कटिहार: अपनी मांगों को लेकर जिले के दर्जनों किसान सलाहकारों ने एकजुट होकर आवाज बुलंद की है. बिहार प्रदेश किसान सलाहकार संघ के आह्वान पर 16 प्रखंडों के सभी किसान सलाहकार हड़ताल पर चले गये हैं. उन्होंने अपनी मांगों को अमलीजामा पहनाने के लिये संघर्ष तेज करने की घोषणा की है.
मौके पर कटिहार जिला किसान सलाहकार संघ के जिलाध्यक्ष मो.हुसैन अली ने बताया कि किसान सलाहकार कृषि विभाग के मजबूत आधार स्तंभ हैं. विभाग कृषि सलाहकारों से तकनीकी-गैर तकनीकी सभी प्रकार का कार्य लेता है. समय-समय पर कृषि सलाहकारों को पदाधिकारी भी बनाकर ड्यूटी करा ली जाती है. लेकिन इतने सारे योगदान के बाद भी विभाग हमें अपने कर्मी नहीं मानता.
क्या है किसान सलाहकारों की मांगें?
किसान सलाहकारों नें मांग की है कि विभाग हमें यदि नियमित कर्मी का दर्जा नहीं दे सकता तो कम से कम संविदाकर्मी की घोषणा कर दे. ताकि सलाहकारों का कुछ भला हो. इस मौके पर किसान सलाहकार संघ समेली के प्रखण्ड अध्यक्ष श्रवण कुमार झा ने बताया कि सूबे के सभी जिलों में किसान सलाहकारों ने अपनी मांगों के समर्थन में हड़ताल कर रखा है. कामकाज ठप पड़ा है. यदि सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी तो संघर्ष और भी तेज किया जायेगा.
दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
जिले के मनसाही प्रखण्ड किसान सलाहकार संघ के अध्यक्ष रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि किसान सलाहकारों को बीते छह महीने से मानदेय नहीं मिला है. उन पर दाने-दाने की आफत है. लेकिन सरकार गहरी नींद में सोयी है. उन्होनें सरकार से जल्द से जल्द मांग पूरा करने की गुहार लगायी है. बलरामपुर प्रखण्ड किसान सलाहकार संघ के अध्यक्ष मो. अली रजा ने बताया कि किसान सलाहकारों के हड़ताल से विभाग के कामकाज ठप है. विभाग खानापूर्ति करने में जुटा है. ऐसे में सरकार जल्द से जल्द मांगों पर विचार नहीं करती है तो संघर्ष और भी तेज होगा.
संविदाकर्मी की तरह तय हो वेतनमान
बता दें कि कृषि विभाग में बीते कई वर्षों से कनीय कर्मचारियों की सीधी नियुक्ति नहीं की गयी है. सैकड़ों पद रिक्त हैं. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत किसानों को खेती में मदद के लिए किसान सलाहकारों की जो नियुक्ति की थी, उन किसान सलाहकारों से कृषि विभाग कर्मी जैसा ही कार्य लेने लगा. धीरे-धीरे जमीनी स्तर पर वे विभाग के एक महत्वपूर्ण अंग बन गये हैं.