कैमूर: एक तरफ देश में राजनीतिक पार्टी वर्चुअल रैली कर रही है. वहीं, बिहार के ही कैमूर जिले के अधौरा प्रखंड के 90 ऐसे गांव है. जहां मोबाइल नेटवर्क का नामोनिशान नहीं है.
लोगों के पास मोबाइल फोन तो हैं, लेकिन उनमें नेटवर्क नहीं है. अधौरा प्रखंड के दुगधा, सारोदाग, लोहरा, झड़पा और अधौरा यहीं सिर्फ पांच जगहों पर सिर्फ बीएसएनएल का जीपीएस मोबाइल नेटवर्क मिलता है. जिलें के सांसद सहित सभी चारों विधायक बीजेपी पार्टी होने के बावजूद भी यहां विकस नहीं हो पाया है.
मोबाइल नेटवर्क नहीं होने कारण लोग परेशान
बीएसएनएल ऑफिस के मुताबिक करीब 2 साल पहले भाजपा सांसद छेदी पासवान की निजी फंड से अधौरा में एलडब्लूई प्रोजेक्ट के तहत 82 गांव में मोबाइल नेटवर्क पहुंचाने के दिशा में कुछ काम किया गया था. लेकिन आज तक इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल न होने के कारण अधौरा प्रखंड मोबाइल नेटवर्क से वंचित है.
बता दें कि अधौरा प्रखंड और चैनपुर प्रखंड के कुछ हिस्से नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. जिलें के कई पर्यटक स्थल भी इस क्षेत्र में है. जैसे तेलहार कुण्ड, करकटगढ़ सहित कई अन्य. इसके बावजूद भी इस क्षेत्र का विकास न हो सका है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास मोबाइल है. लेकिन नेटवर्क नहीं मिलता है. गांव में मोबाइल से सिर्फ गाना सुनते है. जब किसी को बात करनी होती है. तो 15 किमी सफर तयकर अधौरा प्रखंड मुख्यालय जाना पड़ता है. इसके लिए उन्हें पहाड़ की चढ़ाई से होकर गुजरना पड़ता है.