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कटिहार सदर अस्पताल में लापरवाही चरम पर, दवा सप्लाई में गड़बड़ी की जांच नहीं हुई पूरी

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Published : Sep 10, 2019, 12:50 PM IST

एसडीएम नीरज कुमार ने कटिहार सदर अस्पताल का अचानक निरीक्षण किया तो लगभग 33 लाख लोगों की जिम्मेदारी वाले इस अस्पताल में मात्र 32 जीवनरक्षक दवा मिली है.

कटिहार

कटिहार: जिले के सदर अस्पताल के कबाड़ में काफी मात्रा में दवा फेंकी हुई मिली थी. इसको लेकर अस्पताल प्रबंधन ने जांच कमेटी बनाई थी. लेकिन एक महीना बाद भी जांच कमेटी की रिर्पोट नहीं आयी. वहीं, दूसरी ओर मरीजों को दवा लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

मरीजों को नहीं मिल रही दवा

अगले साल एक्पायर होने वाली थी दवा
बात बिहार के कटिहार सदर अस्पताल की है. जहां इन दिनों मरीजों को दवा नहीं मिलने को लेकर मुद्दा काफी गरमाया हुआ है. बताया जाता है कि करीब डेढ़ महीने पहले अस्पताल के कबाड़नुमा स्टोर से लाखों रुपये की मेडिसीन सड़ती हुई पायी गयी थी. जिसमें कुछ दवाएं ऐसी भी थीं जो अगले साल एक्सपायर हो रही थी. जिसके बाद सिविल सर्जन डॉ. मुर्तजा अली ने जांच के आदेश दिये थे जो अब तक पूरा नहीं हो सका है.

Katihar
कबाड़ में फेंकी हुई दवा

जांच में अस्पताल प्रशासन की खुली पोल
एसडीएम नीरज कुमार ने कटिहार सदर अस्पताल का अचानक निरीक्षण किया तो लगभग 33 लाख लोगों की जिम्मेदारी वाले इस अस्पताल में मात्र 32 जीवन रक्षक दवा मिली है. जिसके बाद पूरा अस्पताल प्रशासन की पोल खुल गई है. वहीं इस मामले को लेकर राजनीति बयानबाजी भी शुरू हो गई है. बिहार के पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. रामप्रकाश महतो ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय पर अभद्र टिप्पणी की और कहा कि वो स्वास्थ्य विभाग के लिए अमंगल साबित हो रहे हैं.

Katihar
कटिहार सदर अस्पताल में लोगों की भीड़

कटिहार: जिले के सदर अस्पताल के कबाड़ में काफी मात्रा में दवा फेंकी हुई मिली थी. इसको लेकर अस्पताल प्रबंधन ने जांच कमेटी बनाई थी. लेकिन एक महीना बाद भी जांच कमेटी की रिर्पोट नहीं आयी. वहीं, दूसरी ओर मरीजों को दवा लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

मरीजों को नहीं मिल रही दवा

अगले साल एक्पायर होने वाली थी दवा
बात बिहार के कटिहार सदर अस्पताल की है. जहां इन दिनों मरीजों को दवा नहीं मिलने को लेकर मुद्दा काफी गरमाया हुआ है. बताया जाता है कि करीब डेढ़ महीने पहले अस्पताल के कबाड़नुमा स्टोर से लाखों रुपये की मेडिसीन सड़ती हुई पायी गयी थी. जिसमें कुछ दवाएं ऐसी भी थीं जो अगले साल एक्सपायर हो रही थी. जिसके बाद सिविल सर्जन डॉ. मुर्तजा अली ने जांच के आदेश दिये थे जो अब तक पूरा नहीं हो सका है.

