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कैमूर: प्रकृति का वरदान है तेलहार कुण्ड झील, सरकारी अनदेखी का है शिकार - जलप्रपात से किया जा सकता है बिजली उत्पादन

जलप्रपात, खूबसूरती और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए मशहूर कैमूर पर्वत श्रृंखला स्तिथ तेलहार कुण्ड झील सुरक्षित पिकनिक स्पॉट नही बन पाया है. फिलहाल बुनियादी सुविधाओं के लिए सरकार की राह देख रहा हैं पर्यटन स्थल. सुरक्षा के इंतजाम नहीं होनें के कारण कई लोग गंवा चुके है अपनी जान.

बुनियादी सुविधाओं के लिए सरकार की राह देख रहा है पर्यटन स्थल
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Published : Aug 20, 2019, 11:47 PM IST

कैमूर: जिला मुख्यालय भभुआ से लगभग 32 किमी दूर कैमूर पर्वत श्रृंखला स्तिथ तेलहार कुण्ड झील सरकार की लापरवाही और जिला प्रशासन की अनदेखी से सुरक्षित पिकनिक स्पॉट नहीं बन पाया है. इसकी खुबसूरती की दास्तान यूपी, बिहार और झारखंड तक मशहूर हैं. सुरक्षित पिकनिक स्पॉट नहीं बन पाने से यहां आए पर्यटकों के साथ अनहोनी होने का खतरा बना रहता है.

बारिश के दिनों में आते है ज्यादा पर्यटक
बारिश के दिनों में लोग यहां पूरे परिवार के साथ पिकनीक मनाने आते हैं. यहां पर्यटक जलप्रपात से 250 से अधिक फ़ीट की ऊँचाई से गिरते पानी और उसके फव्वारें को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं. कैमूर के इस पर्यटन स्थल का दुर्भाग्य है कि यहां सुरक्षा और सुविधा के नाम पर जिला प्रशासन और सरकार के द्वारा कुछ भी मुहैय्या नहीं कराया जाता है. यहां जलप्रपात का मुख्य जलस्त्रोत खरगडा अधौरा से निकली सुवर्ण नदी के साथ बरसात की दिनों में पहाड़ियों से निकलने वाली कई छोटी नादिया हैं.

Kaimur mountain
पर्यटन का आंनद लेते पर्यटक

जलप्रपात से किया जा सकता है बिजली उत्पादन
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नेशनल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन द्वारा यहाँ सर्वे भी किया गया था. सर्वे में बताया गया था कि इस जलप्रपात से गिरने वाले जलस्रोत से लगभग 60 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है. इस कुण्ड का दुर्भाग्य है कि सर्वे सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गया है, और अभी तक यह प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू नहीं हो पाया हैं.

Kaimur mountain
भोजन बनाते पर्यटक


प्राकृतकर वातावरण करता है आकर्षित
ईटीवी भारत से बातचीत में बिहार के कई जगहों से आये पर्यटकों ने बताया कि कैमूर पहाड़ी पर स्थित यह जलप्रपात चारों तरह से पहाड़ियों से घिरा हुआ है. उन्होंने बताया कि यहां शांति के साथ प्राकृतिक आनंद मिलता है. घूमने आए पर्यटकों ने बताया कि यहां का प्राकृतिक वातावरण उन्हें यहां बार-बार आने के लिए आकर्षित करता है.

कईयों की जा चुकी हैं जान
प्रकृति की गोद में स्थित तेल्हार जलप्रपात जहां अपनी खूबसूरती और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए मशहूर है, तो वहीं चारों तरह हरियाली और बीच मे 250 फीट से अधिक की ऊंचाई से तेज धार पानी गिरने का शोर पर्यटकों को रोमांचित कर देता है. लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण सेल्फी लेने और नहाने के समय कई लोगों की मौत इस जलप्रपात में हो चुकी है.

बुनियादी सुविधाओं के लिए सरकार की राह देख रहा है पर्यटन स्थल

बैरिकेडिंग की डिमांड
पर्यटकों ने बताया कि झील का पानी 250 फ़ीट की गहराई में गिरता है. जिसे देखने के लिए पर्यटक ललायित रहते हैं. इसी जलप्रपात को देखने के चक्कर में कई पर्यटक अपनी जान गंवा चुके हैं. पर्यटकों ने बताया कि अगर सरकार की ओर से यहां स्थाई बैरिकेडिंग कर दिया जाता है, तो बहुत सी जिंदगियां बच सकती हैं. सुरक्षा की दृष्टीकोण से यह जलप्रपात देश के अन्य जलप्रपातों को टक्कर दे सकता है और यहां पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा, जिसका लाभ सरकार को मिलेगा.

