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फूल की खेती कर यहां तीन गुना ज्यादा मुनाफा कमा रहे किसान

गोविंदपुर गांव के किसान लक्ष्मी चौहान की तकदीर बदलने लगी है. वे परंपरागत खेती छोड़कर गेंदा के फूल की खेती से लाखों की कमाई कर रहे हैं. इसमें उनका पूरा परिवार सहयोग करता है.

ट्रेंड बदल फूल की खेती कर रहे किसान
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Published : Nov 11, 2019, 2:12 PM IST

कटिहारः बदलते जमाने के साथ अब किसान भी अपना खेती का ट्रेंड बदलने लगे हैं. वे परंपरागत धान, मक्का, गेहूं छोड़ बड़े पैमाने पर नगदी फसलों की खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं. इसी कड़ी में जिले के रौतारा थाना क्षेत्र में गोविंदपुर गांव का एक किसान गेंदा के फूल की खेती से जुड़ चुका है.

कटिहार के खेतों में लहलहा रहे गेंदे का फूल पूरे क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बन गया है. फूलों की खेती कर गोविंदपुर गांव के किसान लक्ष्मी चौहान की तकदीर बदलने लगी है. इससे वे लाखों में कमाई कर अपना जीवन सुदृढ़ बना रहे हैं.

ट्रेंड बदल फूल की खेती कर रहे किसान

फूलों की खेती में 3 गुना ज्यादा फायदा
राणा प्रताप चौहान ने बताया कि धान और गेहूं को सिर्फ एक बार काटा जाता है लेकिन फूल को 10 बार से ज्यादा तोड़ सकते हैं. परंपरागत खेती की अपेक्षा फूलों में 3 गुना ज्यादा फायदा है. उन्होंने बताया कि सरकारी मदद के बिना वे फूलों की खेती कर रहे हैं और उसे बाजारों में थोक भाव में बेच रहे हैं.

katihar
किसान लक्ष्मी चौहान

तीस हजार रूपये की लागत से लाखों का मुनाफा
किसान लक्ष्मी चौहान ने बताया कि वे पिछले 4 सालों से फूलों की खेती कर रहे हैं. 12 कट्ठा की फूल की खेती में लगभग तीस हजार रूपये की लागत आई है और मुनाफा लाखों में हो रहा है. उन्होंने बताया कि नजदीकी मार्केट में थोक भाव में 100 रूपये प्रति कुड़ी फूलों की बिक्री करते हैं.

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माला बनाते किसान

पूरा परिवार करता है सहयोग
किसान ने बताया कि पूरा परिवार फूलों की खेती से जुड़ा हुआ है. फूलों का महत्व सभी धर्मों में है. पूजा-पाठ और शादी-ब्याह के लग्न के समय फूलों की डिमांड बढ़ जाती है ऐसे वक्त में पूरा परिवार दिन रात मेहनत कर ग्राहकों को फूल पहुंचाता है.

कटिहारः बदलते जमाने के साथ अब किसान भी अपना खेती का ट्रेंड बदलने लगे हैं. वे परंपरागत धान, मक्का, गेहूं छोड़ बड़े पैमाने पर नगदी फसलों की खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं. इसी कड़ी में जिले के रौतारा थाना क्षेत्र में गोविंदपुर गांव का एक किसान गेंदा के फूल की खेती से जुड़ चुका है.

कटिहार के खेतों में लहलहा रहे गेंदे का फूल पूरे क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बन गया है. फूलों की खेती कर गोविंदपुर गांव के किसान लक्ष्मी चौहान की तकदीर बदलने लगी है. इससे वे लाखों में कमाई कर अपना जीवन सुदृढ़ बना रहे हैं.

ट्रेंड बदल फूल की खेती कर रहे किसान

फूलों की खेती में 3 गुना ज्यादा फायदा
राणा प्रताप चौहान ने बताया कि धान और गेहूं को सिर्फ एक बार काटा जाता है लेकिन फूल को 10 बार से ज्यादा तोड़ सकते हैं. परंपरागत खेती की अपेक्षा फूलों में 3 गुना ज्यादा फायदा है. उन्होंने बताया कि सरकारी मदद के बिना वे फूलों की खेती कर रहे हैं और उसे बाजारों में थोक भाव में बेच रहे हैं.

katihar
किसान लक्ष्मी चौहान

तीस हजार रूपये की लागत से लाखों का मुनाफा
किसान लक्ष्मी चौहान ने बताया कि वे पिछले 4 सालों से फूलों की खेती कर रहे हैं. 12 कट्ठा की फूल की खेती में लगभग तीस हजार रूपये की लागत आई है और मुनाफा लाखों में हो रहा है. उन्होंने बताया कि नजदीकी मार्केट में थोक भाव में 100 रूपये प्रति कुड़ी फूलों की बिक्री करते हैं.

