कैमूर: एक तरफ कोरोना महामारी से जहां देशभर में कोहराम मचा हुआ है, बिहार सरकार सभी अस्पतालों में व्यवस्था को दुरुस्त कराने में जुटी है, तो वहीं कैमूर में 60 लाख की लागत से बना अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाल है. ग्रामीणों का अस्पताल पर कब्जा है और अस्पताल अब तबेले में तब्दील हो गया है.
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कैमूर का बदहाल अस्पताल
ग्रामीण आज भी डॉक्टर और दवा का इंतजार कर रहे हैं. गांव में एक और अस्पताल है, जहां डॉक्टर कभी कभार ही आते हैं. सप्ताह में एक बार टीकाकरण के लिए एएनएम आती हैं, अब ग्रामीण चाहते हैं कि गांव में अस्पताल खुल जाए, जिससे इलाज के लिए उन्हें भभुआ नहीं जाना पड़े. स्वास्थ्य विभाग भी बताने को तैयार नहीं है कि लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी अस्पताल में डॉक्टर कब आएंगे.
ग्रामीणों ने तबेले में किया तब्दील
ग्रामीणों को जब गांव में अस्पताल का भवन बनने लगा तो बड़ी खुशी हुई कि गांव में डॉक्टर रहेंगे. जब किसी की तबीयत खराब होगी तो इलाज हो जाएगा. लेकिन 30 साल बीत जाने पर भी यहां ना तो डॉक्टर आए और ना ही दवा आई. ऐसे में ग्रामीणों ने अस्पताल के भवन पर कब्जा कर इसे तबेले में तब्दील कर दिया.
''30 साल पहले कबार गांव में अस्पताल बनना शुरू हुआ था, लेकिन आज तक अस्पताल में कोई काम नहीं हुआ. जिला परिषद ने भी अपने फंड से एक और भवन दिया पर स्वास्थ्य विभाग ने आज तक पहल नहीं की. कई बार अधिकारी को सूचना देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.''- अवध लाल कुमार, विकास मित्र, बेतरी पंचायत
''ये मामला संज्ञान में आया है, जिसके बाद मैंने इसकी जांच कर इसे चालू करने के लिए पटना स्वास्थ्य विभाग को लिखा जाएगा और क्यों नहीं खुला इसके ऊपर ध्यान देते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी.''- मीना कुमारी, प्रभारी सिविल सर्जन कैमूर
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स्वास्थ्य विभाग के नींद टूटने का इंतजार
कोरोना काल में जहां सरकार हर अस्पताल को ठीक कर मरीजों के इलाज करने में जुटी है. वहीं, कैमूर जिले के भभुआ प्रखंड के कबार गांव में लाखों रुपये खर्च के बाद भी अस्पताल शुरू नहीं होना बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं. ग्रामीण को आज भी स्वास्थ्य विभाग के नींद से जागने और अस्पताल शुरू होने का इंतजार है.