ऐसे में देखने वाली बात यह है कि आखिरकार कब इस झील को पूरी तरह से पर्यटन की दृष्टिकोण से विकसित किया जाएगा. जलप्रपात पर बिजली परियोजना शुरू हो पाती है या नहीं. जिला प्रशासन और सरकार आखिर कब सुरक्षा के लिहाज से यहां सुविधाएं उपलब्ध करवाती हैं.

कैमूर: जिला मुख्यालय भभुआ से लगभग 32 किमी दूर कैमूर पर्वत श्रृंखला स्तिथ तेलहार कुण्ड झील सरकार की लापरवाही और जिला प्रशासन की अनदेखी से सुरक्षित पिकनिक स्पॉट नहीं बन पाया है. इसकी खुबसूरती की दास्तान यूपी, बिहार और झारखंड तक मशहूर हैं. सुरक्षित पिकनिक स्पॉट नहीं बन पाने से यहां आए पर्यटकों के साथ अनहोनी होने का खतरा बना रहता है.

बारिश के दिनों में आते है ज्यादा पर्यटक
बारिश के दिनों में लोग यहां पूरे परिवार के साथ पिकनीक मनाने आते हैं. यहां पर्यटक जलप्रपात से 250 से अधिक फ़ीट की ऊँचाई से गिरते पानी और उसके फव्वारें को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं. कैमूर के इस पर्यटन स्थल का दुर्भाग्य है कि यहां सुरक्षा और सुविधा के नाम पर जिला प्रशासन और सरकार के द्वारा कुछ भी मुहैय्या नहीं कराया जाता है. यहां जलप्रपात का मुख्य जलस्त्रोत खरगडा अधौरा से निकली सुवर्ण नदी के साथ बरसात की दिनों में पहाड़ियों से निकलने वाली कई छोटी नादिया हैं.

Kaimur mountain
पर्यटन का आंनद लेते पर्यटक

जलप्रपात से किया जा सकता है बिजली उत्पादन
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नेशनल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन द्वारा यहाँ सर्वे भी किया गया था. सर्वे में बताया गया था कि इस जलप्रपात से गिरने वाले जलस्रोत से लगभग 60 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है. इस कुण्ड का दुर्भाग्य है कि सर्वे सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गया है, और अभी तक यह प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू नहीं हो पाया हैं.

Kaimur mountain
भोजन बनाते पर्यटक


प्राकृतकर वातावरण करता है आकर्षित
ईटीवी भारत से बातचीत में बिहार के कई जगहों से आये पर्यटकों ने बताया कि कैमूर पहाड़ी पर स्थित यह जलप्रपात चारों तरह से पहाड़ियों से घिरा हुआ है. उन्होंने बताया कि यहां शांति के साथ प्राकृतिक आनंद मिलता है. घूमने आए पर्यटकों ने बताया कि यहां का प्राकृतिक वातावरण उन्हें यहां बार-बार आने के लिए आकर्षित करता है.

कईयों की जा चुकी हैं जान
प्रकृति की गोद में स्थित तेल्हार जलप्रपात जहां अपनी खूबसूरती और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए मशहूर है, तो वहीं चारों तरह हरियाली और बीच मे 250 फीट से अधिक की ऊंचाई से तेज धार पानी गिरने का शोर पर्यटकों को रोमांचित कर देता है. लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण सेल्फी लेने और नहाने के समय कई लोगों की मौत इस जलप्रपात में हो चुकी है.

बुनियादी सुविधाओं के लिए सरकार की राह देख रहा है पर्यटन स्थल

बैरिकेडिंग की डिमांड
पर्यटकों ने बताया कि झील का पानी 250 फ़ीट की गहराई में गिरता है. जिसे देखने के लिए पर्यटक ललायित रहते हैं. इसी जलप्रपात को देखने के चक्कर में कई पर्यटक अपनी जान गंवा चुके हैं. पर्यटकों ने बताया कि अगर सरकार की ओर से यहां स्थाई बैरिकेडिंग कर दिया जाता है, तो बहुत सी जिंदगियां बच सकती हैं. सुरक्षा की दृष्टीकोण से यह जलप्रपात देश के अन्य जलप्रपातों को टक्कर दे सकता है और यहां पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा, जिसका लाभ सरकार को मिलेगा.

