जमुई : बिहार के जमुई में तय कार्यक्रम के अनुसार बुधवार को सीएम नीतीश कुमार सोनो-चरका पत्थर मार्ग स्थित बरनार नदी पर बने सोनो चुरहैत काॅजवे का निरीक्षण करने पहुंचे. उन्होंने क्षतिग्रस्त हिस्से का निरीक्षण किया और उसे अविलंब दुरुस्त करने का निर्देश दिया. इस दौरान उनके साथ चकाई विधायक और बिहार सरकार में मंत्री सुमित कुमार सिंह भी मौजूद थे. निरीक्षण के बाद मुख्यमंत्री रवाना हो गए, लेकिन मंत्री सुमित सिंह को स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा.
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जमकर लगे नीतीश कुमार मुर्दाबाद के नारे : स्थानीय लोग मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल से काफी दूर, सुरक्षा घेरे से भी बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. लोगों ने नीतीश कुमार मुर्दाबाद का जमकर नारा लगाया. लोगों का कहना था कि सिर्फ 10 मिनट में उन्होंने कौन सा निरीक्षण कर लिया. पुल टूटने के इतने दिनों बाद इन्हें इसे बनवाने की याद आई. पहले इसकी मरम्मत का काम शुरू कर देते, फिर आकर निरीक्षण करते. साथ ही लोगों में यह भी आक्रोश था कि उन्हें मुख्यमंत्री से क्यों नहीं मिलने दिया गया. लोग अपनी समस्या सीएम से गिनवाना चाहते थे.
"पहले काम लगवाते तब निरीक्षण करने आते. हमलोगों को पुल टूट जाने के कारण काफी परेशानी हो रही है. पुल टूटने से पहले कई बार इसकी शिकायत की गई कि बालू लदे भारी वाहनों के कारण यह क्षतिग्रस्त हो रहा है, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया. अब यहां 10 मिनट के लिए और इधर-उधर निर्देश देकर चले गए. उससे क्या हो जाएगा".- दीपेश कुमार, ग्रामीण
लोगों ने प्रशासनिक उदासीनता का लगाया आरोप : स्थानीय लोगों का सीधा आरोप था कि बालू माफिया के कारण सोनो चुरहैत काॅजवे क्षतिग्रस्त हुआ है. इसकी शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई. विरोध प्रदर्शन के दौरान सीएम नीतीश कुमार के साथ ही बालू माफिया मुर्दाबाद जैसे नारे भी लगाए गए. लोगों को इस बात का काफी रोष था कि मुख्यमंत्री या फिर स्थानीय मंत्री सुमित कुमार किसी ने भी स्थानीय लोगों को आश्वासन तक नहीं दिया कि पुल जल्द बन जाएगा या फिर क्या होगा.
मंत्री सुमित कुमार सिंह को झेलनी पड़ी फजीहत : मुख्यमंत्री के जाने के बाद विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने मंत्री सुमित कुमार सिंह की गाड़ी को घेर लिया और जमकर नारेबाजी की. काफी मशक्कत के बाद सुरक्षाकर्मियों और पुलिस प्रशासन ने भीड़ के बीच से रास्ता दिलवाकर वाहनों के काफिले को आगे निकाला. इस दौरान जब मंत्री सुमित कुमार सिंह से विरोध प्रदर्शन के बारे पूछा गया तो उन्होंने सामान्य सी प्रतिक्रिया दी और कहा "मुझे नहीं पता कहां क्या हो रहा है और ऐसा प्रदर्शन होता रहता है".
बालू माफियाओं के खिलाफ लोगों में आक्रोश : लोगों का कहना था कि जिस समय नदी से बालू का उठाव हो रहा था, उस समय अगर मानक के अनुसार बालू का उठाव होता तो पुल की दशा आज ऐसी नहीं होती. सिर्फ अवैध उगाही के कारण क्षमता से अधिक बालू उठाव के कारण ओवरलोड वाहनों की आवाजाही से पुल के 11 पिलर धंस गए हैं. इससे आसपास के गांव के लोगों को बाहर बाजार, अस्पताल व अन्य जरूरी काम से आवाजाही में काफी परेशानी होती है.