कैमूर: जिला मुख्यालय भभुआ से लगभग 32 किमी दूर कैमूर पर्वत श्रृंखला स्तिथ तेलहार कुण्ड झील सरकार की लापरवाही और जिला प्रशासन की अनदेखी से सुरक्षित पिकनिक स्पॉट नहीं बन पाया है. इसकी खुबसूरती की दास्तान यूपी, बिहार और झारखंड तक मशहूर हैं. सुरक्षित पिकनिक स्पॉट नहीं बन पाने से यहां आए पर्यटकों के साथ अनहोनी होने का खतरा बना रहता है.
बारिश के दिनों में आते है ज्यादा पर्यटक
बारिश के दिनों में लोग यहां पूरे परिवार के साथ पिकनीक मनाने आते हैं. यहां पर्यटक जलप्रपात से 250 से अधिक फ़ीट की ऊँचाई से गिरते पानी और उसके फव्वारें को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं. कैमूर के इस पर्यटन स्थल का दुर्भाग्य है कि यहां सुरक्षा और सुविधा के नाम पर जिला प्रशासन और सरकार के द्वारा कुछ भी मुहैय्या नहीं कराया जाता है. यहां जलप्रपात का मुख्य जलस्त्रोत खरगडा अधौरा से निकली सुवर्ण नदी के साथ बरसात की दिनों में पहाड़ियों से निकलने वाली कई छोटी नादिया हैं.
![Kaimur mountain](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4190862_-2.png)
जलप्रपात से किया जा सकता है बिजली उत्पादन
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नेशनल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन द्वारा यहाँ सर्वे भी किया गया था. सर्वे में बताया गया था कि इस जलप्रपात से गिरने वाले जलस्रोत से लगभग 60 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है. इस कुण्ड का दुर्भाग्य है कि सर्वे सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गया है, और अभी तक यह प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू नहीं हो पाया हैं.
![Kaimur mountain](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4190862_-3.png)
प्राकृतकर वातावरण करता है आकर्षित
ईटीवी भारत से बातचीत में बिहार के कई जगहों से आये पर्यटकों ने बताया कि कैमूर पहाड़ी पर स्थित यह जलप्रपात चारों तरह से पहाड़ियों से घिरा हुआ है. उन्होंने बताया कि यहां शांति के साथ प्राकृतिक आनंद मिलता है. घूमने आए पर्यटकों ने बताया कि यहां का प्राकृतिक वातावरण उन्हें यहां बार-बार आने के लिए आकर्षित करता है.
कईयों की जा चुकी हैं जान
प्रकृति की गोद में स्थित तेल्हार जलप्रपात जहां अपनी खूबसूरती और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए मशहूर है, तो वहीं चारों तरह हरियाली और बीच मे 250 फीट से अधिक की ऊंचाई से तेज धार पानी गिरने का शोर पर्यटकों को रोमांचित कर देता है. लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण सेल्फी लेने और नहाने के समय कई लोगों की मौत इस जलप्रपात में हो चुकी है.
बैरिकेडिंग की डिमांड
पर्यटकों ने बताया कि झील का पानी 250 फ़ीट की गहराई में गिरता है. जिसे देखने के लिए पर्यटक ललायित रहते हैं. इसी जलप्रपात को देखने के चक्कर में कई पर्यटक अपनी जान गंवा चुके हैं. पर्यटकों ने बताया कि अगर सरकार की ओर से यहां स्थाई बैरिकेडिंग कर दिया जाता है, तो बहुत सी जिंदगियां बच सकती हैं. सुरक्षा की दृष्टीकोण से यह जलप्रपात देश के अन्य जलप्रपातों को टक्कर दे सकता है और यहां पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा, जिसका लाभ सरकार को मिलेगा.
ऐसे में देखने वाली बात यह है कि आखिरकार कब इस झील को पूरी तरह से पर्यटन की दृष्टिकोण से विकसित किया जाएगा. जलप्रपात पर बिजली परियोजना शुरू हो पाती है या नहीं. जिला प्रशासन और सरकार आखिर कब सुरक्षा के लिहाज से यहां सुविधाएं उपलब्ध करवाती हैं.