कैमूर: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में बेहतर शिक्षा बहाल करने के लाख दावे कर लें, लेकिन जमीनी हकीकत उससे ठीक विपरीत है. भभुआ प्रखंड के अखलासपुर स्थित अनु जाति जनजाति उत्क्रमित मध्य विद्यालय में सिर्फ 2 कमरे हैं और बच्चे लगभग 260. क्लासरूम नहीं होने से सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाना पड़ता है. क्लास 1 से 6 तक के बच्चों को समुदायिक भवन में एक साथ 6 शिक्षक पढ़ाते हैं. ऐसे में कितनी गुणवत्तापूर्व शिक्षा बच्चों को दी जाती होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
विद्यालय में कुल 12 शिक्षक हैं. ऐसे में अगर बच्चे और शिक्षकों के अनुपात को देखा जाए तो यहां शिक्षकों की कमी नही हैं. कमी सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए संसाधनों की है. चारों तरफ से खुले समुदायिक भवन में जमीन पर बैठकर बच्चे शिक्षा लेने को मजबूर हैं. बरसात में पानी, गर्मी में लू और कड़कड़ाती ठंड में बच्चे कई सालों से पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन सरकार और शिक्षा विभाग इससे बेखबर है.
क्लासरूम नहीं होने से पढ़ाई में हो रही परेशानी
स्कूल की शिक्षिकाओं का कहना है कि एक छोटे से बरामदे में 1 से 6 क्लास के बच्चे एक साथ बैठाकर पढ़ाए जाते हैं. समुदायिक भवन में 6 शिक्षक अलग-अगल कक्षा के बच्चों को एक साथ पढ़ाते हैं. शिक्षकों का कहना है कि क्लासरूम नहीं होने से पढ़ाने में काफी परेशानी होती है. एक भी ब्लैकबोर्ड नहीं है. ऐसे में प्रत्येक बच्चों को कॉपी पर समझाने में काफी दिक्कत आती है.
बच्चों ने सीएम से लगाई गुहार
बच्चों ने बताया कि अगर किसी भी क्लास में शोर होता है तो सभी क्लास डिस्टर्ब होते हैं. चारों तरफ से खुला होने और बरसात के कारण जलजमाव होने से काफी परेशानी होती है. कई बार बच्चे बरसात के पानी में गिर भी जाते हैं. अधिक बारिश होने पर सामुदायिक भवन में भी जलजमाव हो जाता है. इससे पढ़ाई बाधित होती है. बच्चों ने सीएम से गुहार लगाई है कि उनके विद्यालय में क्लासरूम का निर्माण कराया जाए.
क्या कहते हैं जिलाधिकारी
मामले पर डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी का कहना है कि जिले के सभी अंचलाधिकारी को इस बाबत आदेश दे दिया गया है. वैसे सभी विद्यालय जहां क्लासरूम की कमी है या रास्ता नहीं है, उसके लिए जमीन उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है, ताकि विद्यालयों को शिफ्ट किया जा सके. डीएम ने बताया कि जल्द ही जिले के सभी शिक्षकों का रेशनलाईजेशन किया जाएगा. सभी विद्यालय में बच्चों के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी.