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सरसों तेल की कीमतों को देख किसानों ने बदला ट्रेंड, किसानों ने कहा- अब घर का ही...

सरसों तेल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए कटिहार के किसान इन दिनों सरसों की खेती करनी शुरू (Mustard Cultivation) कर दिए हैं. किसान का पूरा परिवार इस कड़ाके की ठंड में भी खेती करने में जुटा हुआ है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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Published : Jan 8, 2022, 12:09 PM IST

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सरसों की खेती

कटिहार: बिहार के कटिहार जिले के किसान इन दिनों गेहूं, मक्का और धान की परंपरागत खेती को छोड़कर सरसों की खेती (Mustard Cultivation In Katihar) में जुटे हुए हैं. इसका कारण सरसों के तेल के दामों (Mustard Price Hike) वृद्धि होना है. कटिहार के किसानों ने अपने ट्रेंड को बदल लिया है. किसानों को उम्मीद है कि यह खेती उनके सालों भर के घरेलू खाद्य तेलों के जरूरतों के अलावा इतनी हो सकती है कि वह अतिरिक्त सरसों को बाजार में बेचकर आमदनी कर सकते हैं.

इसे भी पढ़ें: पर्व त्योहारों में बढ़ गए खाद्य तेलों के दाम, इससे पहले भी हुई थी बढ़त

बाजार में एक लीटर सरसों के तेल की कीमत लगभग 220 रुपये के करीब पहुंच गयी है. यह कीमत किसानों के घरेलू खर्च को जोरदार झटका दे रही है. डंडखोरा प्रखंड के सिहला गांव के किसान हाड़ कंपकपाने वाले शीतलहर के बावजूद पूरे परिवार के साथ सरसों ( Mustard Crop ) की खेती कर रहे हैं.

सरसों की खेती करते हुए किसान.

ये भी पढ़ें: Patna में गृहणियों ने कहा- बढ़ती महंगाई ने बिगाड़ा रसोई का बजट

किसान की पत्नी भी सरसों की खेती में अपने पति का हाथ कुशलता से बटवां रही हैं. पांच से छह व्यक्तियों के परिवार में यदि दोनों वक्त सब्जी रोटी बनती हैं, तो एक लीटर सरसों तेल बमुश्किल चार से पांच दिन चलता है. ऐसे में किसानों ने कमरतोड़ महंगाई से निजात पाने के लिये खेती में अपना ट्रेंड बदल लिया हैं. इसके साथों ही किसानों ने सरसों की खेती शुरू कर दी है.

'सरसों की यह खेती हमलोगों के वरदान साबित हो सकती है. क्योंकि घरेलू खाद्य तेलों की जरूरतों को अलावा इतनी तो उपज निश्चित हो जायेगी कि कुछ जरूरत के अलावा आमदनी भी हो जाए.' -जगदीश केवट, किसान

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कटिहार: बिहार के कटिहार जिले के किसान इन दिनों गेहूं, मक्का और धान की परंपरागत खेती को छोड़कर सरसों की खेती (Mustard Cultivation In Katihar) में जुटे हुए हैं. इसका कारण सरसों के तेल के दामों (Mustard Price Hike) वृद्धि होना है. कटिहार के किसानों ने अपने ट्रेंड को बदल लिया है. किसानों को उम्मीद है कि यह खेती उनके सालों भर के घरेलू खाद्य तेलों के जरूरतों के अलावा इतनी हो सकती है कि वह अतिरिक्त सरसों को बाजार में बेचकर आमदनी कर सकते हैं.

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बाजार में एक लीटर सरसों के तेल की कीमत लगभग 220 रुपये के करीब पहुंच गयी है. यह कीमत किसानों के घरेलू खर्च को जोरदार झटका दे रही है. डंडखोरा प्रखंड के सिहला गांव के किसान हाड़ कंपकपाने वाले शीतलहर के बावजूद पूरे परिवार के साथ सरसों ( Mustard Crop ) की खेती कर रहे हैं.

सरसों की खेती करते हुए किसान.

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किसान की पत्नी भी सरसों की खेती में अपने पति का हाथ कुशलता से बटवां रही हैं. पांच से छह व्यक्तियों के परिवार में यदि दोनों वक्त सब्जी रोटी बनती हैं, तो एक लीटर सरसों तेल बमुश्किल चार से पांच दिन चलता है. ऐसे में किसानों ने कमरतोड़ महंगाई से निजात पाने के लिये खेती में अपना ट्रेंड बदल लिया हैं. इसके साथों ही किसानों ने सरसों की खेती शुरू कर दी है.

'सरसों की यह खेती हमलोगों के वरदान साबित हो सकती है. क्योंकि घरेलू खाद्य तेलों की जरूरतों को अलावा इतनी तो उपज निश्चित हो जायेगी कि कुछ जरूरत के अलावा आमदनी भी हो जाए.' -जगदीश केवट, किसान

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