कटिहारः जिले से एक बार फिर सिस्टम की लापहवाही सामने आयी है. जहां पोस्टमार्टम के लिए परिजनों को पहले तो लंबे समय का इंतजार करना पड़ा, फिर काफी मशक्कत और मामले में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की पहल के बाद डॉक्टरों ने रात के 9 बजे ही पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू कर दी.लेकिन सवाल ये कि आखिर कब तक हम इस बेपरवाह सिस्टम को झेलेंगे ? कब तक संवेदनाओं को जगाना पड़ेगा ? सिस्टम को नैतिकता और जिम्मेदारियों का अहसास कब तक कराना होगा ?
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18 घंटे तक भटकते रहे परिजन
दरअसल, कटिहार के एक शिक्षक की ट्रेन की चपेट में आने के कारण मौत हो जाने के बाद पोस्टमार्टम के लिए उनके परिजनों को काफी मशक्कत करनी पड़ी. हादसा के 18 घंटे के बाद भी जब पोस्टमार्टम नहीं किया गया, तब परिजन काफी परेशान हो गए. परिजना कागजी प्रक्रिया में थाना से अस्पताल और अस्पताल से थाने का चक्कर काटते रहे.
रात में हुआ पोस्टमार्टम
मामला महज इतना ही था कि स्थानीय मुफस्सिल थाना ने सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम हेतु कागजात नहीं दिए थे. इस बात की सूचना जब मीडिया तक पहुंची तो मीडिया के माध्यम से बात जिले के वरीय अधिकारियों को अवगत कराया गया. जिसके बाद जिलाधिकारी के आदेश पर रात 8 बजे के बाद मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए स्वीकृति दे दी गई है. बता दें कि अमूमन रात में पोस्टमार्टम नहीं की जाती है.
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क्या है पूरा मामला?
हुआ यूं कि, कटिहार के सेमापुर प्राथमिक विद्यालय में पदस्थापित शिक्षक विभास कुमार सिंह शनिवार को अपने घर नवगछिया जाने के लिए ट्रेन पकड़ने सेमापुर स्टेशन गए थे. लेकिन स्टेशन पहुंचने पर उनका पैर पटरी में फंस गया. और फिर ट्रेन की चपेट में आने से उनके दोनों पांव कट गए. आनन फानन में उन्हें कटिहार मेडिकल कॉलेज इलाज के लिए लाया जहां उनका इलाज के दौरान रात के 10 बजे मौत हो गई. इसके बाद से ही सिस्टम का लापरवाह खेल शुरू हो गया. वहीं पूरे मामले पर सफाई देते हुए कटिहार सदर अस्पताल के डीएस डाॅ. आशा शरण ने बताया पोस्टमार्टम के लिए कागजात नहीं मिला था, जिस कारण से पोस्टमार्टम में देरी हुई.