुस आने के कारण कई लोग यहां से पलायन कर चुके हैं.

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बाढ़ पीड़ितों को बाहर निकालते रिपोर्टर
भूखे पेट मचानों पर ले रहे शरण
जब ईटीवी भारत सामाजिक सरोकार से जुड़े इस खबर को संकलन करने यहां पहुंचा तो देखा कि पानी के बीच फंसे दो बुजुर्ग मदद की आस में टकटकी लगाए मचान पर बैठे हैं. पीड़ितों ने अपनी आप बीती सुनाई कि पिछले 3 दिनों से गांव में पानी घुस आया है. जिस कारण सारे लोग ऊंचे स्थानों पर चले गए हैं और भूखे पेट किसी मदद की आस में बैठे थे.
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पानी पार कर गांव से बाहर निकते लोग

नहीं पहुंचे सरकार के अधिकारी
बाढ़ पीड़ित बताते हैं कि सरकार की तरफ से अभी तक मदद के लिए कोई हाथ आगे नहीं बढ़ा है. इस गांव का शहरों से सड़क संपर्क पूरी तरह से टूट चुका है, लिहाजा अधिकारी दूसरे गांव से ही लौट जाते हैं. यह दर्द सिर्फ एक गांव या बस्ती का नहीं है. बल्कि कटिहार के छह प्रखंड के सैकड़ों गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. जिसमें लाखों की आबादी बुरी तरह प्रभावित हुई है. सरकारी मदद भी नसीब नहीं है और कागजी खानापूर्ति कर कैंप लगाया जा रहे है.

बाढ़ के पानी में डूबा गांव और मचान बैठे बुजुर्ग

नहीं हो रहा आदेश का अनुपालन
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सूबे के प्रशासनिक अफसरों को हर बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आदेश दे रखा है. लेकिन इसका अनुपालन अब तक ठीक से नहीं हो रहा है. अफसर सीएम की बातों को एक कान से सुन दूसरे कान से निकाल देते हैं. नतीजा यह है कि कई जगहों पर बाढ़ पीड़ितों को कोई मदद नहीं मिल रही है.

Intro:कटिहार

3 दिनों से भूखे पेट मचान पर तड़प रही है जिंदगी। बस्ती में घुस आया है सैलाब का जलजला। गांव में नेपाल से आया जल प्रलय ने लिख डाली थी तबाही का मंजर। ईटीवी भारत जब खबर बनाने के सिलसिले में पहुंचा दंडखोरा पंचायत के नोहडी गांव तो वाकया देखकर दंग रह गया। किसी तरह पीड़ित को बाहर निकाला और तब तक आसपास के ग्रामीण भी मदद को जुट गए।


Body:दंडखोरा प्रखंड के नोहडी गांव नेपाल से आए जल प्रलय ने इस गांव में आफत मचा डाली है। गांव में पानी घुस आने के कारण सारे लोग पलायन कर गए हैं और 3 दिन हो गए हैं चूल्हे तक नहीं जले हैं। जब ईटीवी भारत सामाजिक सरोकार से जुड़े इस खबर को संकलन करने पानी के बीच जब इस गांव पहुंचा तो दो बुजुर्ग निगाहें टकटकी लगाकर मचान पर मदद की आस में बैठे थे।

पीड़ितो ने अपनी आपबीती बताई कि पिछले 3 दिनों से गांव में पानी घुस आया है जिस कारण सारे लोग ऊंचे स्थानों पर चले गए हैं और भूखे पेट व किसी के आस में बैठे थे ताकि कोई मदद का हाथ बढाए और पेट की आग बुझे। बाढ़ पीड़ित बताते हैं सरकार की ओर से अभी तक मदद का कोई हाथ आगे नहीं बढ़ा है। इस गांव का शहरों से सड़क संपर्क पूरी तरह से टूट चुका है लिहाजा अधिकारी दूसरे गांव से ही लौट जाते हैं।

यह दर्द सिर्फ एक गाँव या बस्ती का नहीं है बल्कि कटिहार के छह प्रखंड के सैकड़ों गांव बाढ़ से प्रभावित हैं जिसमें लाखों की आबादी बुरी तरह प्रभावित हुई है। सरकारी मदद मयस्सर नहीं है और कागजी खानापूर्ति पर कैंप लगाया जा रहे हैं।


Conclusion:हाय रे प्रशासन! मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सूबे के प्रशासनिक अफसरों को हर बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आदेश दे रखा है लेकिन इसका अनुपालन आज तक नहीं हो पाया है और अफसर मुख्यमंत्री की बातों को एक कान से सुन दूसरे कान से निकाल देते हैं नतीजा यह है बाढ़ पीड़ितों को एक अनाज के दाने तक मदद को नहीं मिली है पेट की भूख मिटाने को कौन कहे। अब देखना बाकी है की सरकारी मदद इन पीड़ितों तक कब तक मिल पाएगी या फिर यह पीड़ित भूखे पेट दम तोड़ देंगे।
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