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गांधी के जमाने में बने स्कूल में भविष्य से खिलवाड़.. 1 कमरे में 5 क्लास, रसोई और ऑफिस - etv bharat news

कटिहार में सरकारी शिक्षा व्यवस्था का हाल ये है कि यहां कई स्कूलों में कमरों, शिक्षकों और शौचालय की कमी है. एक स्कूल तो ऐसा भी है, जहां क्लास पांच तक के बच्चे एक ही कमरे में भेड़ियाधसान होकर पढ़ते हैं. उसी में ऑफिस भी है और उसी में रसोई भी. पढ़ें पूरी खबर....

हरिजन पाठशाला में एक ही कमरे में पांच क्लास
हरिजन पाठशाला में एक ही कमरे में पांच क्लास
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Published : Sep 27, 2022, 6:03 AM IST

Updated : Sep 27, 2022, 6:13 AM IST

कटिहारः सरकार शिक्षा के बेहतर प्रबंधन के लाख दावे कर ले लेकिन ये हकिकत है कि प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था (Bad Condition Of School In Katihar) भगवान भरोसे ही चल रही है. हम बात कर रहे हैं कटिहार जिले के ऐसे ही एक स्कूल की, जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कटिहार आने के कारण स्कूल की स्थापना हुई थी. इस स्कूल की बदहाली (Bad Condition Of Harijan Pathshala Primary School) का आलम ये है कि यहां एक कमरे में क्लास, रसोई और दफ्तर है. जहां वर्ग एक से पांच तक की पढ़ाई होती है. इसी कमरे में ऑफिस और एमडीएम भी चलता है. मजे की बात तो यह कि एक ही ब्लैकबोर्ड पर सभी क्लास के बच्चे पढ़ लेते हैं.

ये भी पढ़ेंः अंधकार में वैशाली के नौनिहालों का भविष्य.. 199 स्कूल भवन विहीन, 783 विद्यालयों में बाउंड्री नहीं

1934 में महात्मा गांधी के आने पर बना था स्कूलः ईटीवी भारत की टीम जब कटिहार की शिक्षा व्यवस्था का हाल जानने के लिए शहर के हरिजन पाठशाला में पहुंची तो बच्चों को एक ही कमरे में भेड़ियाधसान देखा. शहर के बीचोबीच स्टेशन के पास स्थित यह स्कूल बिहार में सरकार की ओर से छोटे बच्चों को मिलने वाली तालीम और उसकी बदहाल व्यवस्था को समझने के लिए काफी है. बताया जाता है कि 1934 ई.में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का असम जाने के दौरान कटिहार में भी आगमन था, जिस कारण सरकार ने यहां हरिजन पाठशाला प्राथमिक विद्यालय (Harijan Pathshala Primary School) की स्थापना की. तब से यह स्कूल अनवरत चलता आ रहा है.

एक ही कमरे में कक्षा पांच तक की पढ़ाईः इस स्कूल में कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई होती है, जिसमें नब्बे से ज्यादा बच्चे नामांकित हैं, लेकिन बदइंतजामी का आलम ये है कि कमरे में एक तरफ बच्चे बेंच पर बैठकर पढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर कुछ बच्चे खाना खा रहे हैं. जैसे-तैसे एक ही ब्लैकबोर्ड पर शिक्षक क्लास के बच्चे के लिए कुछ लिख रहे हैं, इसी में विद्यालय का दफ्तर भी है. मुख्य बाजार में स्कूल होने के कारण स्कूल के बाहर लोगों ने अतिक्रमण कर कपड़े की दुकान भी खोल रखी है. देखने पर ऐसा लगता है अंदर स्कूल नहीं कपड़े की दुकान है.

'कई बार अधिकारियों को लिखा गया' : हरिजन पाठशाला में पढ़ने वाली छात्रा नरगिस बताती हैं कि दिक्कतें काफी होती हैं. छात्र साजिद बताते हैं कि एक ही रूम में पढ़ने से काफी दिक्कतें होती हैं. वहीं, स्कूल के प्रधानाध्यापक राघवेन्द्र पासवान ने बताया कि परेशानियों को लेकर वरीय अधिकारियों को कई बार लिखित और मौखिक रूप से बताया गया है. इसके बावजुद हालात जस के तस हैं. स्कूल में कोई सुविधा नहीं है. कम संसाधन में ही किसी तरह स्कूल का संचालन हो जाता है.

"दिक्कत तो बहुत होती है. स्कूल में दवसरा कोई कमरा नहीं है एक ही कमरा है. इसलिए सब लोग एक ही जगह पढ़ते हैं. कुछ समझ में नहीं आता, बच्चे हल्ला करते हैं, किसी तरह पढ़ाई कर लेते हैं"- साजिद, छात्र

"कमरे की कमी है, इसलिए एक ही कमरे में सब कुछ चलता है. परेशानी तो होती है लेकिन क्या करें. जितना साधन है उसी में बच्चों की पढ़ाई चल रही है. कई बार जिला स्तर के अधिकारी आए विजिट किया लेकिन हालात में कोई बदलाव नहीं आया. स्कूल में दो पुरुष शिक्षक और एक महिला शिक्षक के अलावा दो रसोइया पोस्टेड हैं"- राघवेंद्र पासवान, प्रधानाध्यापक, हरिजन पाठशाला

ये भी पढ़ेंः बगहा में एक स्कूल ऐसा, जहां बच्चे खा रहे हाेते खाना वहीं पर सुअर करता विचरण

विभागीय लापरवाही के कारण बच्चे परेशानः बिहार शिक्षा विभाग की गाइडलाइन के अनुसार एक वर्ग के संचालन में कम से कम एक सेपरेट कमरे के अलावा बेंच, डेस्क और शौचालय की बुनियादी सुविधा होनी चाहिये. एक वर्ग में चालीस से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिये, लेकिन यहां एक ही कमरा में पांच कक्षा तक का संचालन हो रहा है. विभागीय लापरवाही के कारण खुद विभाग के नियमों की ही धज्जियां उड़ रही हैं और प्रदेश में शिक्षा के नाम पर नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है. इस भेड़ियाधसान में बच्चे क्या पढ़ रहे होंगें इसका तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है.

