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बच्चों ने लगाई CM नीतीश से गुहार- हम पढ़ना चाहते हैं, स्कूल बनवा दीजिए

स्कूल चारों तरफ से खुला होने और बरसात के कारण जलजमाव होने से काफी परेशानी होती है. कई बार बच्चे बरसात के पानी में गिर भी जाते हैं. अधिक बारिश होने पर सामुदायिक भवन में भी जलजमाव हो जाता है.

बच्चों ने सीएम से लगाई गुहार
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Published : Jul 27, 2019, 1:06 PM IST

कैमूर: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में बेहतर शिक्षा बहाल करने के लाख दावे कर लें, लेकिन जमीनी हकीकत उससे ठीक विपरीत है. भभुआ प्रखंड के अखलासपुर स्थित अनु जाति जनजाति उत्क्रमित मध्य विद्यालय में सिर्फ 2 कमरे हैं और बच्चे लगभग 260. क्लासरूम नहीं होने से सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाना पड़ता है. क्लास 1 से 6 तक के बच्चों को समुदायिक भवन में एक साथ 6 शिक्षक पढ़ाते हैं. ऐसे में कितनी गुणवत्तापूर्व शिक्षा बच्चों को दी जाती होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

विद्यालय में कुल 12 शिक्षक हैं. ऐसे में अगर बच्चे और शिक्षकों के अनुपात को देखा जाए तो यहां शिक्षकों की कमी नही हैं. कमी सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए संसाधनों की है. चारों तरफ से खुले समुदायिक भवन में जमीन पर बैठकर बच्चे शिक्षा लेने को मजबूर हैं. बरसात में पानी, गर्मी में लू और कड़कड़ाती ठंड में बच्चे कई सालों से पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन सरकार और शिक्षा विभाग इससे बेखबर है.

कैमूर
डॉ. नवल किशोर चौधरी, जिलाधिकारी

क्लासरूम नहीं होने से पढ़ाई में हो रही परेशानी
स्कूल की शिक्षिकाओं का कहना है कि एक छोटे से बरामदे में 1 से 6 क्लास के बच्चे एक साथ बैठाकर पढ़ाए जाते हैं. समुदायिक भवन में 6 शिक्षक अलग-अगल कक्षा के बच्चों को एक साथ पढ़ाते हैं. शिक्षकों का कहना है कि क्लासरूम नहीं होने से पढ़ाने में काफी परेशानी होती है. एक भी ब्लैकबोर्ड नहीं है. ऐसे में प्रत्येक बच्चों को कॉपी पर समझाने में काफी दिक्कत आती है.

पेश है रिपोर्ट

बच्चों ने सीएम से लगाई गुहार
बच्चों ने बताया कि अगर किसी भी क्लास में शोर होता है तो सभी क्लास डिस्टर्ब होते हैं. चारों तरफ से खुला होने और बरसात के कारण जलजमाव होने से काफी परेशानी होती है. कई बार बच्चे बरसात के पानी में गिर भी जाते हैं. अधिक बारिश होने पर सामुदायिक भवन में भी जलजमाव हो जाता है. इससे पढ़ाई बाधित होती है. बच्चों ने सीएम से गुहार लगाई है कि उनके विद्यालय में क्लासरूम का निर्माण कराया जाए.

क्या कहते हैं जिलाधिकारी
मामले पर डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी का कहना है कि जिले के सभी अंचलाधिकारी को इस बाबत आदेश दे दिया गया है. वैसे सभी विद्यालय जहां क्लासरूम की कमी है या रास्ता नहीं है, उसके लिए जमीन उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है, ताकि विद्यालयों को शिफ्ट किया जा सके. डीएम ने बताया कि जल्द ही जिले के सभी शिक्षकों का रेशनलाईजेशन किया जाएगा. सभी विद्यालय में बच्चों के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी.

कैमूर: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में बेहतर शिक्षा बहाल करने के लाख दावे कर लें, लेकिन जमीनी हकीकत उससे ठीक विपरीत है. भभुआ प्रखंड के अखलासपुर स्थित अनु जाति जनजाति उत्क्रमित मध्य विद्यालय में सिर्फ 2 कमरे हैं और बच्चे लगभग 260. क्लासरूम नहीं होने से सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाना पड़ता है. क्लास 1 से 6 तक के बच्चों को समुदायिक भवन में एक साथ 6 शिक्षक पढ़ाते हैं. ऐसे में कितनी गुणवत्तापूर्व शिक्षा बच्चों को दी जाती होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

विद्यालय में कुल 12 शिक्षक हैं. ऐसे में अगर बच्चे और शिक्षकों के अनुपात को देखा जाए तो यहां शिक्षकों की कमी नही हैं. कमी सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए संसाधनों की है. चारों तरफ से खुले समुदायिक भवन में जमीन पर बैठकर बच्चे शिक्षा लेने को मजबूर हैं. बरसात में पानी, गर्मी में लू और कड़कड़ाती ठंड में बच्चे कई सालों से पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन सरकार और शिक्षा विभाग इससे बेखबर है.

