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जानें आखिर कैमूर में भैसों और गायों को मच्छरदानी में क्यों रख रहे लोग? - mosquito net

सरेया गांव में मच्छरों का प्रकोप कुछ ऐसा है कि लोग अपनी गाय और भैस को मच्छरदानी में रखते हैं. लोगों का कहना है कि ऐसा करने से गाय-भैंस प्रतिदिन एक से डेढ़ लीटर अधिक दूध देने लगे.

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Published : Aug 20, 2019, 11:16 PM IST

कैमूर: जिले के मोहनिया थाना क्षेत्र के सरेया गांव में मच्छरों का प्रकोप कुछ ऐसा है कि लोग अपनी गाय और भैस को मच्छरदानी में रखते हैं. इस गांव में अधिकतर लोग पशुपालन करते हैं और उनका कहना है कि गांव में मच्छरों का प्रकोप इतना अधिक है कि भैंस कम दूध देने लगी थी. जानवरों को मच्छरों के काटने से परेशान होकर ना खा पाती थी और ना बैठ पाती थी. तब जाकर लोगों ने मच्छरदानी का इस्तेमाल करना शुरू किया.

ऑर्डर देकर बनबाते है बड़ी-बड़ी मच्छरदानी

यहां के लोगों ने ऑर्डर देकर अपने जानवरों के लिए बड़ी-बड़ी मच्छरदानी बनवाई. दिन में तो उन्हें ऐसे ही रखा जाता है लेकिन शाम होते ही सभी गाय और भैंसों को मच्छरदानी के अंदर डाल दिया जाता है. लोगों का कहना है कि ऐसा करने से गाय-भैंस प्रतिदिन एक से डेढ़ लीटर अधिक दूध देने लगे.

जानवरों को मच्छरदानी में रख रहे लोग

छोटे-छोटे कीट काटते से होता है बचाव

वहीं, पशु चिकित्सक ने बताया मवेशियों को मच्छर और कई प्रकार के छोटे-छोटे कीट काटते रहते हैं. जिससे के कारण वो न हीअच्छे से नहीं खा पाते है और ना ही आराम कर पाते है. जब शरीर को आराम नहीं मिलेगा तो वह दूध ठीक से नहीं दे पाएगी.

kaimur
गाय और भैस को मच्छरदानी में रखते है लोग

तरीका की हो रही तारीफ

ऐसा पहली बार सुनने में आया है कि किसी गांव के लोग मच्छरदानी में पशुओं को रख रहे हैं लेकिन पशुओं के आराम के लिए लोगों के इस तरीका की हर कोई तारीफ कर रहा है.

कैमूर: जिले के मोहनिया थाना क्षेत्र के सरेया गांव में मच्छरों का प्रकोप कुछ ऐसा है कि लोग अपनी गाय और भैस को मच्छरदानी में रखते हैं. इस गांव में अधिकतर लोग पशुपालन करते हैं और उनका कहना है कि गांव में मच्छरों का प्रकोप इतना अधिक है कि भैंस कम दूध देने लगी थी. जानवरों को मच्छरों के काटने से परेशान होकर ना खा पाती थी और ना बैठ पाती थी. तब जाकर लोगों ने मच्छरदानी का इस्तेमाल करना शुरू किया.

ऑर्डर देकर बनबाते है बड़ी-बड़ी मच्छरदानी

यहां के लोगों ने ऑर्डर देकर अपने जानवरों के लिए बड़ी-बड़ी मच्छरदानी बनवाई. दिन में तो उन्हें ऐसे ही रखा जाता है लेकिन शाम होते ही सभी गाय और भैंसों को मच्छरदानी के अंदर डाल दिया जाता है. लोगों का कहना है कि ऐसा करने से गाय-भैंस प्रतिदिन एक से डेढ़ लीटर अधिक दूध देने लगे.

जानवरों को मच्छरदानी में रख रहे लोग

छोटे-छोटे कीट काटते से होता है बचाव

वहीं, पशु चिकित्सक ने बताया मवेशियों को मच्छर और कई प्रकार के छोटे-छोटे कीट काटते रहते हैं. जिससे के कारण वो न हीअच्छे से नहीं खा पाते है और ना ही आराम कर पाते है. जब शरीर को आराम नहीं मिलेगा तो वह दूध ठीक से नहीं दे पाएगी.

kaimur
गाय और भैस को मच्छरदानी में रखते है लोग

तरीका की हो रही तारीफ

ऐसा पहली बार सुनने में आया है कि किसी गांव के लोग मच्छरदानी में पशुओं को रख रहे हैं लेकिन पशुओं के आराम के लिए लोगों के इस तरीका की हर कोई तारीफ कर रहा है.

Intro:स्लग - मच्छरदानी में भैंस
वीओ - आजतक सभी ने मच्छरदानी में इंसान को रहते देखा और सुना होगा लेकिन कैमूर जिले का एक ऐसा गांव जहां मच्छरदानी में भैंस रहती है, सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लगता है लेकिन यह मामला बिल्कुल सही हैBody: ।
कैमूर जिले के मोहनिया थाना क्षेत्र के अमेठ पंचायत के सरेया गांव का है। जो मोहनिया प्रखंड से 7 किलोमीटर दूर बसा हुआ है। यहां की कुल आबादी लगभग 700 के आसपास है, और इस गांव में सिर्फ यादव बिरादरी के लोग रहते हैं। सभी लोग जानवर पशुपालन के तौर पर रखे हुए हैं, जो दुधारू है। गांव के सभी लोग अपने जानवरों को मच्छर से बचाने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करते हैं।
गांव के ग्रामीण बताते हैं गांव में मच्छरों का प्रकोप बहुत ज्यादा है। जिससे हमारी पशु मच्छरों के काटने से व्याकुल होकर कम दूध दिया करती थी। अच्छे से ना खाती थी, ना बैठ पाती थी। तब जाकर हम लोगों ने मच्छरदानी का प्रयोग करना शुरू किया, और गांव में जितनी पशु है उनके बराबर लंबाई चौड़ाई के मच्छरदानी सिल्वा कर लगाए। जिनमें गाय दिन में बिना मछरदानी की जाती है और रात होते ही सभी गायों को मछरदानी से पैक कर दिया जाता है, जिससे हमारी गाय प्रतिदिन एक से डेढ़ लीटर दूध ज्यादा देने लगी ।
वही पशु डॉक्टर ने बताया मवेशियों को मच्छर और कई प्रकार के छोटे-छोटे कीट काटते रहते हैं। जिससे वह अच्छे से खा नहीं पाती है, और जब शरीर को आराम नहीं मिलेगा तो वह दूध सही नहीं दे पाएगी। लेकिन पहली बार सुनने में आया है कि किसी गांव के लोग मच्छरदानी में पशुओं को रख रहे हैं बढ़िया है।

बाइट - पशु डॉक्टर
बाइट - ग्रामीण
बाइट ग्रामीणConclusion:
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