ETV Bharat / state

कैमूर में ODF की हकीकत: शौचालय में बांधी जाती हैं बकरियां और खुले में शौच जाते हैं लोग - कैमूर

ग्रामीणों ने बताया कि निर्माण के बाद से ही शौचालय की दीवार टूटकर गिरने लगी. यही नहीं शौच के दौरान गांव की एक बच्ची पर दीवार भी गिर गई थी, जिस वजह से बच्ची को काफी चोटें भी आई थी. इसके बाद गांव के लोगों ने जर्जर शौचालय में शौच के लिए जाना छोड़ दिया.

odf failure in kaimur
author img

By

Published : Sep 25, 2019, 4:47 PM IST

कैमूर: जरा सोचिए यदि ओडीएफ घोषित जिले के शौचालयों में बकरी बांधी जाती हो, जलावन रखे जाते हों और कई जगह लोग आज भी खुले में शौच के लिए मजबूर हों, तो ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा जिले को खुले में शौचमुक्त घोषित करना जनता के साथ कितनी बड़ी धोखेबाजी है. खासकर तब, जब जिला प्रशासन की वजह से लोग खुले में शौच को मजबूर हैं.

शौचालय में ग्रामीण बांधते हैं बकरी
बता दें कि चांद प्रखंड के हमीरपुर गांव के दलित बस्ती के लोग आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. इस बस्ती में बने शौचालय सही से काम नहीं कर रहे हैं. इसलिए ग्रामीण इसमें बकरी बांधते हैं और लकड़ियां रखते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव के दलित बस्ती में 80 घर हैं, लेकिन ओडीएफ के समय जिला प्रशासन ने 25 घरों में शौचालय का निर्माण करवाया था.

kaimur news
बदहाल स्थिति में शौचालय

जिला प्रशासन नहीं ले रहा कोई सुध
ग्रामीणों ने बताया कि निर्माण के बाद से ही शौचालय की दीवार टूटकर गिरने लगी. यही नहीं शौच के दौरान गांव की एक बच्ची पर दीवार भी गिर गई थी, जिस वजह से बच्ची को काफी चोटें भी आई थी. इसके बाद गांव के लोगों ने जर्जर शौचालय में शौच के लिए जाना छोड़ दिया. लोगों ने बताया कि गांव में बनाये गए 25 में से सभी शौचालय पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं. जो कभी भी ध्वस्त हो सकते हैं. उनलोगों ने बताया कि आज भी हमलोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. लेकिन जिला प्रशासन इस मामले पर कोई सुध नहीं ले रहा है.

kaimur news
ग्रामीण

खुले में शौच जाने को हैं विवश
ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनके शौचालय की मरम्मत अच्छी तरीके से नहीं की जाएगी, तब तक वो लोग खुले में ही शौच जाने के लिए विवश हैं. यही नहीं एक महिला ने बताया कि शौचालय के लिए निर्मित गड्ठे में उसका पोता डूबने लगा था, क्योंकि गड्डा खुला हुआ था, तो किसी तरह से उसकी जान बचाई गई.

ग्रामीणों ने बताया ओडीएफ का हाल

'शौचालय निर्माण में बरती गई अनियमितता'
वहीं, वार्ड सदस्य का कहना है कि प्रखंड विकास पदाधिकारी ने ठेकेदार के माध्यम से शौचालय का निर्माण करवाया था. उस समय में काफी अनियमितता बरती गई थी. जिसकी शिकायत बीडीओ से करने पर भी कुछ नहीं हुआ. साथ ही उन्होंने कहा कि जिले में डीएम से ये आदेश जारी कर दिया है कि खुले में शौच करने वालों पर अब जुर्माना लगाया जाएगा. लेकिन बस्ती के लोग आखिरकार करें तो क्या करें.

लोगों को जागरूक करने की अपील
जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने आये जिला के प्रभारी मंत्री सह परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला ने भी माना कि ओडीएफ में कमी रह गई है. उन्होंने कहा कि वो जिले के प्रबुद्ध लोगों से अपील करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करें, ताकि लोग खुले में शौच के लिए न जाएं.

कैमूर: जरा सोचिए यदि ओडीएफ घोषित जिले के शौचालयों में बकरी बांधी जाती हो, जलावन रखे जाते हों और कई जगह लोग आज भी खुले में शौच के लिए मजबूर हों, तो ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा जिले को खुले में शौचमुक्त घोषित करना जनता के साथ कितनी बड़ी धोखेबाजी है. खासकर तब, जब जिला प्रशासन की वजह से लोग खुले में शौच को मजबूर हैं.

शौचालय में ग्रामीण बांधते हैं बकरी
बता दें कि चांद प्रखंड के हमीरपुर गांव के दलित बस्ती के लोग आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. इस बस्ती में बने शौचालय सही से काम नहीं कर रहे हैं. इसलिए ग्रामीण इसमें बकरी बांधते हैं और लकड़ियां रखते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव के दलित बस्ती में 80 घर हैं, लेकिन ओडीएफ के समय जिला प्रशासन ने 25 घरों में शौचालय का निर्माण करवाया था.

kaimur news
बदहाल स्थिति में शौचालय

जिला प्रशासन नहीं ले रहा कोई सुध
ग्रामीणों ने बताया कि निर्माण के बाद से ही शौचालय की दीवार टूटकर गिरने लगी. यही नहीं शौच के दौरान गांव की एक बच्ची पर दीवार भी गिर गई थी, जिस वजह से बच्ची को काफी चोटें भी आई थी. इसके बाद गांव के लोगों ने जर्जर शौचालय में शौच के लिए जाना छोड़ दिया. लोगों ने बताया कि गांव में बनाये गए 25 में से सभी शौचालय पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं. जो कभी भी ध्वस्त हो सकते हैं. उनलोगों ने बताया कि आज भी हमलोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. लेकिन जिला प्रशासन इस मामले पर कोई सुध नहीं ले रहा है.

kaimur news
ग्रामीण

खुले में शौच जाने को हैं विवश
ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनके शौचालय की मरम्मत अच्छी तरीके से नहीं की जाएगी, तब तक वो लोग खुले में ही शौच जाने के लिए विवश हैं. यही नहीं एक महिला ने बताया कि शौचालय के लिए निर्मित गड्ठे में उसका पोता डूबने लगा था, क्योंकि गड्डा खुला हुआ था, तो किसी तरह से उसकी जान बचाई गई.

ग्रामीणों ने बताया ओडीएफ का हाल

'शौचालय निर्माण में बरती गई अनियमितता'
वहीं, वार्ड सदस्य का कहना है कि प्रखंड विकास पदाधिकारी ने ठेकेदार के माध्यम से शौचालय का निर्माण करवाया था. उस समय में काफी अनियमितता बरती गई थी. जिसकी शिकायत बीडीओ से करने पर भी कुछ नहीं हुआ. साथ ही उन्होंने कहा कि जिले में डीएम से ये आदेश जारी कर दिया है कि खुले में शौच करने वालों पर अब जुर्माना लगाया जाएगा. लेकिन बस्ती के लोग आखिरकार करें तो क्या करें.

लोगों को जागरूक करने की अपील
जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने आये जिला के प्रभारी मंत्री सह परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला ने भी माना कि ओडीएफ में कमी रह गई है. उन्होंने कहा कि वो जिले के प्रबुद्ध लोगों से अपील करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करें, ताकि लोग खुले में शौच के लिए न जाएं.

