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जहानाबाद: श्रीकृष्ण गौशाला में हृदयविदारक स्थिति में गोवंश, पशुओं की आंखे तलाश रही तारणहार - गौशाला के मैनेजर

यह गौशाला सरकारी अनुदान और लोगों के चंदे से चल रहा है. लेकिन पर्याप्त फंड नहीं होने के वजह से आए दिन पशुओं की मौत हो रही है. जमीन पर पड़े बीमार पशुओं से गौशाला की स्थिति हृदयविदारक हो गई है.

श्रीकृष्ण गौशाला  जहानाबाद
श्रीकृष्ण गौशाला जहानाबाद
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Published : Dec 30, 2019, 3:32 PM IST

जहानाबाद: प्रदेश की सरकार सूबे में संचालित सभी गौशालाओं की बेहतरी का दावा करती है, लेकिन जिले में पिछले 100 सालो से चल रहे श्रीकृष्ण गौशाला के हालात तमाम सरकारी दावों को एक ही पल में धराशायी कर देती है.

1906 में बने इस गौशाला में पिछले एक महिने मे लगभग 2 दर्जन से अधिक गायों की मौत हो चुकी है. इन दिनों बिहार में ठंड अपने शबाब पर है, ऐसे में खुले में रह रहे इन गोवंशों पर प्रकृतिक आफत आ पड़ी है. जिस वजह से गौशाला में कई गायों की मौत हो चुकी है.

चंदे की राशी से चलता है गौशाला- सचिव गौशाला
इस बाबत जब ईटीवी भारत संवाददाता ने गौशाला के सचिव प्रकाश मिश्रा ने बताया कि यह गौशाला पिछले 100 साल से चल रही है. गौशाला कर्मी आस-पास से चंदा जमा कर लाते है. जिससे यह गौशाला संचालित होती है. यहां कई गायों को गंभीर बीमारियां है. जिससे दुसरे गायों मे संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है. कुछ महिने पहले यहां पर 100 से अधिक की संख्या में गोवंश थी, लेकिन वर्तमान समय मे मात्र 70 गोवंश बचा हुआ है. कई गायों की स्थिती अभी भी काफी चिंताजनक बना हुआ है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट
'सरकार से लगाई गुहार'गौशाला के सचिव प्रकाश मिश्रा ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि गौशाला में आने वाले सरकारी फंड का इस्तेमाल बॉन्ड्री वाल और अन्य सुविधाओं को बनाने में ही खर्च हो जाता है. पशुओं के लिए चारा का व्यवस्था सबस अहम मुद्दा है. कभी-कभी चंदा का राशी जमा नहीं हो पाती है, जिस वजह से पशुओं को भुखा भी रहना पड़ता है. उन्होंने जिला प्रशासन से इस मामले पर गुहार लगाते हुए पशुओं के लिए चारा का इंतजाम करने करने की बात कही.
श्रीकृष्ण गौशाला जहानाबाद
श्रीकृष्ण गौशाला जहानाबाद

'इलाज के अभाव में मर रहे पशु'
इस मामले पर गौशाला के मैनेजर रमेश बताते है कि फंड की काफी कमी है, चंदा राशी से पशुओं का चारा का भी इंतजाम नहीं हो पाता है, ऐसे में उनके बिमार पड़ने पर पशुओं का इलाज काफी मुश्किल हो जाता है. वहीं, गोवंशों का इलाज करने आए प्राइवेट डॉक्टर ने बताया कि कि इन दिनों ठंड काफी पड़ रही है. ऐसे में जानवरों को सही से देखभाल नहीं हो पाने की वजह से गौशाला में पशुओं की लगातार मौत हो रही है.

पशुओं की आंखे तलाश रही तारणहार
गौरतलब है कि बीमार और लाचार पशुओं की सेवा के लिए शहर के गोरक्षणी मंदिर के पास साल 1906 में खेसाड़ी महाराज ने श्रीकृष्ण गौशाला की स्थापना की थी. यह लगभग 2 एकड़ में फैला हुआ है. इसके संचालन के लिए गौशाला एक्ट भी बना हुआ है. फिलहाल यह गौशाला सरकारी अनुदान और लोगों के चंदे से चल रहा है. लेकिन पर्याप्त फंड नहीं होने के वजह से आए दिन पशुओं की मौत हो रही है. जमीन पर पड़े बीमार पशुओं से गौशाला की स्थिति हृदयविदारक हो गई है. चारा के अभाव में पशुओं को कई दिनों तक भुखा भी रहना पड़ता है. ऐसे में गौशाला में बंधे पशुओं को देखकर ऐसा लगता है मानो जैसे उनकी आंखें किसी तारणहार की तलाश कर रही हो.