Katihar
कबाड़ में फेंकी हुई दवा

जांच में अस्पताल प्रशासन की खुली पोल
एसडीएम नीरज कुमार ने कटिहार सदर अस्पताल का अचानक निरीक्षण किया तो लगभग 33 लाख लोगों की जिम्मेदारी वाले इस अस्पताल में मात्र 32 जीवन रक्षक दवा मिली है. जिसके बाद पूरा अस्पताल प्रशासन की पोल खुल गई है. वहीं इस मामले को लेकर राजनीति बयानबाजी भी शुरू हो गई है. बिहार के पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. रामप्रकाश महतो ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय पर अभद्र टिप्पणी की और कहा कि वो स्वास्थ्य विभाग के लिए अमंगल साबित हो रहे हैं.

Katihar
कटिहार सदर अस्पताल में लोगों की भीड़
Intro:.....बिहार में सरकारी अस्पतालों में मेडिसिन गेम का खेल देखिये ....। एक और मरीजों को दवा मय्यसर नहीं , 71 जीवनरक्षक दवाओं में आधे से भी कम दवाओं से चल रहा हैं काम ....दूसरी ओर कबाड़ में मिली दवाओं के जाँच से अब तक नहीं उठ सका हैं पर्दा.....। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को विपक्ष " हराशंख...अमंगल " बता निकाल रहा हैं भड़ास ....।


Body:दरअसल , बात सूबे के कटिहार सदर अस्पताल की हो रही हैं जहाँ इनदिनों मरीजों की दवा....दवा....दवा का मुद्दा काफी गरमाया हुआ हैं....। बताया जाता हैं करीब डेढ़ महीने पूर्व कबाड़नुमा स्टोर से लाखों रुपये की मेडिसिन सड़ते हुए पायी गयी थी । उसमें कुछ दवाइयाँ ऐसी भी थी जिसे आगामी वर्षों में एक्सपायर होना था.....। खुलासे के बाद स्थानीय सिविल सर्जन डॉ मुर्तजा अली ने जाँच के आदेश दिये जो अब तक पूरे नहीं हुए ....। सिविल सर्जन डॉ मुर्तजा अली बताते हैं कि जल्द ही तफशीश पुरी कर ली जायेगी....लेकिन इस बात को गर्माहट तब मिल गयी जब कटिहार सदर एसडीएम नीरज कुमार ने कटिहार सदर अस्पताल का सरप्राइज विजिट किया तो जो नतीजे आये , वह और भी चौकाने वाले थे क्योंकि सदर एसडीएम नीरज कुमार ने जाँच के क्रम में खुलासा किया कि तैतीस लाख लोगों की जिम्मेदारी वाले सदर अस्पताल में जीवनरक्षक 71 में मात्र 32 दवायें भी मरीजों को मय्यसर हैं यानि कुल का आधा से भी कम....। दवा की इस प्रशासनिक खुलासे के बाद मानों भूचाल आ गया ....। शुरू हो गयी राजनीतिक बयानबाजियां ....। बिहार के पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री डॉ रामप्रकाश महतो ने बताया कि " स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय हराशंख हैं .....विभाग के लिये अमंगल हैं ....।


Conclusion:अब सुशासन बाबू के स्वास्थ्य मंत्री " हराशंख और अमंगल " हैं नहीं इसपर जनता ही जबाब देगी लेकिन एक जिला अस्पताल के बड़े ही शर्म की बात हैं कि जिस सदर अस्पताल पर पूरे जिले के तैतीस लाख आबादी के इलाज का जिम्मा हों और वहाँ आधे से भी अधिक दवा मरीजों को उपलब्ध ना हों तो गरीब मरीज बेमौत नहीं मरेंगे तो क्या जिन्दा रहेगें....। दरअसल , अंदरखाने की बात यह हैं कि सूबे में मेडिसिन गेम चल रहा है और मरीजों की दवा नेताओं के लिये कामधेनु बनी हैं और जिसके पीछे दवा मेन्युफेक्चरिंग कंपनियों से मिलने वाले लम्बें - चौड़े कमीशन से नेता और अधिकारी मालामाल हो रहें हैं और बेचारी जनता ....सरकार को कोसकर और बददुआ देकर दम तोड़ रहें हैं .....।
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