पटना: आज के दौर में डॉक्टरों की फीस सातवें आसमान पर है. मरीजों को डॉक्टर के पास जाने से पहले दस बार सोचना पड़ता है, लेकिन मजबूरी में महंगे चिकित्सकों का रुख करना ही पड़ता है. ऐसे में पटना के एक चिकित्सक महज 25 रुपये फीस लेकर मरीजों को बेहतर ट्रीटमेंट दे रहे हैं. इनके छोटे से क्लिनिक में मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ती है. आखिर कौन हैं ये डॉक्टर और दूर-दूर से मरीज यहां इलाज के लिए क्यों आते हैं, विस्तार से जानें.
महज ₹25 फीस में इलाज: पटना के कदम कुआं इलाके के ठाकुर बारी के पास मरीजों की भारी भीड़ उमड़ रही है. राजेंद्र पथ के लंगर टोली के रास्ते के लिए कट रही सड़क से ठीक पहले नीले रंग का एक बड़ा मकान नजर आता है. इस मकान के नीचे दर्जनों दुकान दिखाई पड़ती है और इन्हीं दुकानों के बीच एक जगह लोगों की लंबी कतार दिखती है. 8/10 के छोटे से कमरे में डॉ अरविंद कुमार सिंह मरीजों का इलाज करते हैं.
सड़क तक पहुंची मरीजों की लंबी कतार: छोटे सा क्लिनिक होने के बावजूद यहां प्रतिदिन मरीजों की भारी भीड़ उमड़ती है. कमरे में डॉक्टर साहब के बैठने की कुर्सी को छोड़ दे तो इसके अलावा एक बेंच है जिस पर अधिकतम मरीज बैठ सकते हैं. दूसरी तरफ तीन कुर्सियां हैं, सभी पर लोग बैठे हुए हैं और कमरे के बाहर सड़क तक लोगों की लंबी कतार है.
मरीजों ने जमकर की डॉक्टर की तारीफ: ईटीवी भारत संवाददाता ने मरीजों से बात की. मरीजों का कहना है कि डॉक्टर साहब ₹25 ही फीस लेते हैं और इलाज कर देते हैं. घर में जब भी कोई बीमार पड़ता है तो हम यहीं दिखाने के लिए आते हैं. मरीज बताते हैं कि डॉक्टर साहब दवाई भी कम लिखते हैं और कभी कभार ही कोई जांच लिखते हैं.
'बेटे का शुरू से ही इन्हीं से इलाज कराते आए हैं': अपने डेढ़ साल के बेटे को दिखाने पहुंचे मुकेश शर्मा ने बताया कि वह गर्दनीबाग से यहां अपने बेटे को दिखाने के लिए आए हुए हैं. कई दिनों से बेटे को बुखार आ रहा है. बच्चा जब से जन्म लिया है तब से उसे यहीं दिखा रहे हैं और वह अपने परिवार के सदस्यों को भी काफी वर्षों से यहीं आकर दिखाते हैं.
"यहां डॉक्टर साहब जांच नहीं लिखते हैं, मुश्किल से ही कभी जांच लिखे होंगे. कम और सस्ती दवाई लिखते हैं. सबसे बड़ी बात है कि मात्रा ₹25 ही फीस लेते हैं. गरीब और मिडिल क्लास परिवारों के लिए यहां आना राहत की बात होती है क्योंकि कम पैसे में ही डॉक्टर साहब बीमारी ठीक कर देते हैं."- मुकेश शर्मा, मरीज के परिजन
'कम और सस्ती दवा लिखते हैं': बिहार शरीफ से खुद को दिखाने पहुंचे अनिल साव ने बताया कि वह पिछले 17 वर्षों से शुगर की बीमारी से परेशान है. कदम कुआं के दलदली क्षेत्र के विपिन कुमार ने बताया कि वह बचपन से ही यही डॉक्टर साहब के पास बीमार पड़ने पर दिखाते हैं.
"यहां अपना इलाज कराने पहुंचे हुए हैं. पिछले 15 दिनों से डॉक्टर अरविंद कुमार की इलाज में है. उनकी दवाई से फायदा भी हुआ और उन्होंने कोई जांच नहीं लिखा और दवाई भी सस्ती रही. फीस भी उनकी कम है और उनके सेहत में सुधार भी हुआ है."- अनिल साव, मरीज
"हाल ही में आए हैं मधुमेह डिटेक्ट हुआ है. इसे दिखाने आए हुए थे. डॉ अरविंद का हाथ काफी साफ है और बीमारी को सही डायग्नोस कर बहुत कम दवा लिखते हैं."- विपिन कुमार, मरीज
1990 में तय किया ₹25 फीस: वहीं ईटीवी भारत से खास बातचीत में डॉ अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि वह साल 1990 में पटना जब एनएमसीएच को ज्वाइन किए थे, तब क्लिनिक शुरू किया था. उस दौरान उन्होंने ₹25 फीस रखा था और आज तक इसे नहीं बढ़ाया है.
