कैमूर(भभुआ): जिले में एक ऐसे मजदूर परिवार की बेबसी सामने आई है जो पीएम आवास के इंतजार में प्लास्टिक के नीचे दिन रहा है. यह मामला नुआंव प्रखण्ड के कुढ़नी गांव में सामने आया है. उस मजदूर का मिट्टी का मकान ढह गया तो उसे सिर छिपाने के लिए झोपड़ी खड़ी की. किस्मत भी यहां भी दगा दे गयी. खून-पसीने की कमाई से खड़ी झोपड़ी जल गयी. घर के सभी सामान जल गये.
प्लास्टिक लगा कर रहने को मजबूर परिवार
अब मजदूर परिवार प्लास्टिक लगा कर रहने को मजबूर है. कोई मिलने जाता है तो पूरा परिवार फुट-फुट कर रोने लगता है. परिवार के मुखिया सुग्रीव बताते है कि मजदूरी मिलती है तो उसी से परिवार का गुजारा होता है. जिस दिन मजदूरी नहीं मिलती, उस दिन खाने की भी समस्या हो जाती है. परिवार का पालन पोषण नहीं कर पाता तो मकान कैसे बनाएं.
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पांच बच्चों को लेकर प्लास्टिक की झोपड़ी में दि गुजार रहे हैं. PM आवास मिल जाता तो बहुत अच्छा होता. पेट काट कर अपने पांच बच्चों को शिक्षा दिला रहे हैं. मकान के लिए पीएम आवास का इंतेजार है. अधिकारी पंचायत चुनाव के बाद आवास देने की बात कर रहे है.-मजदूर की पत्नी
गांव के जिन लोगों पैसे दिए, उनका पीएम आवास बन गया पर यह परिवार गरीब है. पैसे नहीं दिए जिससे आवास नहीं बन पाया. ग्रामीण बताते हैं कि चार दिन पहले गैस पर खाना बनाने के दौरान आग लग गई जिससे इनकी झोपड़ी जल गई. अंचल से लोग आए थे पर अभी तक मुआवजा नहीं मिला- वार्ड सदस्य
अब सवाल है कि जरूरत मंद लोगों की जांच कर सूची क्यों नहीं बनती. जिसे जरूरत है उसे पीएम आवास नहीं मिलता, जिससे जरूरत नहीं है उसे पैसे लेकर दे आवास दिया जाता है. अब जांच का विषय है कि आखिर इस परिवार का बीपीएल में नाम होने और आवास सूची में नाम आने के बाद पीएम आवास का लाभ क्यों नहीं दिया गया.