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कटिहारः खंडहर में तब्दील हो गया सालेहपुर PHC, रहता है जानवरों का बसेरा

जानवरों का तबेला बना यह पीएचसी रात में भूतबंगला जैसा दिखाई देता है. आज भी यहां के लोग इलाज के लिए पूर्णियां जाते हैं.

सालेहपुर PHC
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Published : Sep 9, 2019, 12:24 PM IST

कटिहारः जिले के फलका प्रखण्ड के सालेहपुर पंचायत का पीएचसी अपनी दशा पर आंसू बहाने पर मजबूर है. यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खंडहर में तब्दील हो चुका है. यहां के लोगों को इलाज के लिए पूर्णिया जाना पड़ता है. कभी-कभी तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. जानवरों का बसेरा बने इस अस्पताल परिसर में चारों तरफ जंगल हीं जंगल है.

जर्जर हालत में सालेहपूर पीएचसी

एक एकड़ में फैला है हॉस्पिटल
स्थानीय जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण लगभग एक एकड़ में फैला यह हॉस्पिटल खुद बीमार है. कभी इस हॉस्पिटल के आसपास के 10-15 किलो मीटर दूर से मरीज इलाज के लिए आते थे. इस हॉस्पिटल में एमरजेंसी समेत सभी सुविधाएं मौजूद थीं. जिससे इस क्षेत्र के मरीजों को कटिहार या पूर्णिया नहीं जाना पड़ता था. यह हॉस्पिटल इस क्षेत्र का गौरव था.

katihar
जर्जर हालत में पीएचसी

मरीजों का नहीं होता सही ढंग से इलाज
बता दें कि यह हॉस्पिटल आज पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. जो जंगली जानवरों का बसेरा बन चुका है. रात में तो यह हॉस्पिटल भूतबंगला जैसा दिखाई देता है. इस हॉस्पिटल में पहले जैसा अब डॉक्टर भी मौजूद नहीं है और न ही इस क्षेत्र के मरीजों का सही ढंग से इलाज हो पाता है. डायरिया के प्रकोप से 3 बच्चों की मौत के बाद भी हालात नहीं सुधरे. स्थानीय ग्रामीण सोनू खान, जैकी और मो. हाशमी बताते हैं कि चुनाव के समय नेताओं का इस क्षेत्र में दौरा होता है. जो हॉस्पिटल को मॉडल हॉस्पिटल बनाने का आश्वासन देकर चले जाते हैं. फिर चुनाव जीतने के बाद भूल जाते हैं.

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जर्जर हालत में पीएचसी

पीएचसी बनवाने की मांग
स्थानीय लोग बताते हैं पिछले कुछ दिनों पहले डायरिया के प्रकोप से एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत हो गई थी. बावजूद अभी तक इस इलाके के अस्पताल में कोई तब्दीली नहीं हुई है. ग्रामीणों की बिहार के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से मांग है कि सालेहपुर हॉस्पिटल को फिर से एक नया लुक दिया जाए. ताकि इस क्षेत्र के लोगों को इलाज के लिए दूर नहीं जाना पड़े.

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पीएचसी में बंधी गाय

कटिहारः जिले के फलका प्रखण्ड के सालेहपुर पंचायत का पीएचसी अपनी दशा पर आंसू बहाने पर मजबूर है. यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खंडहर में तब्दील हो चुका है. यहां के लोगों को इलाज के लिए पूर्णिया जाना पड़ता है. कभी-कभी तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. जानवरों का बसेरा बने इस अस्पताल परिसर में चारों तरफ जंगल हीं जंगल है.

जर्जर हालत में सालेहपूर पीएचसी

एक एकड़ में फैला है हॉस्पिटल
स्थानीय जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण लगभग एक एकड़ में फैला यह हॉस्पिटल खुद बीमार है. कभी इस हॉस्पिटल के आसपास के 10-15 किलो मीटर दूर से मरीज इलाज के लिए आते थे. इस हॉस्पिटल में एमरजेंसी समेत सभी सुविधाएं मौजूद थीं. जिससे इस क्षेत्र के मरीजों को कटिहार या पूर्णिया नहीं जाना पड़ता था. यह हॉस्पिटल इस क्षेत्र का गौरव था.

