कैमूर: दिल्ली-कोलकाता एनएच-2 पर पूर्वी पश्चिमी दोनों लेन में ट्रकों की लंबी कतार से महाजाम की स्तिथि उत्पन्न हो गई है. ट्रकों के जाम में प्रवासी मजदूर भी फंसे हुए हैं, जिन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. मजदूर सिर्फ बिस्कुट और पानी के सहारे सफर करने को मजबूर हैं. आलम ये है एनएच-2 मोहनियां और दुर्गावति में लगे महाजाम के कारण हाईवे पर पैर रखना भी मुश्किल हो गया है.
सुविधा का अभाव
सरकारी आंकड़ों की मानें तो बिहार में अब तक 14 राज्यों से 195 विशेष ट्रेनों के माध्यम से 2 लाख 46 हजार 160 लोग पहुंच चुके हैं. सबसे अधिक गुजरात से 33 ट्रेनों से 39976 लोग बिहार पहुंचे हैं. वहीं, महाराष्ट्र से 30 ट्रेन के माध्यम से 29951 प्रवासी वापस लौट चुके हैं. सवाल ये है कि सरकारी सुविधा और मदद के बाद भी प्रवासी मजदूर आखिरकार ट्रकों में जान जोखिम में डालकर जानवरों की तरह सफर करने को क्यों मजबूर हैं?
पैदल ही घर के लिए निकले मजदूर
हरियाणा से लौट रहे प्रवासियों ने बताया कि 15 दिनों से रजिस्ट्रेशन कराने के बाद भी कोई सूचना नहीं दी गई. उन्होंने बताया कि फोन पर सिर्फ आश्वासन मिलता है. मदद के नाम पर उनके पास अनाज तक नहीं पहुंचा. ऐसे में थक हारकर सभी मजदूर पैदल ही घर के लिए निकल पड़े, जिसके बाद रास्ते में उन्हें ट्रक मिला.
30 किमी लंबा जाम
वहीं, एक अन्य मजदूर ने बताया कि अगर सरकार बिहार में काम देती तो दूसरे राज्य में जानें की जरूरत ही नहीं होती. जाम में फंसे दिहाड़ी मजदूरों पर दोहरी मार पड़ रही है. कैमूर से रोहतास के बीच एनएच-2 पर 30 किमी तक लंबा जाम लगा है.