कैमूर
डॉ. नवल किशोर चौधरी, जिलाधिकारी

क्लासरूम नहीं होने से पढ़ाई में हो रही परेशानी
स्कूल की शिक्षिकाओं का कहना है कि एक छोटे से बरामदे में 1 से 6 क्लास के बच्चे एक साथ बैठाकर पढ़ाए जाते हैं. समुदायिक भवन में 6 शिक्षक अलग-अगल कक्षा के बच्चों को एक साथ पढ़ाते हैं. शिक्षकों का कहना है कि क्लासरूम नहीं होने से पढ़ाने में काफी परेशानी होती है. एक भी ब्लैकबोर्ड नहीं है. ऐसे में प्रत्येक बच्चों को कॉपी पर समझाने में काफी दिक्कत आती है.

पेश है रिपोर्ट

बच्चों ने सीएम से लगाई गुहार
बच्चों ने बताया कि अगर किसी भी क्लास में शोर होता है तो सभी क्लास डिस्टर्ब होते हैं. चारों तरफ से खुला होने और बरसात के कारण जलजमाव होने से काफी परेशानी होती है. कई बार बच्चे बरसात के पानी में गिर भी जाते हैं. अधिक बारिश होने पर सामुदायिक भवन में भी जलजमाव हो जाता है. इससे पढ़ाई बाधित होती है. बच्चों ने सीएम से गुहार लगाई है कि उनके विद्यालय में क्लासरूम का निर्माण कराया जाए.

क्या कहते हैं जिलाधिकारी
मामले पर डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी का कहना है कि जिले के सभी अंचलाधिकारी को इस बाबत आदेश दे दिया गया है. वैसे सभी विद्यालय जहां क्लासरूम की कमी है या रास्ता नहीं है, उसके लिए जमीन उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है, ताकि विद्यालयों को शिफ्ट किया जा सके. डीएम ने बताया कि जल्द ही जिले के सभी शिक्षकों का रेशनलाईजेशन किया जाएगा. सभी विद्यालय में बच्चों के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी.

Intro:कैमूर।

भभुआ प्रखंड के अखलाशपुर स्तिथ अनु जाति जनजाति मध्य विद्यालय में सिर्फ 2 कमरे हैं और बच्चे लगभग 260। क्लासरूम न होने की वजह से क्लास 1 से 6 तक के बच्चो को समुदाय भवन में एक साथ 6 टीचर्स बैठकर पढ़ाते हैं। ऐसे में कितना गुणवत्तापूर्व शिक्षा बच्चों को दी जाती है इसका अंदाजा लगाया जा सकता हैं।


Body:आपकों बतादें कि विद्यालय में कुल 12 शिक्षक हैं यानी इस विद्यालय में बच्चों और शिक्षकों के रेशियो को देखा जाए तो यह शिक्षकों की कमी नही हैं। कमी सरकार के द्वारा उपलब्ध कराए गए संसाधनों की हैं। बच्चें चारों तरफ से खुले समुदाय भवन में नीचे बैठकर शिक्षा लेने को मजबूर हैं। बरसात में पानी, गर्मी में लू और ठंड में कपकपाहट ऐसी स्तिथ में बच्चे कई सालों से पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन सरकार और शिक्षा विभाग को बच्चों की परेशानी से कोई मतलब ही नही हैं।

क्या कहते है शिक्षक
स्कूल के शिक्षक और शिक्षिकाओं का कहना है कि एक छोटे से बरामदे में 1 से 6 क्लास के बच्चे एक साथ बैठाकर पढ़ाए जाते हैं। समुदाय भवन के इस बरामदे में 6 शिक्षकों के द्वारा अपने अपने बच्चो को एक साथ शिक्षा दी जाती हैं। जिस तरफ शिक्षक का चेहरा होता है उसी तरफ उस क्लास के बच्चे चेहरा कर बैठ जाते हैं। शिक्षकों ने बताया कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नही दे पाते हैं। हर क्लास के बच्चों का शोर करते हैं ऐसे में पढ़ाई संभव नही हैं। बिना ब्लैकबोर्ड के सभी बच्चों को एक साथ नही पढ़ाया जा सकता हैं और प्रत्येक बच्चों के कॉपी में समझाना में कभी मुश्किल हैं। लेकिन किसी तरह से पढाई होती हैं।


क्या कहा बच्चों
बच्चों ने बताया कि उन्हें पढ़ाई करने में कभी परेशानी होती हैं। किसी भी क्लास में शोर होती है तो सभी क्लास डिस्टर्ब होते हैं। चारो तरफ से खुला होने और पिछले पानी लगे रहने से काफी परेशानी होती हैं। कई बार बच्चें गिर भी जाते हैं। क्लास 8 के बच्चो ने बताया कि उनके क्लासरूम में पानी टपकता है और अधिक पानी बरसने पर क्लासरूम में जलजमाव हो जाता है। जिससे उन्हें काफी परेशानी होती हैं। बच्चों ने सीएम अंकल से गुहार लगाई है कि उनके विद्यालय में क्लासरूम का निर्माण करवा दे।

क्या कहा डीएम ने
डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने कहा कि उनके द्वारा जिले के सभी अंचलाधिकारी को आदेश दिया गया है कि जिले के वैसे सभी विद्यालय जहाँ क्लासरूम की कमी है या रास्ता नही हैं । वहाँ जमीनी उपलब्ध कराने की कोशिश करे ताकि जिले के सभी विद्यालयों को इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी न हो। डीएम ने बताया कि जल्द ही जिले के सभी शिक्षकों के रेसनलाईजेसन किया जाएगा और सभी विद्यालय में बच्चों के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी।


Conclusion:
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