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जमुई: दो नक्सली कमांडर ने पुलिस के सामने किया आत्मसमर्पण

जिले में भाकपा माओवादी संगठन के दो बड़े नक्सली कमांडरों ने एसपी अभियान के समक्ष बरहट प्रखंड के जंगलों में आत्मसमर्पण कर दिया है. इस मामले को लेकर बताया जा रहा है कि 2010 में लखीसराय जिले के कजरा जंगल में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई थी. इस दौरान 6 जवान शहीद हो गए थे.

two naxalite commanders surrender to police
दो नक्सली कमांडर ने किया आत्मसमर्पण
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Published : Sep 4, 2020, 12:47 PM IST

जमुई: जिले में भाकपा माओवादी संगठन के दो बड़े नक्सली कमांडरों ने एसपी अभियान के समक्ष बरहट प्रखंड के जंगलों में आत्मसमर्पण कर दिया है. वहीं आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली कमांडर अनिल कोड़ा और महिला नक्सली कमांडर गुड़िया कोड़ा है, जो 2013-14 से ही नक्सली संगठन में सक्रिय थी. दोनों नक्सली जिले के बरहट थाना अंतर्गत जमुई लखीसराय मुंगेर सीमा रेखा से सटे कुमरतरी जंगल के रहने वाले बताए जा रहे हैं.

पुलिस और नक्सिलियों के बीच मुठभेड़
2010 में लखीसराय जिले के कजरा जंगल में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई थी. इस दौरान 6 से अधिक सुरक्षा बल शहीद हो गए थे. रूपेश सिंह, अभय यादव, लुकस टेटे नामक पुलिसकर्मियों का नक्सलियों ने अगवा कर लिया था. इसके बाद में लुकस टेटे की निर्मम तरीके से हत्या कर उसके शव को हनुमान डैम के समीप फेंक दिया गया था.

लंबे अरसे से पुलिस को तलाश
इसमें इन दोनों नक्सलियों का अहम योगदान था. इसके साथ ही कई नक्सली वारदात में पुलिस को लंबे अरसे से इसकी तलाश थी. इस पर बीते कुछ वर्ष पहले कुमरतरी गांव के निर्दोष लोगों पर नक्सली संगठनों ने हमला किए जाने से नाराज चल रहा था. इसको लेकर दोनों नक्सलियों ने अपने हथियार नक्सली संगठन के शीर्ष नेता को सौंपकर दूसरी राज व्यवसाय के लिए चले गए थे.

जमुई: जिले में भाकपा माओवादी संगठन के दो बड़े नक्सली कमांडरों ने एसपी अभियान के समक्ष बरहट प्रखंड के जंगलों में आत्मसमर्पण कर दिया है. वहीं आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली कमांडर अनिल कोड़ा और महिला नक्सली कमांडर गुड़िया कोड़ा है, जो 2013-14 से ही नक्सली संगठन में सक्रिय थी. दोनों नक्सली जिले के बरहट थाना अंतर्गत जमुई लखीसराय मुंगेर सीमा रेखा से सटे कुमरतरी जंगल के रहने वाले बताए जा रहे हैं.

पुलिस और नक्सिलियों के बीच मुठभेड़
2010 में लखीसराय जिले के कजरा जंगल में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई थी. इस दौरान 6 से अधिक सुरक्षा बल शहीद हो गए थे. रूपेश सिंह, अभय यादव, लुकस टेटे नामक पुलिसकर्मियों का नक्सलियों ने अगवा कर लिया था. इसके बाद में लुकस टेटे की निर्मम तरीके से हत्या कर उसके शव को हनुमान डैम के समीप फेंक दिया गया था.

लंबे अरसे से पुलिस को तलाश
इसमें इन दोनों नक्सलियों का अहम योगदान था. इसके साथ ही कई नक्सली वारदात में पुलिस को लंबे अरसे से इसकी तलाश थी. इस पर बीते कुछ वर्ष पहले कुमरतरी गांव के निर्दोष लोगों पर नक्सली संगठनों ने हमला किए जाने से नाराज चल रहा था. इसको लेकर दोनों नक्सलियों ने अपने हथियार नक्सली संगठन के शीर्ष नेता को सौंपकर दूसरी राज व्यवसाय के लिए चले गए थे.

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