Intro:कैमूर।

जरा सोचिए यदि ओडीएफ घोषित कैमूर जिले में यदि शौचालय में बकरी, लकड़ी एवं अन्य जानवर को रखा जाता हैं और लोग आज भी खुले में शौच के लिए मजबूर हैं तो ऐसे में जिला प्रसाशन द्वारा जिले को खुले में शौचमुक्त घोषित करना जनता के साथ कितनी बड़ी धोखेबाजी हैं। खासकर तब जब जिला प्रशासन की वजह से लोग खुले में शौच को मजबूर हैं।


Body:आपकों बतादें कि चांद प्रखंड के हमीरपुर गांव के दलित बस्ती का आलम यह हैं कि यहाँ के लोग आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। यही नही इस बस्ती के शौचालय में ग्रामीणों के द्वारा बकरी, लकड़ी और अन्य जानवरों को बांध कर रखा जाता हैं। लेकिन इसमें ग्रामीणों का कोई दोष नही हैं बल्कि जिला प्रशासन की लापरवाही हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि गांव के दलित बस्ती में 80 घर हैं। ओडीएफ के वक़्त जिला प्रशासन द्वारा 25 घरों में शौचालय का निर्माण ठीकेदार द्वारा करवाया गया। निर्माण के बाद शौचालय के दीवार टूटकर गिरने लगे। यही नही शौच के दौरान तो गांव की एक बच्ची पर दीवार गिर गया। जिस वजह से बच्ची को काफी चोट आई थी। जिसके बाद गांव के लोगों ने जर्जर शौचालय में शौच के लिए जाना छोड़ दिया और अब इस बस्ती के अधिकांश शौचालय में बकरी, लकड़ी और दूसरे जानवर बांधे जाते हैं। ग्रामीणों की माने तो 25 में से 25 शौचालय पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं जो कभी भी ध्वस्त हो सकते हैं। ग्रामीणों का कहना हैं कि आज भी लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। लेकिन जिला प्रशासन के तरफ से कोई सुनवाई नही हैं।

यही नही गांव की दलित बस्ती की वार्ड का कहना हैं कि चांद के प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा ठीकेदार के माध्यम से शौचालय का निर्माण करवाया गया था। निर्माण में काफी अनिमियता बरती गई थी। जिसके बाद बीडीओ से कहने पर भी कुछ नही हुआ। वार्ड ने तो बीडीओ पर ठीकेदार से मिलकर शौचालय निर्माण में घुसकोरी का आरोप तक लगा डाल।

ग्रामीणों का कहना हैं कि जबतक उनके शौचालय का मरमत अच्छी तरीके से नही किया जाएगा वो लोग खुले में शौच के लिए विवश हैं। यही नही एक महिला ने बताया कि शौचालय के लिए निर्मित गड्डे में उसका पोता डूबने लगा था क्योंकि गड्डा खुला हुआ हैं। ऐसे में किसी तरफ से उसकी जान बचाई गई हैं।

दूसरी तरफ बस्ती की वार्ड का कहना है कि डीएम से यह आदेश जारी कर दिया हैं कि खुले में शौच करने पर अब जुर्माना लगाया जाएगा। लेकिन बस्ती के लोग आखिरकार करें तो क्या करें उन्हें तो शौचालय भी नही मिला और खुले में शौच को तो मजबूर हैं उसके बाद जुर्माना यह कहा कि न्याय हैं। इसलिए पहले शौचालय का निर्माण करवाया जाए उसके बाद यदि कोई खुले में शौच करता हैं तो जुर्माना वसूला जाए।


Conclusion:मंगलवार को जिले के कार्यक्रम में भाग लेने आये जिला के प्रभारी मंत्री सह परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला ने भी माना कि ओडीएफ में कमी रह गई हैं और मीडिया के सवालों पर कहा कि वो जिले के प्रभुध लोगों से अपील करते हैं कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जाए ताकि लोग खुले में शौच के लिए न जाये।


फिलहाल देखना यह होगा कि क्या ज़िला प्रशासन आपने कागजी ओडीएफ को जमीन पर उतरती हैं। आखिरकार कब जिले में काम कागजों में कम और जमीन पर अधिक होगा।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.