35 वर्ष हो गए हैं और आज भी मेरी फीस ₹25 ही है. मरीज कई बार चाहते हैं कि डॉक्टर अधिक से अधिक दवा लिखे लेकिन उन्हें मैं समझाता हूं कि अधिक दवाई खाने से बीमारी जल्दी ठीक नहीं होगी, कम दवा है इसे ही खाईए, लेकिन धैर्य पूर्वक कुछ दिनों सेवन कीजिए. ऐसा करने पर मरीज ठीक हो जाते हैं.- डॉ अरविंद कुमार सिंह
प्रतिदिन देखते हैं करीब 200 मरीज: डॉ अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि जब तक वह कॉलेज में थे तब तक क्लीनिक पर कम समय दे पाते थे, लेकिन साल 2019 से रिटायरमेंट के बाद क्लीनिक पर सुबह 8:00 बजे से 1:30 बजे तक बैठते हैं और प्रतिदिन 100 से 200 मरीज को देखते हैं. उन्होंने बताया कि ₹25 की फीस को बढ़ाने की उन्हें कभी आवश्यकता महसूस नहीं हुई.
दूर-दूर से पहुंचते हैं लोग: उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य नहीं है कि इन मरीजों को देखकर के पैसा कमाया जाए. उनके पास हुनर है और वह अपने हुनर को बर्बाद नहीं करना चाहते हैं बल्कि उसे लोगों की सेवा में लगाना चाहते हैं. उसी उद्देश्य से वह आज भी मरीज को देखते हैं और उनके पास मरीजों की हमेशा लंबी कतार रहती है. बिहार के अलग-अलग जिलों से भी दूर दराज क्षेत्र के लोग भी यहां दिखाने के लिए आते हैं.
'80% मामले में जांच की जरूरत नहीं': डॉ अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि वह अनावश्यक की कोई दवाई नहीं लिखते हैं और विरले ही जरूरत महसूस होने पर कोई जांच लिखते हैं. उनका अब तक का जो अनुभव रहा है उसके मुताबिक 80% मामले में जांच की कोई जरूरत नहीं होती है. उन्होंने बताया कि उनके पास एक महीने के बच्चा से लेकर 90-95 वर्ष के आयु के बुजुर्ग तक दिखाने के लिए आते हैं.
कौन हैं डॉ अरविंद कुमार सिंह : डॉ अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस किया था और इसके बाद पीएमसीएच से एमडी किया. पहली पोस्टिंग उनकी 1981 में नालंदा की चंडी ब्लॉक में हुई थी. इसके बाद कुछ दिनों वह फतुहा में पोस्टेड रहे इसके बाद एचडी करने वह पीएमसीएच आ गए.
'मरीजों के चेहरों की मुस्कुराहट देती है सुकून': इसके बाद 1990 से वह पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल और नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ही अलग-अलग कार्यकाल में रहे. इस बीच 2 साल वह भागलपुर मेडिकल कॉलेज में पोस्टेड रहे. रिटायरमेंट के बाद वह मरीज को देखते हैं तो उनके पास काफी संख्या में गरीब मरीज आते हैं और इलाज के बाद जब ठीक होकर आते हैं तो उनके चेहरे की जो मुस्कुराहट होती है वह उन्हें काफी सुकून देती है.
अभी चला हुआ है लंगड़ा बुखार: डॉ अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि अभी के समय लंगड़ा बुखार काफी चला हुआ है. इसमें बहुत अधिक दवाई कोई काम नहीं करती सिर्फ एक दो दवा है जिसे लंबे समय तक चलाना पड़ता है. मरीज को दवाई की गोली 15-20 दिनों तक खानी पड़ती है. इसके अलावा अभी के समय वायरल फीवर भी चला हुआ है.
एनएमसीएच से रिटायर: डॉ अरविंद कुमार बताते हैं कि मरीज को देखकर पैसा कमाने का उनके मन में कोई ख्याल नहीं रहता है. वह एनएमसीएच से रिटायर हो चुके हैं और जीवन चलने लायक पेंशन है. इसके अलावा बेटा बहू भी हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं. लेकिन वह अपने हुनर को धार देने के लिए और उनके हुनर का समाज को लाभ मिल सके, इस उद्देश्य से क्लीनिक चलाते हैं.
मिसाल: पटना के डॉक्टर एजाज अली सिर्फ ₹10 में करते हैं इलाज, दूर-दूर से आते हैं मरीज