कटिहारः सरकार शिक्षा के बेहतर प्रबंधन के लाख दावे कर ले लेकिन ये हकिकत है कि प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था (Bad Condition Of School In Katihar) भगवान भरोसे ही चल रही है. हम बात कर रहे हैं कटिहार जिले के ऐसे ही एक स्कूल की, जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कटिहार आने के कारण स्कूल की स्थापना हुई थी. इस स्कूल की बदहाली (Bad Condition Of Harijan Pathshala Primary School) का आलम ये है कि यहां एक कमरे में क्लास, रसोई और दफ्तर है. जहां वर्ग एक से पांच तक की पढ़ाई होती है. इसी कमरे में ऑफिस और एमडीएम भी चलता है. मजे की बात तो यह कि एक ही ब्लैकबोर्ड पर सभी क्लास के बच्चे पढ़ लेते हैं.

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1934 में महात्मा गांधी के आने पर बना था स्कूलः ईटीवी भारत की टीम जब कटिहार की शिक्षा व्यवस्था का हाल जानने के लिए शहर के हरिजन पाठशाला में पहुंची तो बच्चों को एक ही कमरे में भेड़ियाधसान देखा. शहर के बीचोबीच स्टेशन के पास स्थित यह स्कूल बिहार में सरकार की ओर से छोटे बच्चों को मिलने वाली तालीम और उसकी बदहाल व्यवस्था को समझने के लिए काफी है. बताया जाता है कि 1934 ई.में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का असम जाने के दौरान कटिहार में भी आगमन था, जिस कारण सरकार ने यहां हरिजन पाठशाला प्राथमिक विद्यालय (Harijan Pathshala Primary School) की स्थापना की. तब से यह स्कूल अनवरत चलता आ रहा है.

एक ही कमरे में कक्षा पांच तक की पढ़ाईः इस स्कूल में कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई होती है, जिसमें नब्बे से ज्यादा बच्चे नामांकित हैं, लेकिन बदइंतजामी का आलम ये है कि कमरे में एक तरफ बच्चे बेंच पर बैठकर पढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर कुछ बच्चे खाना खा रहे हैं. जैसे-तैसे एक ही ब्लैकबोर्ड पर शिक्षक क्लास के बच्चे के लिए कुछ लिख रहे हैं, इसी में विद्यालय का दफ्तर भी है. मुख्य बाजार में स्कूल होने के कारण स्कूल के बाहर लोगों ने अतिक्रमण कर कपड़े की दुकान भी खोल रखी है. देखने पर ऐसा लगता है अंदर स्कूल नहीं कपड़े की दुकान है.

'कई बार अधिकारियों को लिखा गया' : हरिजन पाठशाला में पढ़ने वाली छात्रा नरगिस बताती हैं कि दिक्कतें काफी होती हैं. छात्र साजिद बताते हैं कि एक ही रूम में पढ़ने से काफी दिक्कतें होती हैं. वहीं, स्कूल के प्रधानाध्यापक राघवेन्द्र पासवान ने बताया कि परेशानियों को लेकर वरीय अधिकारियों को कई बार लिखित और मौखिक रूप से बताया गया है. इसके बावजुद हालात जस के तस हैं. स्कूल में कोई सुविधा नहीं है. कम संसाधन में ही किसी तरह स्कूल का संचालन हो जाता है.

"दिक्कत तो बहुत होती है. स्कूल में दवसरा कोई कमरा नहीं है एक ही कमरा है. इसलिए सब लोग एक ही जगह पढ़ते हैं. कुछ समझ में नहीं आता, बच्चे हल्ला करते हैं, किसी तरह पढ़ाई कर लेते हैं"- साजिद, छात्र

"कमरे की कमी है, इसलिए एक ही कमरे में सब कुछ चलता है. परेशानी तो होती है लेकिन क्या करें. जितना साधन है उसी में बच्चों की पढ़ाई चल रही है. कई बार जिला स्तर के अधिकारी आए विजिट किया लेकिन हालात में कोई बदलाव नहीं आया. स्कूल में दो पुरुष शिक्षक और एक महिला शिक्षक के अलावा दो रसोइया पोस्टेड हैं"- राघवेंद्र पासवान, प्रधानाध्यापक, हरिजन पाठशाला

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विभागीय लापरवाही के कारण बच्चे परेशानः बिहार शिक्षा विभाग की गाइडलाइन के अनुसार एक वर्ग के संचालन में कम से कम एक सेपरेट कमरे के अलावा बेंच, डेस्क और शौचालय की बुनियादी सुविधा होनी चाहिये. एक वर्ग में चालीस से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिये, लेकिन यहां एक ही कमरा में पांच कक्षा तक का संचालन हो रहा है. विभागीय लापरवाही के कारण खुद विभाग के नियमों की ही धज्जियां उड़ रही हैं और प्रदेश में शिक्षा के नाम पर नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है. इस भेड़ियाधसान में बच्चे क्या पढ़ रहे होंगें इसका तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है.

Last Updated : Sep 27, 2022, 6:13 AM IST
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