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दोबारा खुल सकती है जहानाबाद की चमड़ा फैक्ट्री, DM ने दिया आश्वासन - Jehanabad leather factory may open again

सरकार प्रवासी मजदूर को रोजगार देने के लिए उद्योग शुरू करने की बात कर रही है. जहानाबाद में बंद पड़ी चमड़ा फैक्ट्री सरकार और जिला प्रशासन की पहल पर चालू करवा दी जाए तो सैकड़ों मजदूरों को रोजगार मिल सकता है.

चमड़ा फैक्ट्री
चमड़ा फैक्ट्री
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Published : May 28, 2020, 12:13 PM IST

जहानाबादः पूरे देश में कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन जारी है. ऐसे में दूसरे राज्य में काम कर रहे मजदूरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. काम नहीं मिलने के कारण मजदूर अपने गांव लौट चुके हैं और बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं. सरकार ने इन्हें रोजगार देने का वादा किया है. जिला प्रशासन भी बेरोजगारों के रोजगार देने के लिए हर मुमकिन कोशिश में लगी है.

दोबारा खुल सकती है चमड़ा फैक्ट्री
सरकार के निर्देश के आलोक में जिला प्रशासन मजदूरों को रोजगार देने कि कोशिश में लगा है. प्रशासन स्थानीय उद्योगकर्मी को उद्योग शुरू करने के लिए जागरूक कर रहा है. जिससे मजदूरों को रोजगार मिल सके. ऐसे में जिला प्रशासन कई सालों से बंद पड़ी चमड़ा फैक्ट्री को शुरू करवाने का प्रयास कर रहा है. जिससे सैकड़ों मजदूरों को रोजगार मिल जाएगा.

बंद पड़ी पैक्ट्री का भवन
बंद पड़ी पैक्ट्री का भवन

28 सालों से बंद है ये फैक्ट्री
जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर स्थित निजामुद्दीनपुर में रोजगार मुहैया कराने वाला एकमात्र टेनरी उद्योग सरकारी उदासीनता के कारण पिछले 28 सालों से बंद पड़ा है. राष्ट्रीय मार्ग संख्या 110 पर युवकों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से चमड़ा फैक्ट्री की स्थापना हुई थी. 1985 में तत्कालीन उद्योग मंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह ने इसका उद्घाटन किया था.

घने जंगलों से घिरी फैक्ट्री
घने जंगलों से घिरी फैक्ट्री

1992 में सरकारी उदासीनता के कारण हुई बंद
उद्घाटन के बाद इस फैक्ट्री में चमड़ा से जूता-चप्पल बेल्ट और पर्स भी बनाए जाते थे. लेकिन 1992 में सरकार की उदासीनता के कारण ये फैक्ट्री बंद हो गई. जिसके बाद इस फैक्ट्री में काम करने वाले युवकों को बेरोजगार होना पड़ा. हालात अब यह है कि फैक्ट्री पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुकी है. एक घने जंगल में इसका भवन वीरान पड़ा हुआ है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सैकड़ों बेरोजगार युवकों को मिला था रोजगार
जब इस फैक्ट्री की शुरुआत हुई थी तो जिले के सैकड़ों बेरोजगार युवकों को रोजगार मिला था. फैक्ट्री बंद होने के बाद बेरोजगारी शुरू हो गई. जो स्थानीय लोग थे वो दूसरे राज्यों में जाकर अपना रोजी-रोटी कमाने लगे. लेकिन जब से देश में लॉकडाउन लगा है, सभी कंपनियां बंद हो गई हैं. सभी मजदूर बेरोजगार हो गए और अब अपने गांव लौट चुके हैं. जिन्हें काफी परेशानियां हो रही हैं.

ये भी पढ़ेंः पटना: नालों के निर्माण और सफाई के लिये प्रेमचंद रंगशाला की बाउंड्री तोड़ने के लिये मिला NOC

'फैक्ट्री को खुलवाने की हो रही बात'
वहीं, सरकार प्रवासी मजदूर को रोजगार देने के लिए उद्योग बैठाने की बात कर रही है. जिले में बंद पड़ी चमड़ा फैक्ट्री सरकार और जिला प्रशासन की पहल पर चालू करवा दी जाए तो सैकड़ों मजदूरों को रोजगार मिल सकता है. इस संबंध में जिलाधिकारी नवीन कुमार ने कहा कि इस फैक्ट्री को भी शुरू करवाने की बात कही गई है.

