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रेल पुलिस की लापरवाही, वाहन के अभाव में शव को पोस्टमार्टम के लिए स्ट्रेचर से ले जाया गया

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Published : Jan 25, 2020, 10:43 AM IST

बारसोई जीआरपी पुलिस के जवान महेन्द्र प्रसाद ने बताया कि बारसोई थाने में वाहन का अभाव है. जिसक चलते शव को ऐसे ले जाया जा रहा है. वहीं, शव ढो रहे युवक आकाश कुमार मल्लिक ने कहा कि हमे शव को ले जाने का आदेश मिला तो हम ले जा रहे है, गाड़ी नहीं रहने के कारण यह समस्या हो रही है.

katihar
शव

कटिहार: रेल पुलिस की लापरवाही सामने आई है. रेल पुलिस के पास शव को पोस्टमार्टम हाउस ले जाने के लिए कोई वाहन तक नहीं है. शव को पोस्टमार्टम के लिए हाथ पर टांग कर ले जाना पड़ रहा है. बता दें कि राजधानी एक्सप्रेस से कटकर एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जिसे पुलिस ने पोस्टर्माटम के लिए भेजा था, लेकिन कोई वाहन उपलब्ध नहीं होने की वजह से उसे दो युवक स्ट्रेचर पर लेकर गए.

स्ट्रेचर पर ले जाया गया शव
बताया जा रहा है कि कटिहार-बारसोई रेलखंड पर कचना ओपी के पास एक व्यक्ति गुवाहाटी से नई दिल्ली जा रही राजधानी एक्सप्रेस की चपेट में आ गया, जिससे कटकर उसकी मौत हो गई. मृतक की पहचान नहीं हो सकी. वहीं, आनन-फानन में रेल पुलिस ने शव को पोस्टर्माटम के लिए कटिहार सदर अस्पताल भेजा, लेकिन शव वाहन नहीं होने से शव को स्ट्रेचर पर रखकर शहर के आम रास्तों से ले जाया गया.

शव को पोस्टमार्टम के लिए स्ट्रेचर से ले जाया गया

बारसोई थाने में वाहन का अभाव
बारसोई जीआरपी पुलिस के जवान महेन्द्र प्रसाद ने बताया कि बारसोई थाने में वाहन का अभाव है. जिसक चलते शव को ऐसे ले जाया जा रहा है. वहीं, शव ढो रहे युवक आकाश कुमार मल्लिक ने कहा कि हमे शव को ले जाने का आदेश मिला तो हम ले जा रहे हैं, वाहन न रहने के कारण यह समस्या हो रही है.

कटिहार: रेल पुलिस की लापरवाही सामने आई है. रेल पुलिस के पास शव को पोस्टमार्टम हाउस ले जाने के लिए कोई वाहन तक नहीं है. शव को पोस्टमार्टम के लिए हाथ पर टांग कर ले जाना पड़ रहा है. बता दें कि राजधानी एक्सप्रेस से कटकर एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जिसे पुलिस ने पोस्टर्माटम के लिए भेजा था, लेकिन कोई वाहन उपलब्ध नहीं होने की वजह से उसे दो युवक स्ट्रेचर पर लेकर गए.

स्ट्रेचर पर ले जाया गया शव
बताया जा रहा है कि कटिहार-बारसोई रेलखंड पर कचना ओपी के पास एक व्यक्ति गुवाहाटी से नई दिल्ली जा रही राजधानी एक्सप्रेस की चपेट में आ गया, जिससे कटकर उसकी मौत हो गई. मृतक की पहचान नहीं हो सकी. वहीं, आनन-फानन में रेल पुलिस ने शव को पोस्टर्माटम के लिए कटिहार सदर अस्पताल भेजा, लेकिन शव वाहन नहीं होने से शव को स्ट्रेचर पर रखकर शहर के आम रास्तों से ले जाया गया.

शव को पोस्टमार्टम के लिए स्ट्रेचर से ले जाया गया

बारसोई थाने में वाहन का अभाव
बारसोई जीआरपी पुलिस के जवान महेन्द्र प्रसाद ने बताया कि बारसोई थाने में वाहन का अभाव है. जिसक चलते शव को ऐसे ले जाया जा रहा है. वहीं, शव ढो रहे युवक आकाश कुमार मल्लिक ने कहा कि हमे शव को ले जाने का आदेश मिला तो हम ले जा रहे हैं, वाहन न रहने के कारण यह समस्या हो रही है.

Intro:कटिहार में रेल पुलिस ने निकाल डाली जनाजे का जनाजा ।


........इसे रेल पुलिस की बेबसी कहें या लापरवाही , जिस रेल पुलिस के विकास का बजट सालाना लाखों में हों , उस रेल पुलिस के पास शव ढोने के लिये मोर्चरी नहीं हैं । लिहाजा हाथों पर टाँग शव को पोस्टमार्टम के लिये भेजा जाता है और मजे की बात यह हैं कि शवों को वापस ठीक वैसे ही शहरों में घुमाते हुए पहुंचाया जाता है......। देखिये , कटिहार से एक्सक्लुसिव रिपोर्ट.....जहाँ राजधानी एक्सप्रेस से कटे लावारिश व्यक्ति का किस तरह निकल जाता हैं कटिहार में जनाजा.....।

बाइट 1.....महेन्द्र प्रसाद रेल पुलिस / बारसोई
2.....आकाश मल्लिक शव ढोता युवक


Body:
शव वाहन नहीं होने के कारण जैसे तैसे ढोये जाते हैं शव , रेल पुलिस का अमानवीय चेहरा ।

यह दृश्य कटिहार शहर का हैं जहाँ बाँस के बने स्ट्रेचर में दो युवक हाथों में शव को टाँगे ले जा रहे हैं । बताया जाता हैं कि कटिहार - बारसोई रेलखंड पर कचना ओपी के समीप किसी व्यक्ति की गुवाहाटी से नई दिल्ली जा रही राजधानी एक्सप्रेस के चपेट में आने से कटकर मौत हो गयी । शव इस तरह क्षत - विक्षत था कि मृतक की शिनाख्त नहीं हो सकी । आनन - फानन में बारसोई रेल पुलिस ने अग्रतर कार्रवाई करते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिये कटिहार सदर अस्पताल भेज दिया लेकिन जरा आप भी देखिये , शव वाहन नहीं होने से लाश को किस तरह ढोया जा रहा हैं । दो युवक हाथों में स्ट्रेचरनुमा चीज पर रख पोटली में बाँध उसे शहर के आम रास्तों के बीचोंबीच कटिहार स्टेशन की ओरले जा रहे है । बारसोई जीआरपी पुलिस के जवान महेन्द्र प्रसाद बताते हैं कि थाना में गाड़ी के अभाव में शव को ऐसे लाये हैं वहीं शव ढो रहे युवक आकाश कुमार मल्लिक ने बताया कि क्या करें , हमे जो आदेश मिला इसलिये ऐसे ढो रहें हैं । गाड़ी नहीं रहने के कारण ऐसी समस्या हो रहीं हैं ......।


Conclusion:लाखों का विकास का बजट होता हैं रेल पुलिस सालाना लेकिन हालात टाँय - टाँय फिस्सस .....।

अब सवाल उठता हैं कि शवों को इस तरह ढोना कितना उचित हैं और क्यों नहीं रेल पुलिस के वरीय अधिकारियों का ध्यान इस ओर जाता हैं । अब देखना दिलचस्प होगा कि आखिर एक अदद मोर्चरी के लिये कब तक शवों का यूँ ही जनाजा निकलता रहेगा......।
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