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जर्जर हालत में पीएचसी

मरीजों का नहीं होता सही ढंग से इलाज
बता दें कि यह हॉस्पिटल आज पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. जो जंगली जानवरों का बसेरा बन चुका है. रात में तो यह हॉस्पिटल भूतबंगला जैसा दिखाई देता है. इस हॉस्पिटल में पहले जैसा अब डॉक्टर भी मौजूद नहीं है और न ही इस क्षेत्र के मरीजों का सही ढंग से इलाज हो पाता है. डायरिया के प्रकोप से 3 बच्चों की मौत के बाद भी हालात नहीं सुधरे. स्थानीय ग्रामीण सोनू खान, जैकी और मो. हाशमी बताते हैं कि चुनाव के समय नेताओं का इस क्षेत्र में दौरा होता है. जो हॉस्पिटल को मॉडल हॉस्पिटल बनाने का आश्वासन देकर चले जाते हैं. फिर चुनाव जीतने के बाद भूल जाते हैं.

katihar
जर्जर हालत में पीएचसी

पीएचसी बनवाने की मांग
स्थानीय लोग बताते हैं पिछले कुछ दिनों पहले डायरिया के प्रकोप से एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत हो गई थी. बावजूद अभी तक इस इलाके के अस्पताल में कोई तब्दीली नहीं हुई है. ग्रामीणों की बिहार के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से मांग है कि सालेहपुर हॉस्पिटल को फिर से एक नया लुक दिया जाए. ताकि इस क्षेत्र के लोगों को इलाज के लिए दूर नहीं जाना पड़े.

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पीएचसी में बंधी गाय
Intro:कटिहार

खंडहर में तब्दील हो गया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र। इलाज के लिए लोगों को जाना पड़ता है पूर्णिया। रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं इमरजेंसी मरीज। जानवरों का बसेरा बनकर रह गया है यह अस्पताल। अस्पताल परिसर में चारों ओर जंगल हीं जंगल। डायरिया का प्रकोप से 3 बच्चों की मौत के बाद भी नहीं सुधरा हालात। प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि लापरवाह।Body:कटिहार जिले के फलका प्रखण्ड के सालेहपुर पंचायत का हॉस्पीटल आज अपनी दशा पर आंसू बहाने पर मजबूर है। यह हॉस्पीटल स्थानीय जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण लगभग एक एकड़ में फैला यह हॉस्पीटल आज स्वयं बिमार हो गया है। गौरतलब है कि कभी इस हॉस्पीटल के आसपास के 10-15 किलो मीटर दूर से मरीज इलाज के लिए आते थे। इस हॉस्पीटल में एमर्जेन्सी सहित सभी सुविधाएं मौजूद थी जिससे इस क्षेत्र के मरीजो को कटिहार या पूर्णिया नहीं जाना पड़ता था। यह हॉस्पीटल इस क्षेत्र का गौरव था। वहीं आज यह हॉस्पीटल अपनी दशा पर आंसू बहा रहा है।


बता दे कि यह हॉस्पीटल आज पूरी तरह जर्जर हो चूका है और हॉस्पीटल के चारो तरफ जंगल में तब्दील हो चूका है और हॉस्पीटल जंगली जानवरो का बसेरा बन चूका है रात में तो यह हॉस्पीटल भुतबंगाला जैसा दिखाई देता है। इस हॉस्पीटल में पहले जैसा अब डॉक्टर भी मौजूद नहीं रहते है और न ही इस क्षेत्र के मरीजो को सही ढंग से इलाज हो पाता है। एमर्जेन्सी मरीजो को कटिहार या पूर्णिया ले जाने के दौरान रास्ते में ही दम तोड़ देते है।


Conclusion:स्थानीय ग्रामीण सोनु खान जैकी और मो हासमी बताते हैं की चुनाव के समय नेताओ का इस क्षेत्र में दौरा करते है और हॉस्पीटल को मॉडल हॉस्पीटल बनाने का आश्वासन देकर चले जाते है और चुनाव जितने के बाद भूल जाते है चुनाव जितने के बाद इस क्षेत्र में कभी भ्रमण करने भी नहीं आते है। स्थानीय लोग बताते हैं पिछले कुछ दिनों पहले डायरिया के प्रकोप से एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत हो गई थी बावजूद अभी तक इस इलाके का अस्पताल में कोई तब्दीली नहीं हुआ है। स्थानीय ग्रामीणों की बिहार के मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री से मांग है सालेहपुर हॉस्पीटल फिर से एक नया कलेवर दिया जाए ताकि इस क्षेत्र के लोगो को इलाज के लिए दूर कटिहार,व पूर्णिया नहीं जाना पड़े ।
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