जहानाबाद: प्रदेश की सरकार सूबे में संचालित सभी गौशालाओं की बेहतरी का दावा करती है, लेकिन जिले में पिछले 100 सालो से चल रहे श्रीकृष्ण गौशाला के हालात तमाम सरकारी दावों को एक ही पल में धराशायी कर देती है.

1906 में बने इस गौशाला में पिछले एक महिने मे लगभग 2 दर्जन से अधिक गायों की मौत हो चुकी है. इन दिनों बिहार में ठंड अपने शबाब पर है, ऐसे में खुले में रह रहे इन गोवंशों पर प्रकृतिक आफत आ पड़ी है. जिस वजह से गौशाला में कई गायों की मौत हो चुकी है.

चंदे की राशी से चलता है गौशाला- सचिव गौशाला
इस बाबत जब ईटीवी भारत संवाददाता ने गौशाला के सचिव प्रकाश मिश्रा ने बताया कि यह गौशाला पिछले 100 साल से चल रही है. गौशाला कर्मी आस-पास से चंदा जमा कर लाते है. जिससे यह गौशाला संचालित होती है. यहां कई गायों को गंभीर बीमारियां है. जिससे दुसरे गायों मे संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है. कुछ महिने पहले यहां पर 100 से अधिक की संख्या में गोवंश थी, लेकिन वर्तमान समय मे मात्र 70 गोवंश बचा हुआ है. कई गायों की स्थिती अभी भी काफी चिंताजनक बना हुआ है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट
'सरकार से लगाई गुहार'गौशाला के सचिव प्रकाश मिश्रा ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि गौशाला में आने वाले सरकारी फंड का इस्तेमाल बॉन्ड्री वाल और अन्य सुविधाओं को बनाने में ही खर्च हो जाता है. पशुओं के लिए चारा का व्यवस्था सबस अहम मुद्दा है. कभी-कभी चंदा का राशी जमा नहीं हो पाती है, जिस वजह से पशुओं को भुखा भी रहना पड़ता है. उन्होंने जिला प्रशासन से इस मामले पर गुहार लगाते हुए पशुओं के लिए चारा का इंतजाम करने करने की बात कही.
श्रीकृष्ण गौशाला जहानाबाद
श्रीकृष्ण गौशाला जहानाबाद

'इलाज के अभाव में मर रहे पशु'
इस मामले पर गौशाला के मैनेजर रमेश बताते है कि फंड की काफी कमी है, चंदा राशी से पशुओं का चारा का भी इंतजाम नहीं हो पाता है, ऐसे में उनके बिमार पड़ने पर पशुओं का इलाज काफी मुश्किल हो जाता है. वहीं, गोवंशों का इलाज करने आए प्राइवेट डॉक्टर ने बताया कि कि इन दिनों ठंड काफी पड़ रही है. ऐसे में जानवरों को सही से देखभाल नहीं हो पाने की वजह से गौशाला में पशुओं की लगातार मौत हो रही है.

पशुओं की आंखे तलाश रही तारणहार
गौरतलब है कि बीमार और लाचार पशुओं की सेवा के लिए शहर के गोरक्षणी मंदिर के पास साल 1906 में खेसाड़ी महाराज ने श्रीकृष्ण गौशाला की स्थापना की थी. यह लगभग 2 एकड़ में फैला हुआ है. इसके संचालन के लिए गौशाला एक्ट भी बना हुआ है. फिलहाल यह गौशाला सरकारी अनुदान और लोगों के चंदे से चल रहा है. लेकिन पर्याप्त फंड नहीं होने के वजह से आए दिन पशुओं की मौत हो रही है. जमीन पर पड़े बीमार पशुओं से गौशाला की स्थिति हृदयविदारक हो गई है. चारा के अभाव में पशुओं को कई दिनों तक भुखा भी रहना पड़ता है. ऐसे में गौशाला में बंधे पशुओं को देखकर ऐसा लगता है मानो जैसे उनकी आंखें किसी तारणहार की तलाश कर रही हो.

