कटिहारः आपने 50 हजार का 'सुल्तान' (Sultan) देख लिया. सवा लाख का 'सलमान' भी देख लिया. लेकिन दुम्बा ना देखा तो क्या देखा. जी हां, दुम्बा (Dumba) सीधा सऊदी अरब से कटिहार वाया मालदा पहुंचा है. कदवा के कुम्हरी बस्ती में एक व्यक्ति डेढ़ लाख रुपए में दोनों को घर ले आए हैं. इस बार कटिहार में बकरीद (Bakrid) की अलग व्यवस्था है. लोग कुर्बानी को तैयार हैं.
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स्थानीय ग्रामीण मोजिबुर रहमान बताते हैं कि बकरीद में कुर्बानी के लिए इसे सऊदी अरब से मंगाया गया है. सऊदी अरब से पहले इस दुम्बा को पश्चिम बंगाल के मालदा कलियाचक पहुंचाया गया. जिसके बाद सड़कों के रास्ते इसे कलियाचक से कटिहार लाया गया. कुर्बानी के एक जोड़े दुम्बा को सऊदी अरब से मंगाने में करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च आया. स्थानीय ग्रामीण मो. अखिलेश बताते हैं कि भारतीय भेड़ प्रजाति का दुम्बा विश्व में पहले केवल सऊदी अरब में पाया जाता था. स्थानीय स्तर पर दुम्बा पालन नहीं होने के कारण इसकी कीमत ज्यादा हो जाती है.
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स्थानीय बुजुर्ग लोगों ने बताया कि एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहीम की परीक्षा लेने के लिए उससे अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने को कहा. इस पर उन्होंने अपने अजीज बेटे इस्माइल को अल्लाह के नाम पर कुर्बान करने का फैसला किया. कुर्बानी देने के दौरान उन्होंने भावना को काबू में रखने के लिए आंखों पर पट्टी बांध लिया था. हजरत इब्राहीम ने जब अपना काम पूरा कर आंखों से पट्टी हटाई तो देखा, उनका पुत्र जीवित खड़ा था. सामने कटा हुआ दुम्बा पड़ा था. तभी से बकरीद पर कुर्बानी देने की प्रथा शुरू हुई. पहली दुम्बा की ही कुर्बानी दी गई थी.
दुम्बा बेचनेवालों ने बताया कि सऊदी अरब से दुम्बा को पानी के जहाज से लाया जाता है. इस कारण कोलकाता और मालदा के एरिया में इसका बहुत बड़ा बाजार लगता है. दुम्बा की अलग-अलग प्रजाती यहां मंगायी जाती है. भारतीय भेड़ का यह प्रजाति सऊदी में काफी ज्यादा पसंद की जाती है. भारत में भी इसकी मांग रहती है. उन्होंने बताया कि भारत में अब दुम्बा पालन को बढ़ावा दिया जाने लगा है.
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