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बांका: चांदन नदी में मिले अवशेषों का निरीक्षण

बांका में चांदन नदी के तट पर मिले पुराने भवनों के अवशेषों का भागलपुर तिलकामांझी विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विद के अधिकारियों ने औचक निरीक्षण किया.

पुरातत्व विदों ने निरीक्षण किया
पुरातत्व विदों ने निरीक्षण किया
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Published : Nov 26, 2020, 9:57 PM IST

बांका: जिले के अमरपुर क्षेत्र में चांदन नदी में मिले अवशेषों का पुरातत्व विदों ने निरीक्षण किया. इस दौरान तिलकामांझी विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बीएल चौधरी, जैन मंदिर के सचिव सुनील जैन, असिसटेन्ट प्रोफेसर डॉ. दिनेश कुमार गुप्ता और डॉ. पवन शेखर मौजूद रहे. मौके पर विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बीएल चौधरी ने चांदन नदी के बीचों बीच मिले पुराने अवशेषों का बारीकी से निरीक्षण किया. साथ ही अवशेषों के नमूने एकत्र किए.

अधिकारियों ने औचक निरीक्षण किया
अधिकारियों ने औचक निरीक्षण किया

'5वीं शताब्दी के लग रहे अवशेष'
प्रोफेसर बीएल चौधरी ने बताया कि मिले अवशेषों के स्थल के ऊपरी सतह पर चांदन नदी का पानी बह रहा है. जो अवशेष मिले हैं उनमें ईंट का प्रयोग 5वीं शताब्दी से लेकर 16वीं शताब्दी के बीच किया जाता था. प्रथम दृष्टि से ये स्थल 5वीं शताब्दी के लग रहे हैं. डॉ. दिनेश गुप्ता ने बताया कि स्थल का बचाव कार्य किया जाना चाहिए. पुरातत्व टीमों के द्वारा सर्वेक्षण के बाद ही स्थल की खुदाई की जा सकती है.

अवशेषों का पुरातत्व विदों ने निरीक्षण किया
अवशेषों का पुरातत्व विदों ने निरीक्षण किया

बता दें कि कुछ शरारती तत्वों के लोग पानी से पुराने ईंटों को उखाड़ कर लेकर चले गये. अब ये तो पुरातत्व विभाग की जांच और खुदाई के बाद ही पता चलेगा कि चांदन नदी के तट पर मिले अवशेषों का रहस्य क्या है? फिलहाल भदरिया गांव और आसपास के ग्रामीणों में खुशी देखी जा रही है.

बांका: जिले के अमरपुर क्षेत्र में चांदन नदी में मिले अवशेषों का पुरातत्व विदों ने निरीक्षण किया. इस दौरान तिलकामांझी विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बीएल चौधरी, जैन मंदिर के सचिव सुनील जैन, असिसटेन्ट प्रोफेसर डॉ. दिनेश कुमार गुप्ता और डॉ. पवन शेखर मौजूद रहे. मौके पर विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बीएल चौधरी ने चांदन नदी के बीचों बीच मिले पुराने अवशेषों का बारीकी से निरीक्षण किया. साथ ही अवशेषों के नमूने एकत्र किए.

अधिकारियों ने औचक निरीक्षण किया
अधिकारियों ने औचक निरीक्षण किया

'5वीं शताब्दी के लग रहे अवशेष'
प्रोफेसर बीएल चौधरी ने बताया कि मिले अवशेषों के स्थल के ऊपरी सतह पर चांदन नदी का पानी बह रहा है. जो अवशेष मिले हैं उनमें ईंट का प्रयोग 5वीं शताब्दी से लेकर 16वीं शताब्दी के बीच किया जाता था. प्रथम दृष्टि से ये स्थल 5वीं शताब्दी के लग रहे हैं. डॉ. दिनेश गुप्ता ने बताया कि स्थल का बचाव कार्य किया जाना चाहिए. पुरातत्व टीमों के द्वारा सर्वेक्षण के बाद ही स्थल की खुदाई की जा सकती है.

अवशेषों का पुरातत्व विदों ने निरीक्षण किया
अवशेषों का पुरातत्व विदों ने निरीक्षण किया

बता दें कि कुछ शरारती तत्वों के लोग पानी से पुराने ईंटों को उखाड़ कर लेकर चले गये. अब ये तो पुरातत्व विभाग की जांच और खुदाई के बाद ही पता चलेगा कि चांदन नदी के तट पर मिले अवशेषों का रहस्य क्या है? फिलहाल भदरिया गांव और आसपास के ग्रामीणों में खुशी देखी जा रही है.

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