कटिहार: जिले के किसानों का रुझान इन दिनों नकदी फसल और परंपरागत खेती को छोड़कर अनानास की खेती की ओर देखने को मिल रहा है. किसानों की मानें तो परंपरागत खेती की तुलना में अनानास की खेती में कई गुना अधिक फायदा है. किसान इससे नया आयाम हासिल कर रहे हैं.
वैसे तो कटिहार परंपरागत खेती के लिए जाना जाता है. यहां धान, मक्का की खूब खेती की जाती है. लेकिन प्रत्येक साल आने वाली बाढ़ के कारण किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाती है. जिस कारण किसानों की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है. परंपरागत खेती से लगातार हो रहे नुकसान के बाद किसानों ने खेती का ट्रेंड चेंज किया और अब कैश क्रॉप्स की खेती करना शुरू कर दिए हैं.
किसानों के खिले चेहरे
जिले के हसनगंज प्रखंड के नवादा गांव के किसान संजय कुमार महतो पहले ऐसे किसान हैं जिन्होंने अनानास की खेती शुरू की. 10 कट्ठा में अनानास की खेती की शुरुआत कर आज वे दोगुना फायदा कमा रहे हैं. अनानास की खेती अनेक प्रकार के जलवायु में आसानी से की जा सकती है.
ये है आवश्यक्ताएं
अनानास की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. उन्होंने बताया कि अनानास को बरसात के दिनों में उगाया जाता है. खाद की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है. इसकी उत्पादन क्षमता पर नाइट्रोजन और पोटेशियम का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है. इसकी खेती के लिए 15 से 33 डिग्री का तापमान बेहतर माना जाता है.
परंपरागत फसलों से ज्यादा फायदा
किसान संजय कुमार महतो बताते हैं कि धान के फसल के तुलना में अनानास की खेती में कई गुना ज्यादा फायदा है. जिस कारण परंपरागत खेती को छोड़कर अब नकदी फसल की ओर रुख कर गए हैं. इनकी मानें तो किशनगंज में इसकी खेती अधिक की जाती है. जिस कारण कटिहार के बाजारों में किशनगंज की अनानास की बिक्री खूब की जाती है.
30 हजार लागत से 80 हजार का फायदा
किसान बताते हैं 10 कट्ठा में अनानास की खेती में कुल 20 से 30 हजार रुपये की लागत पड़ती है. वहीं अगर फायदा की बात करें तो करीब 80,000 रुपये मुनाफा होता है. वहीं अन्य किसान शिवकुमार महतो बताते हैं कि 1 साल पहले अनानास की खेती की शुरुआत की थी. आज धान के फसल से अधिक फायदा इसकी खेती में हो रहा है.