कटिहारः जिले के फलका प्रखण्ड के सालेहपुर पंचायत का पीएचसी अपनी दशा पर आंसू बहाने पर मजबूर है. यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खंडहर में तब्दील हो चुका है. यहां के लोगों को इलाज के लिए पूर्णिया जाना पड़ता है. कभी-कभी तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. जानवरों का बसेरा बने इस अस्पताल परिसर में चारों तरफ जंगल हीं जंगल है.
एक एकड़ में फैला है हॉस्पिटल
स्थानीय जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण लगभग एक एकड़ में फैला यह हॉस्पिटल खुद बीमार है. कभी इस हॉस्पिटल के आसपास के 10-15 किलो मीटर दूर से मरीज इलाज के लिए आते थे. इस हॉस्पिटल में एमरजेंसी समेत सभी सुविधाएं मौजूद थीं. जिससे इस क्षेत्र के मरीजों को कटिहार या पूर्णिया नहीं जाना पड़ता था. यह हॉस्पिटल इस क्षेत्र का गौरव था.
मरीजों का नहीं होता सही ढंग से इलाज
बता दें कि यह हॉस्पिटल आज पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. जो जंगली जानवरों का बसेरा बन चुका है. रात में तो यह हॉस्पिटल भूतबंगला जैसा दिखाई देता है. इस हॉस्पिटल में पहले जैसा अब डॉक्टर भी मौजूद नहीं है और न ही इस क्षेत्र के मरीजों का सही ढंग से इलाज हो पाता है. डायरिया के प्रकोप से 3 बच्चों की मौत के बाद भी हालात नहीं सुधरे. स्थानीय ग्रामीण सोनू खान, जैकी और मो. हाशमी बताते हैं कि चुनाव के समय नेताओं का इस क्षेत्र में दौरा होता है. जो हॉस्पिटल को मॉडल हॉस्पिटल बनाने का आश्वासन देकर चले जाते हैं. फिर चुनाव जीतने के बाद भूल जाते हैं.
पीएचसी बनवाने की मांग
स्थानीय लोग बताते हैं पिछले कुछ दिनों पहले डायरिया के प्रकोप से एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत हो गई थी. बावजूद अभी तक इस इलाके के अस्पताल में कोई तब्दीली नहीं हुई है. ग्रामीणों की बिहार के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से मांग है कि सालेहपुर हॉस्पिटल को फिर से एक नया लुक दिया जाए. ताकि इस क्षेत्र के लोगों को इलाज के लिए दूर नहीं जाना पड़े.