जहानाबादः पूरे देश में कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन जारी है. ऐसे में दूसरे राज्य में काम कर रहे मजदूरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. काम नहीं मिलने के कारण मजदूर अपने गांव लौट चुके हैं और बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं. सरकार ने इन्हें रोजगार देने का वादा किया है. जिला प्रशासन भी बेरोजगारों के रोजगार देने के लिए हर मुमकिन कोशिश में लगी है.

दोबारा खुल सकती है चमड़ा फैक्ट्री
सरकार के निर्देश के आलोक में जिला प्रशासन मजदूरों को रोजगार देने कि कोशिश में लगा है. प्रशासन स्थानीय उद्योगकर्मी को उद्योग शुरू करने के लिए जागरूक कर रहा है. जिससे मजदूरों को रोजगार मिल सके. ऐसे में जिला प्रशासन कई सालों से बंद पड़ी चमड़ा फैक्ट्री को शुरू करवाने का प्रयास कर रहा है. जिससे सैकड़ों मजदूरों को रोजगार मिल जाएगा.

बंद पड़ी पैक्ट्री का भवन
बंद पड़ी पैक्ट्री का भवन

28 सालों से बंद है ये फैक्ट्री
जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर स्थित निजामुद्दीनपुर में रोजगार मुहैया कराने वाला एकमात्र टेनरी उद्योग सरकारी उदासीनता के कारण पिछले 28 सालों से बंद पड़ा है. राष्ट्रीय मार्ग संख्या 110 पर युवकों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से चमड़ा फैक्ट्री की स्थापना हुई थी. 1985 में तत्कालीन उद्योग मंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह ने इसका उद्घाटन किया था.

घने जंगलों से घिरी फैक्ट्री
घने जंगलों से घिरी फैक्ट्री

1992 में सरकारी उदासीनता के कारण हुई बंद
उद्घाटन के बाद इस फैक्ट्री में चमड़ा से जूता-चप्पल बेल्ट और पर्स भी बनाए जाते थे. लेकिन 1992 में सरकार की उदासीनता के कारण ये फैक्ट्री बंद हो गई. जिसके बाद इस फैक्ट्री में काम करने वाले युवकों को बेरोजगार होना पड़ा. हालात अब यह है कि फैक्ट्री पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुकी है. एक घने जंगल में इसका भवन वीरान पड़ा हुआ है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सैकड़ों बेरोजगार युवकों को मिला था रोजगार
जब इस फैक्ट्री की शुरुआत हुई थी तो जिले के सैकड़ों बेरोजगार युवकों को रोजगार मिला था. फैक्ट्री बंद होने के बाद बेरोजगारी शुरू हो गई. जो स्थानीय लोग थे वो दूसरे राज्यों में जाकर अपना रोजी-रोटी कमाने लगे. लेकिन जब से देश में लॉकडाउन लगा है, सभी कंपनियां बंद हो गई हैं. सभी मजदूर बेरोजगार हो गए और अब अपने गांव लौट चुके हैं. जिन्हें काफी परेशानियां हो रही हैं.

ये भी पढ़ेंः पटना: नालों के निर्माण और सफाई के लिये प्रेमचंद रंगशाला की बाउंड्री तोड़ने के लिये मिला NOC

'फैक्ट्री को खुलवाने की हो रही बात'
वहीं, सरकार प्रवासी मजदूर को रोजगार देने के लिए उद्योग बैठाने की बात कर रही है. जिले में बंद पड़ी चमड़ा फैक्ट्री सरकार और जिला प्रशासन की पहल पर चालू करवा दी जाए तो सैकड़ों मजदूरों को रोजगार मिल सकता है. इस संबंध में जिलाधिकारी नवीन कुमार ने कहा कि इस फैक्ट्री को भी शुरू करवाने की बात कही गई है.

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