Intro:राज सरकार की सभी गौशालाओं को बेहतर रखरखाव दावा करती है पर पिछले 100 वर्ष पूर्व संचालित जहानाबाद में श्री कृष्ण गौशाला सरकारी दावों से अलग है वही जहां एक तरफ ठंड का मार इंसान पर पढ़ ही रहा है दूसरी तरफ गौशाला में रखें पशुओं पर इसका असर काफी हो रहा है पिछले एक माह में दर्जनों गायों की मौत गौशाला में हो चुकी है पर सरकार और जिला प्रशासन इससे बेखबर है


Body:सूबे में इन दिनों ठंड का असर काफी है इंसान तो परेशान है ही साथ ही जानवरों का भी परेशान होना लाजमी है जहानाबाद श्री कृष्ण गौशाला में शीतलहर और मौसमी बीमारी की वजह से पिछले 15 दिनों में 1 दर्जन से अधिक गायों की मौत हो चुकी है जहानाबाद और बगल के जिला अरवल मिलाकर एक मात्र श्री कृष्ण गौशाला है जहां पर जानवरों को रखा जाता है पर यह गौशाला कब्रगाह के रूप में तब्दील होते जा रहा है इसका बड़ी वजह है कि ठंड और मौसमी बीमारी के अलावा चारे की कमी भी एक बड़ी वजह है जिसे गायों की मौत हो रही है गौशाला में कार्य कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि यहां मौजूद कई गायों में बीमारियां फैली हुई है जिसे दूसरे गायों को भी डर बना रहता है उन्हें भी बीमारी फैल ना जाए । श्री कृष्ण गौशाला में कुछ माह पहले तक 100 से अधिक गोवंश की संख्या थी पर ठंड और मौसमी बीमारी ने ऐसा कहर मचाया कि अब कुल 70 गाय ही बची है अभी भी कुछ गायों की स्थिति काफी खराब है और कभी भी उनकी भी मौत हो जाएगी इसी देखने से ही पता चलता है


Conclusion:वही बताते चलें कि गौशाला के सचिव प्रकाश मिश्रा ने कहा कि इस गोशाला में सेठ की कमी है फंड की कमी है और कर्मचारियों की भी कमी है जिससे गौशाला में आए दिन नए नए तरीके से परेशानियां का सामना करना पड़ता है सरकारी सुविधाओं से जो फंड आया था वह बॉन्ड्री और सेट बनाने में ही खर्च हो गया पशुओं के लिए जो अनाजे हैं वह नहीं आ पाता है फंड की कमी के वजह से आपस में हम लोग इकट्ठा करके ही पशुओं का चारा व्यवस्था करवा पाते हैं गौशाला के रखरखाव करने वाली श्रीकांत दिन बताया कि गौशाला की आर्थिक स्थिति के कारण उनका मानदेय भी 4 से 5 मिनट तक बाकी रहता है और गायों की जो मौत होती है वह खुले आसमान के नीचे रहने की वजह से हफ्ते में काफी ठंड पड़ रहा है सैड की कमी है सभी गायों को सैड के नीचे नहीं रख पाते हैं वही मैनेजर रमेश ने बताया कि फंड की काफी कमी है चंदा इकट्ठा करके हम लोग को साला को चला पा रहे हैं वह भी सही रूप से नहीं मिल पाता है गोवंश का इलाज करने वाले प्राइवेट डॉक्टर ने कहा कि इन दिनों ठंड काफी पड़ रहा है जिससे गायों की मौत हो हो जा रही है समय पर तो हम सभी इलाज कर ही रहे हैं खैर जो भी हो सूबे के सरकार के दावा रख रखाव बेहतर तरीके से हो रहा है करने वाला श्री कृष्ण गौशाला का हालात देखकर ही पता चल पाता है इस तरह का सरकार के दावे सही साबित हो रहा है या गलत
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