कैमूर: जिले के अधौरा प्रखंड के पहाड़ के करीब 600 फीट की गहराई में बसे कदहर कला गांव में विकास के सारे दावे फेल हैं. आजादी के सात दशक के बाद भी इस गांव को अभी तक सड़क नसीब नहीं हुई है. यह गांव जिले का सबसे पिछड़ा गांव है. जिला मुख्यालय भभुआ से इसकी दूरी 72 किमी है.
मुख्य सड़क से गांव में पहुंचने के लिए ग्रामीणों को करीब 2 किमी जटिल दुर्लभ जानलेवा घाटियों से होकर गुजरना पड़ता है. 21वीं सदी में भी आजतक गांव के लोगों ने एम्बुलेंस नहीं देखा है. ऐसे में सुशासन और विकास की सरकार के ऊपर सवाल खड़े होते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि गांव में नल-जल की कोई व्यवस्था नहीं है. स्वास्थ्य केन्द्र नहीं है, सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं है, न ही इस गांव को सड़क नसीब हुआ है.
6 घंटे पैदल चलकर पहुंचते हैं अस्पताल
विकास के नाम पर यहां सिर्फ सोलर लाइट की सुविधा है, वो भी आधी-अधूरी. सरपंच प्रतिनिधि तिलकधारी सिंह और ग्रामीण शोभनाथ सिंह ने कहा कि अगर किसी की तबीयत खराब हो जाती है तो कपड़े का स्ट्रेचर बनाकर उसे अधौरा ले जाते हैं. 8 लोग मिलकर 1 मरीज को लेकर 6 घंटे की पैदल चढ़ाई के बाद प्रखंड मुख्यालय पहुंचते हैं. दोनों ने बताया कि सालों से गांव के कई मरीजों ने तो पहाड़ पर ही अपना दम तोड़ दिया. समय पर अस्पताल न पहुंच पाने के कारण न जाने कितने लोगों की मौत हो चुकी है.
बीडीओ ने दिया आश्वासन
प्रखंड विकास पदाधिकारी आलोक कुमार शर्मा ने कहा कि प्रशासनिक स्तर पर काम किये जा रहे हैं. जल्द ही गांव में सड़क निर्माण करवाया जायेगा. उन्होंने कहा कि रास्ता न होने से किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीण अच्छी तरह से नहीं ले पा रहे हैं. सड़क के अभाव में नल-जल योजना का काम नहीं हो पाया है. उन्होंने बताया कि पहाड़ की जमीन वन विभाग की है. वन विभाग की जमीन होने के कारण भी बहुत परेशानी होती है, लेकिन प्रशासन की यह कोशिश है कि जल्द ही अब ग्रामीणों को सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं.