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...तो क्या कैमूर में भी बनेगा टाइगर रिजर्व? सरकार को भेजा गया प्रपोजल - tiger reserve park in kaimur

डीडीसी कृष्णा प्रसाद ने कहा कि यहां के अधौरा प्रखंड के पहाड़ियों पर घना जंगल है. इसका क्षेत्रफल भी काफी अधिक है. जिला प्रशासन के स्तर से वन विभाग ने टाइगर रिजर्व का प्रपोजल सरकार को दे दी है. यदी सरकार आदेश करती है तो बहुत जल्द ही इसपर काम शुरू किया जाएगा.

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Published : Sep 9, 2019, 2:19 PM IST

Updated : Sep 9, 2019, 3:13 PM IST

कैमूर: बिहार में वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व के बाद कैमूर को दूसरा टाइगर रिजर्व बनाने की कवायद चल रही है. इसका प्रपोसल बनाकर सरकार को सौंप दिया गया है. इस बात की जानकारी जिले के प्रभारी डीएम सह डीडीसी कृष्णा प्रसाद गुप्ता ने दी. उन्होंने कहा कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही कैमूर दूसरा टाइगर रिजर्व बन सकता है.

क्या कहते हैं प्रभारी डीएम ?
डीडीसी कृष्णा प्रसाद ने कहा कि यहां के अधौरा प्रखंड के पहाड़ियों पर घना जंगल है. इसका क्षेत्रफल भी काफी अधिक है. जिला प्रशासन के स्तर से वन विभाग ने टाइगर रिजर्व का प्रपोजल सरकार को दे दी है. यदि सरकार आदेश करती है तो बहुत जल्द ही इसपर काम शुरू किया जाएगा. इससे टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और बिहार की एक अलग पहचान बनेगी.

कैमूर से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'राजकोष में होगा इजाफा'
प्रभारी डीएम बताते हैं कि यहां जंगलों में कई जानवर देखें गए हैं. इस क्षेत्र में क्रोकोडाइल रिजर्व भी है. यहां इको टूरिज्म के स्तर से विकास होना चाहिए. अगर टाइगर रिजर्व बनता है इससे सरकार के राजकोषीय में बढ़ोतरी होगी.

kaimur
प्रभारी डीएम सह डीडीसी कृषणा प्रसाद गुप्ता

इन तीन राज्यों से घिरा है कैमूर
बता दें की वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का एरिया लगभग 900 वर्ग किलोमीटर में हैं और यहां करीब 31 बाघ हैं. दूसरी तरफ अगर आंकड़ों की माने तो कैमूर जिला झारखण्ड, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश तीन राज्यों से घिरा हुआ है. यहां लगभग 1800 वर्ग किमी जंगली क्षेत्र हैं. कैमूर की जंगलों में भी बाघ देखे गए हैं और विभिन्न जगहों पर उनके निशान में मिले हैं. ऐसे में अगर सरकार और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथोरिटी यदि इस प्रोपोजल पर मुहर लगती है, तो दिन वह दूर नहीं कि बिहार का दूसरा टाइगर रिजर्व कैमूर में होगा.

कैमूर: बिहार में वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व के बाद कैमूर को दूसरा टाइगर रिजर्व बनाने की कवायद चल रही है. इसका प्रपोसल बनाकर सरकार को सौंप दिया गया है. इस बात की जानकारी जिले के प्रभारी डीएम सह डीडीसी कृष्णा प्रसाद गुप्ता ने दी. उन्होंने कहा कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही कैमूर दूसरा टाइगर रिजर्व बन सकता है.

क्या कहते हैं प्रभारी डीएम ?
डीडीसी कृष्णा प्रसाद ने कहा कि यहां के अधौरा प्रखंड के पहाड़ियों पर घना जंगल है. इसका क्षेत्रफल भी काफी अधिक है. जिला प्रशासन के स्तर से वन विभाग ने टाइगर रिजर्व का प्रपोजल सरकार को दे दी है. यदि सरकार आदेश करती है तो बहुत जल्द ही इसपर काम शुरू किया जाएगा. इससे टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और बिहार की एक अलग पहचान बनेगी.

कैमूर से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'राजकोष में होगा इजाफा'
प्रभारी डीएम बताते हैं कि यहां जंगलों में कई जानवर देखें गए हैं. इस क्षेत्र में क्रोकोडाइल रिजर्व भी है. यहां इको टूरिज्म के स्तर से विकास होना चाहिए. अगर टाइगर रिजर्व बनता है इससे सरकार के राजकोषीय में बढ़ोतरी होगी.

kaimur
प्रभारी डीएम सह डीडीसी कृषणा प्रसाद गुप्ता

इन तीन राज्यों से घिरा है कैमूर
बता दें की वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का एरिया लगभग 900 वर्ग किलोमीटर में हैं और यहां करीब 31 बाघ हैं. दूसरी तरफ अगर आंकड़ों की माने तो कैमूर जिला झारखण्ड, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश तीन राज्यों से घिरा हुआ है. यहां लगभग 1800 वर्ग किमी जंगली क्षेत्र हैं. कैमूर की जंगलों में भी बाघ देखे गए हैं और विभिन्न जगहों पर उनके निशान में मिले हैं. ऐसे में अगर सरकार और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथोरिटी यदि इस प्रोपोजल पर मुहर लगती है, तो दिन वह दूर नहीं कि बिहार का दूसरा टाइगर रिजर्व कैमूर में होगा.

Intro:कैमूर।

अगर सब कुछ ठीक रहा तो बिहार का दूसरा टाइगर रिज़र्व कैमूर पहाड़ियों पर बसे जंगल में जल्द ही बन सकता हैं। कैमूर में टाइगर रिज़र्व बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई हैं। प्रपोजल बनाकर सरकार को भी भेज दिया गया हैं। अगर सरकार मोहर लगाती हैं तो वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के बाद राज्य को दूसरा टाइगर रिज़र्व कैमूर में बन सकता हैं।


Body:आपकों बतादें कि जिले के प्रभारी डीएम सह डीडीसी ने बताया कि कैमूर पहाड़ी पर बसे अधौरा प्रखंड और चैनपुर प्रखंड के करकटगढ़ तक काफी घनघोर जंगल हैं। और कैमूर में जंगलों के क्षेत्रफल भी काफी अधिक हैं। ऐसे में कैमूर में टाइगर रिज़र्व बनाने के लिए जिला प्रशासन के स्तर से वन विभाग द्वारा प्रपोजल बनाकर सरकार को भेज दिया गया हैं। यदि सरकार आदेश करती हैं तो इस दिशा में काम किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कैमूर पहाड़ी पर बसे जंगलों में कई प्रकार के जानवर भी देखे गए हैं। इस क्षेत्र में क्रोकोडाइल रिज़र्व भी हैं और इको टूरिज्म के स्तर से विकास भी होना हैं। इस दृष्टिकोण से कैमूर में यदि टाइगर रिज़र्व बनता हैं तो अच्छा होगा और इकोसिस्टम को बैलेंस भी करेगा।

आपकों बतादें की वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व का एरिया लगभग 900 वर्ग किलोमीटर में हैं और यहाँ करीब 31 बाघ हैं। तो दूसरी तरफ अगर आंकड़ों की माने तो कैमूर जिला झारखण्ड उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश तीन राज्य से घिरा हुआ हैं और यहां लगभग 1800 वर्ग किमी जंगली क्षेत्र हैं। ऐसे में वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व तो दोगुना ज़्यादा जंगली क्षेत्र हैं। यही नही कैमूर की जंगलों में भी बाघ को देखे गए हैं और विभिन्न जगहों पर उनके निशान में मिले हैं। ऐसे में अगर सरकार और नेशनल टाइगर कंजेर्वशन ऑथोरिटी यदि इस प्रोपोजल पर मुहर लगती हैं तो वह दिन दूर नही होगा और बिहार का दूसरा टाइगर रिज़र्व कैमूर में बनकर जल्द ही तैयार हो जाएगा। आपकों बतादें कि आंकड़ों के मुताबिक कैमूर में 1134 वर्ग किलोमीटर जंगली क्षेत्र हैं और 986 वर्ग किमी वन्यजीव अभ्यारण्य क्षेत्र हैं यही नही कैमूर का 34 प्रतिशत भाग हरियाली हैं जो कि बिहार में पहले स्थान पर आता हैं।


Conclusion:
Last Updated : Sep 9, 2019, 3:13 PM IST
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