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कटिहार: पक्ष में निर्णय आने के बाद भी दखल और रसीद के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे किसान - लापरवाह अफसर शाही

सीताराम चंद्रवंशी बताते हैं कि लापरवाह अफसर शाही की वजह से उनका हक नहीं मिल पा रहा है. 3 साल पहले हमारे पक्ष में जजमेंट आया लेकिन पदाधिकारी जमीन का दखल और रसीद देने से इनकार कर रहे हैं. बताया कि 50 से भी अधिक गरीब किसान हैं. जो आज भी सरकारी कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं.

KATIHAR
पीड़ित किसान
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Published : Jan 10, 2020, 9:14 PM IST

कटिहार: जिले में गरीबों के आशियानें बस नहीं पा रहे हैं. मामला बरारी प्रखंड के मोहना चांदपुर का है. जहां 3 साल पहले कुछ गरीबों के पक्ष में कोर्ट का निर्णय आया, लेकिन दखल और रसीद कटाने के लिए वह सरकारी कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं. इनकी माने तो अधिकारियों की मनमानी से यह परेशान हैं. घर नहीं होने के चलते इन्हे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

'टालमटोल कर रहे अंचलाधिकारी'
पीड़ित किसान कटिहार समाहरणालय में अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं. यह किसान बरारी प्रखंड के मोहना चांदपुर से आए हैं. उन्होंने बताया कि 3 साल पहले उन्हें अनुमंडल भूमि उप समाहर्ता के कोर्ट से जमीन के स्वामित्व का अधिकार मिल गया, लेकिन उससे बड़ी लड़ाई अब यह अधिकारियों से लड़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि स्वामित्व के कागजात मिलने के बाद भी उक्त जमीन के लिए रसीद और दखल लेनी पड़ती है. जो नहीं मिल पा रही है. मोहना चांदपुर निवासी मुरारी राम बताते हैं कि हमारे पक्ष में जजमेंट मिला है. साथ ही अंचल अधिकारी को दखल देने और रसीद काटने के लिए निर्देशित किया गया है. लेकिन अंचलाधिकारी टाल मटोल कर टहला देते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'जमीन का दखल करने से इनकार कर रहे अधिकारी'
सीताराम चंद्रवंशी बताते हैं कि लापरवाह अफसर शाही की वजह से उनका हक नहीं मिल पा रहा है. 3 साल पहले हमारे पक्ष में जजमेंट आया लेकिन पदाधिकारी जमीन का दखल और रसीद देने से इनकार कर रहे हैं. बताया कि 50 से भी अधिक गरीब किसान हैं. जो आज भी सरकारी कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं. उन्होंने कहा कि निर्णय के 3 साल हो गए हैं. अभी तक जमीन का दखल और रसीद नहीं काटा गया है. लिहाजा जिलाधिकारी को फिर से आवेदन देने आए हैं.

कटिहार: जिले में गरीबों के आशियानें बस नहीं पा रहे हैं. मामला बरारी प्रखंड के मोहना चांदपुर का है. जहां 3 साल पहले कुछ गरीबों के पक्ष में कोर्ट का निर्णय आया, लेकिन दखल और रसीद कटाने के लिए वह सरकारी कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं. इनकी माने तो अधिकारियों की मनमानी से यह परेशान हैं. घर नहीं होने के चलते इन्हे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

'टालमटोल कर रहे अंचलाधिकारी'
पीड़ित किसान कटिहार समाहरणालय में अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं. यह किसान बरारी प्रखंड के मोहना चांदपुर से आए हैं. उन्होंने बताया कि 3 साल पहले उन्हें अनुमंडल भूमि उप समाहर्ता के कोर्ट से जमीन के स्वामित्व का अधिकार मिल गया, लेकिन उससे बड़ी लड़ाई अब यह अधिकारियों से लड़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि स्वामित्व के कागजात मिलने के बाद भी उक्त जमीन के लिए रसीद और दखल लेनी पड़ती है. जो नहीं मिल पा रही है. मोहना चांदपुर निवासी मुरारी राम बताते हैं कि हमारे पक्ष में जजमेंट मिला है. साथ ही अंचल अधिकारी को दखल देने और रसीद काटने के लिए निर्देशित किया गया है. लेकिन अंचलाधिकारी टाल मटोल कर टहला देते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'जमीन का दखल करने से इनकार कर रहे अधिकारी'
सीताराम चंद्रवंशी बताते हैं कि लापरवाह अफसर शाही की वजह से उनका हक नहीं मिल पा रहा है. 3 साल पहले हमारे पक्ष में जजमेंट आया लेकिन पदाधिकारी जमीन का दखल और रसीद देने से इनकार कर रहे हैं. बताया कि 50 से भी अधिक गरीब किसान हैं. जो आज भी सरकारी कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं. उन्होंने कहा कि निर्णय के 3 साल हो गए हैं. अभी तक जमीन का दखल और रसीद नहीं काटा गया है. लिहाजा जिलाधिकारी को फिर से आवेदन देने आए हैं.

