कटिहार: जिले में हस्तशिल्प के कारीगर सरकारी अपेक्षाओं के शिकार बने हैं. जिसके कारण बांस से बने सामानों को कुटीर उद्योग का दर्जा नहीं मिल सका. ऐसे में सीजन नहीं रहने पर उनके सामानों की बिक्री नहीं होती है. जिसके कारण इनके सामने भुखमरी की नौबत आ गई है. छोटे-मोटे सूप दौरा बनाकर पूरे परिवार की गाड़ी चलाने वाले इनलोगों के पास कमाई का कोई और जरिया नहीं होने से इनकी मुसीबत और बढ़ गई है.
मधुबनी से हस्तशिल्प एवं विपणन क्षेत्र में लिया है प्रशिक्षण हाथों से शिल्प को आकृति प्रदान कर रहे यह हुनरमंद कटिहार के कदवा इलाके के लोग हैं. इन्होंने मधुबनी से हस्तशिल्प एवं विपणन क्षेत्र में प्रशिक्षण लिया है. कला के जौहर सीखे, बांस के बंधन के गुन सीखे. बावजूद इसके अभी इनके सामने भुखमरी की नौबत आ गई है. सरकारी लापरवाही की वजह से प्रशिक्षण के बावजूद इन्हें कुटीर उद्योग से बने सामान उत्पादन के लिए न तो ऋण मिला और न ही कारीगर का दर्जा. जिसके कारण इनके सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है.
हुनरमंद कारीगर हो जाते हैं बेरोजगारविवाह मुहूर्त के दौरान बांस से बने सामान ऊंचे दामों पर बिकने के कारण यह इनके लिए कमाई का मुख्य जरिया होता है. लेकिन, किस्मत ने यहां भी इनका पीछा न छोड़ा. हिंदू मान्यताओं के अनुसार सावन के 4 महीने बाद तक कोई भी विवाह संस्कार संपन्न नहीं कराए जाते हैं. जिसके कारण ये अगले कुछ महीने तक बेरोजगार रहेंगे. इस दौरान वे छोटे-मोटे सूप दौरा से आमदनी की कोशिश करेंगे जो परिवार चलाने के लिए नाकाफी है. लिहाजा, बढ़ती उम्र के इस पड़ाव पर ये हुनरमंद कारीगर बेरोजगार हो गए हैं. कारीगर रामखेलावन महली बताते हैं कि उन्होंने मधुबनी से प्रशिक्षण लिया है. कई घंटे प्रशिक्षण में बिताए हैं. लेकिन आज वह प्रशिक्षण की डिग्री केवल कागज बनकर रह गया है.
बांस का सामान बनाते कारीगर सरकार नहीं दे रही ध्यान
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार उद्योगपतियों को सूबे में इंडस्ट्री लगाने के लिए न्योता पर न्योता भेज रही है. लेकिन सीएम साहब के रिक्वेस्ट में बड़े-बड़े औद्योगिक घराने इंटरेस्ट नहीं ले रहे हैं. बिहार में औद्योगिक निवेश न के बराबर है. ऐसे में कुटीर उद्योगों के विकास में बिहार सरकार को प्रोत्साहन देना चाहिए था. लेकिन उसपर सरकार का ध्यान ही नहीं है. जरूरत इस बात की है कि सरकार बड़े उद्योगों की तरह कुटीर और लघु उद्योगों को भी प्रोत्साहन दे ताकि विकास और रोजगार राज्य में फल-फूल सके.