जहानाबाद: जिले में मैनचेस्टर के नाम से चर्चित मोहनपुर गांव को एक तारणहार की जरूरत है. लॉकडाउन में दूसरे प्रदेशों से वापस घर लौटे बुनकर फिर से अपने पुश्तैनी धंधे की ओर लौटना चाहते हैं. कोरोना वायरस को लेकर लगे लॉकडाउन में काम धंधे बंद हो जाने से ये कारीगर अपने गांव लौटे हैं और बेरोजगार हो गए हैं. कारीगरों का कहना है कि अगर सरकार मदद करती है, कच्चा माल और लूम लगाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर देती है तो एक बार फिर से वे अपना पुश्तैनी धंधा शुरू कर सकते हैं.
कारीगरों को सरकारी मदद की दरकार
जहानाबाद मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूरी पर स्थित 100 घरों की आबादी वाले मोहनपुर गांव में एक दशक पहले तक सभी घरों में हैंडलूम पर कपड़े की बुनाई की आवाज सुनाई देती थी. कभी बिजली की कमी तो कभी बाजार ना रहने की वजह से गांव के ज्यादातर लोगों ने कपड़ा बुनने ने बदले मजदूरी करना बेहतर समझा और गांव से पलायन कर दूसरे प्रदेशों में जाकर मजदूरी करने लगे. मोहनपुर गांव से पलायन कर बड़ी संख्या में कारीगर गया के मानपुर, भागलपुर यहां तक कि महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों पर अपने पुश्तैनी धंधे में ही मजदूरी कर रहे थे. कारीगरों को सरकारी मदद की दरकार है ताकि वे एकबार फिर से अपने राज्य में रहकर ही सूती वस्त्रों का उत्पादन शुरू कर सकें.
डीएम ने दिया मदद का भरोसा
वहीं पूरे मामले में डीएम नवीन कुमार ने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इंकार किया. हालांकि उन्होंने मदद का भरोसा दिया. डीएम ने कहा कि गांव में एक टीम भेजी जा रही है. ये टीम दोबारा इस काम को शुरू करने वालों का सर्वे करेगी. सर्वे में सामने आई रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन घर लौटे सभी लोगों को उनकी जरूरत के हिसाब से रोजगार मुहैया कराएगा.