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माला बनाते किसान

पूरा परिवार करता है सहयोग
किसान ने बताया कि पूरा परिवार फूलों की खेती से जुड़ा हुआ है. फूलों का महत्व सभी धर्मों में है. पूजा-पाठ और शादी-ब्याह के लग्न के समय फूलों की डिमांड बढ़ जाती है ऐसे वक्त में पूरा परिवार दिन रात मेहनत कर ग्राहकों को फूल पहुंचाता है.

Intro:कटिहार

बदलते जमाने के साथ अब किसान भी अपना खेती का ट्रेंड बदलने लगे हैं और परंपरागत खेती धान, मक्का, गेहूं की खेती छोड़ नगदी फसलों का खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं और लाखों की कमाई कर रहे हैं। गेंदा फूल की खेती कर लाखों कमाई कर रहे हैं और अपना जीवन सुदृढ़ बना रहे हैं।

Body:दरअसल कटिहार के रौतारा थाना क्षेत्र के गोविंदपुर गांव में एक किसान परंपरागत खेती को छोड़ गेंदा फूल की खेती में जुड़ चुके हैं। खेतों में लहलहा रहे गेंदे का फूल पूरे क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बन गया है। फूलों की खेती कर गोविंदपुर गांव के किसान लक्ष्मी चौहान की तकदीर बदलने लगी है। फूल की खेती से उन्हें मुनाफा भी हो रहा है और लाखों में कमाई कर अपना जीवन सुदृढ़ बना रहे हैं।

परंपरागत फसले धान, गेहूं और मक्का में मुनाफा नहीं होने के कारण यह परिवार फूलों के खेती की ओर रुख कर गए और आज इनकी चर्चा पूरे इलाके में हो रही है। राणा प्रताप चौहान बताते हैं फूल की खेती से ज्यादा मुनाफा हो रहा है। धान और गेहूं को सिर्फ एक बार काटा जाता है लेकिन फूल को 10 बार से ज्यादा तोड सकते हैं। धान और गेहूं की अपेक्षा फूलों में 3 गुना ज्यादा फायदा है। बगैर किसी सरकारी सहयोग से फूलों की खेती कर रहे हैं और उसे बाजारों में थोक भाव में बेच रहे हैं।

किसान लक्ष्मी चौहान बताते हैं पिछले 4 वर्षों से फूलों की खेती कर रहे हैं और धान गेहूं से ज्यादा फायदा कमा रहे हैं। 12 कट्ठा में लगा फूल की खेती में लगभग ₹30000 की लागत आई है और मुनाफा लाखों में हो रहा है। फूल के लिए ग्राहकों की कमी भी नहीं है। ऑर्डर आने पर एक दिन पहले से ही माला तैयार किया जाता है फिर ग्राहकों तक पहुंचा दिया जाता है। नजदीकी मार्केट पूर्णिया शहर में थोक भाव में ₹100 प्रति कुड़ी फूलों की बिक्री करते हैं।

किसान बताते हैं 5 साल पहले फूल की दुकान में काम करते थे दुकान में रहते रहते हैं उन्होंने सोचा फूल की खेती किया जाए और कोलकाता से ₹300 प्रति हजार फूलों का पौधा लाकर खेतों में लगा दिया। फूल की खेती में किसी भी सरकारी मदद की जरूरत नहीं पड़ी और ना हीं सरकार ने किसी तरह की मदद की है। प्रति बीघा फूल की खेती में लगभग ₹50000 की लागत आती है वही मुनाफा लाखों में है। खेतों में फूल का पौधा लगने के 2 महीने बाद से पौधे में फूल आने लगते हैं जिसे लगभग 10 से ज्यादा बार तोड सकते हैं। किसान बताते हैं गर्मी के मौसम में थोड़ा बहुत पानी की जरूरत होती है लेकिन ठंड के मौसम में गेंदा फूल में पानी की जरूरत नहीं होता। मौसम अनुसार पानी की जरूरत होती है। जैसा फूल लगाएंगे वैसा पटवन फूलों में लगते हैं।

Conclusion:पूरा परिवार करते हैं सहयोग

गोविंदपुर गांव के किसान लक्ष्मी चौहान का पूरा परिवार फूलों की खेती से जुड़े हुए हैं घर का हर एक सदस्य गेंदा फूलों की खेती के पीछे अपना समय देते हैं। फूल खेतों में लगाने से लेकर फूल तोड़ने और उसे घरों में ले जाकर माला बनाकर मार्केट पहुंचाने तक सभी जगह सभी सदस्य का पूरा योगदान और सहयोग रहता है।

पूजा-पाठ और लग्न में बढ़ जाती है फूलों की मांग

फूलों का महत्व सभी धर्मों में है। चाहे वह हिंदू धर्म में पूजा पाठ हो या शादी ब्याह सभी जगहों पर फूलों की जरूरत होती है। पूजा-पाठ और शादी-ब्याह के लग्न के वक्त फूलों की डिमांड बढ़ जाती है ऐसे वक्त में पूरा परिवार दिन रात मेहनत कर अपने ग्राहकों को फुल पहुंचाते हैं।
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