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छिड़काव कर्मियों के सामने रोजगार का संकट, 60 दिन काम के बाद ठेला चलाकर करते हैं परिवार का गुजारा

इस संकट की घड़ी में जान जोखिम में डालकर छिड़काव का काम करने वाले छिड़कावकर्मी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार उन्हें सालों भर काम दे, ताकि काम के लिए उन्हें भटकना न पड़े.

छिड़काव
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Published : May 15, 2020, 12:12 PM IST

कटिहार: कोरोना वायरस का प्रकोप पूरे विश्व में बढ़ता ही जा रहा है. दिन-ब-दिन इसका संकट भी गहराता ही जा रहा है. देश में भी इस वायरस से करीब 75 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं. वहीं, करीब 2500 लोगों की मौत हो चुकी है. इस संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. लगातार लोगों से अपने इलाके को साफ सुथरा रखने का निर्देश दिया गया है.

वहीं, अपनी जान को जोखिम में डालकर इलाके को साफ रखने में अहम रोल अदा करने वाले छिड़काव कर्मियों के सामने अब रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. 60 दिनों तक इनसे काम लेने के बाद अब इनके पास काम नहीं है. जिसकी वजह से ये ठेला चलाकर परिवार का गुजारा करने को विवश हैं.

मुश्किल में कोरोना योद्धा
इस महामारी में अपनी जान संकट में डालकर संक्रमित इलाके में डीडीटी और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करने वाले ये योद्धा इस लड़ाई में अहम रोल निभा रहे हैं. कटिहार जिले के शहरी क्षेत्र में एक दर्जन से भी अधिक छिड़काव कर्मी हैं. ये पिछले एक महीने से अपने परिवार और अपनी जान जोखिम में डालकर इस महामारी में हर गली मोहल्लों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कर रहे हैं. कटिहार शहर का अधिकांश हिस्सा संक्रमित इलाका है. जहां लगातार पाउडर का छिड़काव किया जा रहा है.

बता दें कि स्वास्थ्य विभाग के मलेरिया कार्यालय की ओर से इन्हें काम दिया जाता है. लेकिन, एक साल में इन्हें सिर्फ 60 दिनों का ही काम दिया जाता है. ऐसे में अब इनका काम खत्म हो गया है. जिसकी वजह से ये ठेला चलाकर परिवार का भरण पोषण करने को विवश हैं.

कटिहार
छिड़कावकर्मी

समय पर नहीं मिलता पैसा
छिड़कावकर्मी बताते हैं कि वह अपनी जान जोखिम में डालकर पूरे इलाके में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कर रहे हैं. लेकिन, सरकार की ओर से इन्हें पूर्ण रूप से काम नहीं दिया जाता है. जिसकी वजह से इन्हें परिवार चलाने में समस्या होती है. इसले अलावा इन्हें अपने किए काम का पैसा भी समय पर नहीं मिलता है. जो परेशानी को और बढ़ा रहा है.
शहरी क्षेत्र में करीब एक दर्जन से भी अधिक छिड़काव कर्मी हैं, जो सभी गली-मोहल्लों में ब्लीचिंग का छिड़काव कर रहे हैं. उनकी मानें तो करीब 30 साल से इस काम में लगे हुए हैं. लेकिन बराबर काम नहीं मिलने से परेशान हैं.

सरकार से मदद की गुहार
इस संकट की घड़ी में जान जोखिम में डालकर छिड़काव का काम करने वाले छिड़कावकर्मी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार उन्हें सालों भर काम दे ताकि काम के लिए उन्हें भटकना न पड़े. ऐसे में यह बहुती ही जरूरी हो जाता है कि इन कोरोना योद्धाओं की ओर सरकार ध्यान दे और इन्हें सालों भर काम दिलवाएं ताकि वो अपने परिवार की देखभाल सही ढ़ंग से कर सकें.

कटिहार: कोरोना वायरस का प्रकोप पूरे विश्व में बढ़ता ही जा रहा है. दिन-ब-दिन इसका संकट भी गहराता ही जा रहा है. देश में भी इस वायरस से करीब 75 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं. वहीं, करीब 2500 लोगों की मौत हो चुकी है. इस संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. लगातार लोगों से अपने इलाके को साफ सुथरा रखने का निर्देश दिया गया है.

वहीं, अपनी जान को जोखिम में डालकर इलाके को साफ रखने में अहम रोल अदा करने वाले छिड़काव कर्मियों के सामने अब रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. 60 दिनों तक इनसे काम लेने के बाद अब इनके पास काम नहीं है. जिसकी वजह से ये ठेला चलाकर परिवार का गुजारा करने को विवश हैं.

मुश्किल में कोरोना योद्धा
इस महामारी में अपनी जान संकट में डालकर संक्रमित इलाके में डीडीटी और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करने वाले ये योद्धा इस लड़ाई में अहम रोल निभा रहे हैं. कटिहार जिले के शहरी क्षेत्र में एक दर्जन से भी अधिक छिड़काव कर्मी हैं. ये पिछले एक महीने से अपने परिवार और अपनी जान जोखिम में डालकर इस महामारी में हर गली मोहल्लों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कर रहे हैं. कटिहार शहर का अधिकांश हिस्सा संक्रमित इलाका है. जहां लगातार पाउडर का छिड़काव किया जा रहा है.

बता दें कि स्वास्थ्य विभाग के मलेरिया कार्यालय की ओर से इन्हें काम दिया जाता है. लेकिन, एक साल में इन्हें सिर्फ 60 दिनों का ही काम दिया जाता है. ऐसे में अब इनका काम खत्म हो गया है. जिसकी वजह से ये ठेला चलाकर परिवार का भरण पोषण करने को विवश हैं.

कटिहार
छिड़कावकर्मी

समय पर नहीं मिलता पैसा
छिड़कावकर्मी बताते हैं कि वह अपनी जान जोखिम में डालकर पूरे इलाके में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कर रहे हैं. लेकिन, सरकार की ओर से इन्हें पूर्ण रूप से काम नहीं दिया जाता है. जिसकी वजह से इन्हें परिवार चलाने में समस्या होती है. इसले अलावा इन्हें अपने किए काम का पैसा भी समय पर नहीं मिलता है. जो परेशानी को और बढ़ा रहा है.
शहरी क्षेत्र में करीब एक दर्जन से भी अधिक छिड़काव कर्मी हैं, जो सभी गली-मोहल्लों में ब्लीचिंग का छिड़काव कर रहे हैं. उनकी मानें तो करीब 30 साल से इस काम में लगे हुए हैं. लेकिन बराबर काम नहीं मिलने से परेशान हैं.

सरकार से मदद की गुहार
इस संकट की घड़ी में जान जोखिम में डालकर छिड़काव का काम करने वाले छिड़कावकर्मी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार उन्हें सालों भर काम दे ताकि काम के लिए उन्हें भटकना न पड़े. ऐसे में यह बहुती ही जरूरी हो जाता है कि इन कोरोना योद्धाओं की ओर सरकार ध्यान दे और इन्हें सालों भर काम दिलवाएं ताकि वो अपने परिवार की देखभाल सही ढ़ंग से कर सकें.

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