पटनाः बिहार में पटना हाई कोर्ट ने परिमार्जन के आवेदन को काफी समय तक लंबित रखने के मामले में सारण (जलालपुर) के सीओ से जवाब तलब किया है. जस्टिस सत्यव्रत वर्मा ने शशि शेखर द्विवेदी की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता प्रैक्टिस में व्यस्त रहने के कारण म्यूटेशन का कार्य अपने मैनेजर को सौंपा था. बाद में उन्हें पता चला कि उनकी भूमि का केवल आंशिक म्यूटेशन हुआ है.
क्या है मामलाः याचिकाकर्ता ने इसे सुधारने के लिए सारण (जलालपुर) के सीओ के समक्ष आवेदन दिया. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि परिमार्जन के अनुरोध पर सीओ कार्यालय द्वारा रिश्वत की मांगी की गई. रिश्वत नहीं मिलने की स्थिति में उनके आवेदन को अब तक लंबित रखा गया है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 4 दिसंबर 2024 को तय की है.
क्या होता है परिमार्जनः परिमार्जन का अर्थ सुधार या संशोधन होता है. प्रशासनिक संदर्भ में, यह आमतौर पर भूमि रिकॉर्ड, संपत्ति के दस्तावेज़, या राजस्व संबंधी रिकॉर्ड में सुधार, संशोधन, या अपडेट करने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है. जैसे, अगर किसी भूमि रिकॉर्ड में मालिकाना हक, नाम, या अन्य विवरण गलत दर्ज है, तो उसे सही करने के लिए 'परिमार्जन' का आवेदन दिया जाता है. इसी मामले में सीओ (सर्कल ऑफिसर) पर यह आरोप है कि उन्होंने इस प्रकार के आवेदन को लंबी अवधि तक लंबित रखा.
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