Intro:कटिहार

3 साल पहले गरीब किसानों के हक में दिया गया था जजमेंट, अधिकारियों के अफसरशाही के वजह से नहीं मिल पाया इन गरीब किसानों को जमीन पर दखल, गरीब किसान रसीद कटवाने के लिए काट रहे हैं अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर।


Body:ANCHOR_सरकार गरीबों को बसाने के लिए 3 डिसमिल जमीन मुफ्त में देने की बात करती है लेकिन कटिहार में गरीबों के आशियाने बस नहीं पा रहे हैं। 3 साल पहले बरारी प्रखंड के मोहना चांदपुर के कुछ गरीबों के पक्ष में कोर्ट का निर्णय आया लेकिन दखल और रसीद कटाने के लिए वह कई कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं। इन गरीबों की माने तो अधिकारियों की मनमानी से यह परेशान हैं और उम्र के आखिरी पड़ाव में एक अदद घर देख पाएंगे कि नहीं इस पर भी अंदेशा है।

V.O1_ कटिहार समाहरणालय में अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं यह गरीब जिले के बरारी प्रखंड के मोहना चांदपुर से आए हैं। 3 साल पहले इन्हें अनुमंडल भूमि उप समाहर्ता के कोर्ट से जमीन के स्वामित्व का अधिकार मिल गया लेकिन उससे बड़ी लड़ाई अब यह अधिकारियों से लड़ रहे हैं। बताया यह जा रहा है स्वामित्व के कागजात मिलने के बाद उक्त जमीन के लिए रसीद और दखल लेनी पड़ती है जो इन्हें मिल नहीं पा रहा है। अधिकारी इधर-उधर की बात कर इन्हें टहला देते हैं और यह ग्रामीण बुजुर्ग ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होने के कारण भटकने को मजबूर है।

BYTE1_ मोहना चांदपुर गांव के स्थानीय निवासी मुरारी राम बताते हैं हम गरीब किसानों को डीसीएलआर के यहाँ से इनके पक्ष में जजमेंट मिला है और अंचल अधिकारी को दखल देने और रसीद काटने के लिए निर्देशित किया गया है लेकिन अंचलाधिकारी टालमटोल कर बहला देते हैं निर्णय को 3 साल हो गया लेकिन अभी तक जमीन का दखल और रसीद नहीं काटा जाता है लिहाजा जिला पदाधिकारी को फिर से आवेदन देने आए हैं।

BYTE2_ वही सीताराम चंद्रवंशी बताते हैं अफसरशाही के वजह से इन गरीबों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। 3 साल पहले इनके पक्ष में जजमेंट आया लेकिन पदाधिकारी जमीन का दखल और रसीद देने से इनकार करते हैं। 50 से भी अधिक गरीब किसान है जो आज भी अधिकारियों के कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं।

BYTE3_ लखन राम चंद्रवंशी बताते हैं पिछले 25 वर्षों से जिला से लेकर पटना तक के सभी कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं। अफसरशाही के वजह से हम गरीब गुलाम हो गए हैं। 3 साल पूर्व हमारे पक्ष में जजमेंट आने के बावजूद अधिकारी सुनने को तैयार नहीं होते। उम्र के इस अंतिम पड़ाव में अब कहां जाएं कैसे रहे कोई सुनने वाला नहीं।


Conclusion:मामला जो भी हो लेकिन यदि हमारे राज्य में गरीब दौड़ रहा है और अधिकारी बेपरवाह है इसका मतलब सुशासन नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भूमि संबंधी जटिल समस्याओं के निराकरण के लिए किए जा रहे हैं दावे इन अधिकारियों के सामने बौनी दिखती है। इनमें से कुछ लोग तो ऐसे हैं जिनके आशा बढ़ती उम्र के कारण धीरे-धीरे टूटने लगे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि समाज के इन गरीबों को कब तक इन्हें मुकम्मल हक मिल पाता है।
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