ऐसे में देखने वाली बात यह है कि आखिरकार कब इस झील को पूरी तरह से पर्यटन की दृष्टिकोण से विकसित किया जाएगा. जलप्रपात पर बिजली परियोजना शुरू हो पाती है या नहीं. जिला प्रशासन और सरकार आखिर कब सुरक्षा के लिहाज से यहां सुविधाएं उपलब्ध करवाती हैं.

Intro:कैमूर।
जिला मुख्यालय भभुआ से लगभग 32 किमी दूर अधौरा प्रखंड में कैमूर पर्वत श्रृंखला पर स्तिथ है तेलहार कुण्ड झील सरकार की लापरवाही और जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण सुरक्षित पिकनिक स्पॉट नही बन सका। जबकि इसकी खुबसूरती की दास्तान यूपी, बिहार और झारखंड तक हैं।




Body:आपको बतादें की इस जलप्रपात से 250 से अधिक फ़ीट की ऊँचाई से गिरते पानी और उसके फव्वारें को देखने के लिए पर्यटक दूर दूर से यहाँ आते है। लोग दूर दूर से यहाँ सालों भर पिकनिक मनाने आते है लेकिन बरसात के दिनों में यहाँ पर्यटकों की अधिक संख्या देखी जाती है। लेकिन कैमूर के इस पर्यटन स्थल का दुर्भाग्य है कि यहां सुरक्षा और सुविधा के नाम पर जिला प्रशासन और सरकार के द्वारा कुछ भी मुहैया नही कराया जाता हैं।

इस जलप्रपात का मुख्य जलस्त्रोत खरगडा अधौरा से निकली सुवर्ण नदी के साथ बरसात की दिनों में पहाड़ियों से निकलने वाली कई छोटी नादिया हैं।

यही नही आपको जानकर यह हैरानी भी होगी कि नेशनल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन द्वारा यहाँ सर्वे भी किया गया था। सर्वे में बताया गया था कि इस जलप्रपात से गिरने वाले जलस्रोत से लगभग 60 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। लेकिन इस कुण्ड का दुर्भाग्य है कि सर्वे सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गया है। अभी तक यह प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू नही हो पाया हैं।


ईटीवी भारत से बातचीत में बिहार के कई जगहों से आये पर्यटकों ने बताया कि कैमूर पहाड़ी पर स्तिथ यह जलप्रपात चारों तरह से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। शांति के साथ प्राकृतिक आंनद के लिए इस कुण्ड पर पिकनिक मनाने परिवार और दोस्तो के साथ यूपी, बिहार आते है। लेकिन प्रशासन के तरफ से सुरक्षा का कोई इंतजाम नही किया जाता हैं। न जाने कितने लोगों की मौत भी इस जलप्रपात में बहकर हो चुकी है बावजूद इसके सुरक्षा के कोई इंतजाम नही है।


कईयों जी जा चुकी है जान
प्रकृति के गोद मे स्तिथ तेल्हार जलप्रपात चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह जलप्रपात अपनी खूबसूरती और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए मशहूर है। चारों तरह हरियाली और बीच मे 250 फीट से अधिक की ऊंचाई से तेज़ धार पानी गिरने का शोर पर्यटक को रोमांचित कर देती हैं। लेकिन सुरक्षा के कुछ भी इंतजाम नही होने के कारण सेल्फी लेने और नहाने के दौरान कईयों को अपने आघोष मे के चुका है यह जलप्रपात।



बैरिकेटिंग की डिमांड
पर्यटकों ने बताया कि झील की पानी जहाँ से 250 फ़ीट की गहराई में गिरता हैं वहाँ स्थाई बैरिकेटिंग की जरूरत है यदि सरकार द्वारा यह कार्य कर दिया जाता है तो बहुत सी जिंदगियां बच सकती हैं और पर्यटक के दृष्टिकोण से यह जलप्रपात देश के अन्य जलप्रपात को काफी टक्कर दे सकता हैं। जिसके बाद बिहार और कैमूर में भी पर्यटकों की संख्या ने इजाफा होगा और इसका लाभ सरकार को मिलेगा।



Conclusion:देखना यह होगा कि आखिरकार कब इस झील को पूरी तरह से पर्यटक के दृष्टिकोण से विकसित कब किया जाता हैं। कब इस जलप्रपात पर बिजली परियोजना शुरू होती है। जिला प्रशासन और सरकार आखिर कब सुरक्षा के लिहाज से यहाँ सुविधाएं उपलब्ध करवाती हैं। फिलहाल बुनियादी सुविधाओं के लिए यह पर्यटक स्थल सरकार की राह देख रहा हैं।
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