कटिहार: कोरोना महामारी के कारण काम-धंधा बंद होने से लाखों प्रवासी मजदूर लौटकर अपने घर बिहार वापस आ गए हैं. ऐसे में अब बिहार सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती आ गई है कि इतने मजदूर को रोजगार कैसे दिया जाए. हालांकि सीएम ने कुछ दिनों पहले 50 लाख मजदूरों को रोजगार देने की बात कही है.
बता दें कि कटिहार जिले में अभी तक सरकारी आंकड़े के अनुसार 52 हजार प्रवासी मजदूर दूसरे प्रदेशों से लौटकर आए हैं. जो बिहार में अन्य जिलों की तुलना में सबसे अधिक है. बाहर से आने वाले सभी प्रवासी मजदूरों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा जा रहा है. वहीं, रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की.
सीएम ने जिले के अधिकारियों के साथ की समीक्षा बैठक
जिले के कुर्सेला और हसनगंज प्रखंड के दो क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे मजदूरों से सीएम ने बात किया और जिले में रोजगार का अवसर कैसे बढ़े इसके लिए जिले के पदाधिकारियों के साथ समीक्षा की. सीएम के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए चुने गए दोनों चयनित स्थल पर जिले के डीएम, एसपी और अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे.
मजदूरों को रोजगार देने की बनाई जा रही रणनीति
इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद डीएम कंवल तनुज ने बताया जिले में जितने भी प्रवासी मजदूर आए हैं, उनका स्किल मैपिंग किया जा रहा है. साथ ही एक योजना तैयार की जा रही है कि उनके स्किल को कैसे अपने इकोनॉमी में अब्जोर्ब कर लें. इसी सबकी रणनीति बनाई जा रही है. साथ ही उन्होंने बताया कटिहार जिले में करीब 2500 राजमिस्त्री आए हैं और करीब 3500 मेजन हेल्पर्स आए हैं. इसके अलावा काफी संख्या में कारपेंटर और पेंटर वापस लौटे हैं. सबसे बड़ी संख्या में कंस्ट्रक्शन मजदूर लौटे हैं. जिन्हें रोजगार देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से समीक्षा बैठक की गई.