जहानाबाद: प्रदेश की सरकार सूबे में संचालित सभी गौशालाओं की बेहतरी का दावा करती है, लेकिन जिले में पिछले 100 सालो से चल रहे श्रीकृष्ण गौशाला के हालात तमाम सरकारी दावों को एक ही पल में धराशायी कर देती है.
1906 में बने इस गौशाला में पिछले एक महिने मे लगभग 2 दर्जन से अधिक गायों की मौत हो चुकी है. इन दिनों बिहार में ठंड अपने शबाब पर है, ऐसे में खुले में रह रहे इन गोवंशों पर प्रकृतिक आफत आ पड़ी है. जिस वजह से गौशाला में कई गायों की मौत हो चुकी है.
चंदे की राशी से चलता है गौशाला- सचिव गौशाला
इस बाबत जब ईटीवी भारत संवाददाता ने गौशाला के सचिव प्रकाश मिश्रा ने बताया कि यह गौशाला पिछले 100 साल से चल रही है. गौशाला कर्मी आस-पास से चंदा जमा कर लाते है. जिससे यह गौशाला संचालित होती है. यहां कई गायों को गंभीर बीमारियां है. जिससे दुसरे गायों मे संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है. कुछ महिने पहले यहां पर 100 से अधिक की संख्या में गोवंश थी, लेकिन वर्तमान समय मे मात्र 70 गोवंश बचा हुआ है. कई गायों की स्थिती अभी भी काफी चिंताजनक बना हुआ है.
'इलाज के अभाव में मर रहे पशु'
इस मामले पर गौशाला के मैनेजर रमेश बताते है कि फंड की काफी कमी है, चंदा राशी से पशुओं का चारा का भी इंतजाम नहीं हो पाता है, ऐसे में उनके बिमार पड़ने पर पशुओं का इलाज काफी मुश्किल हो जाता है. वहीं, गोवंशों का इलाज करने आए प्राइवेट डॉक्टर ने बताया कि कि इन दिनों ठंड काफी पड़ रही है. ऐसे में जानवरों को सही से देखभाल नहीं हो पाने की वजह से गौशाला में पशुओं की लगातार मौत हो रही है.
पशुओं की आंखे तलाश रही तारणहार
गौरतलब है कि बीमार और लाचार पशुओं की सेवा के लिए शहर के गोरक्षणी मंदिर के पास साल 1906 में खेसाड़ी महाराज ने श्रीकृष्ण गौशाला की स्थापना की थी. यह लगभग 2 एकड़ में फैला हुआ है. इसके संचालन के लिए गौशाला एक्ट भी बना हुआ है. फिलहाल यह गौशाला सरकारी अनुदान और लोगों के चंदे से चल रहा है. लेकिन पर्याप्त फंड नहीं होने के वजह से आए दिन पशुओं की मौत हो रही है. जमीन पर पड़े बीमार पशुओं से गौशाला की स्थिति हृदयविदारक हो गई है. चारा के अभाव में पशुओं को कई दिनों तक भुखा भी रहना पड़ता है. ऐसे में गौशाला में बंधे पशुओं को देखकर ऐसा लगता है मानो जैसे उनकी आंखें किसी तारणहार की तलाश कर रही हो.