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युवाओं की टीम ने बदला शिक्षा का पैटर्न, संथाली भाषा में मोबाइल से पढ़ाई कर रहे आदिवासी बच्चे - प्रदान

बच्चों को संथाली और हिंदी में मोबाइल के जरिये पढ़ाई करवाने के लिए 30 युवाओं की टीम काम कर रही है. यह टीम चिरागवानी नामक एक IVRS चैनल के माध्यम से चकाई के ग्रामीण इलाकों के आदिवासी बच्चों तक शिक्षा की लौ पहुंचा रही है. खास बात है साधारण मोबाइल के माध्यम से नि:शुल्क पढ़ाई करवाई जाती है.

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Published : Jun 2, 2020, 5:41 PM IST

जमुईः लॉकडाउन ने शिक्षा के पुराने पैटर्न को बदल कर रख दिया है. पूरे राज्य में नई तकनीक के सहारे शहरी क्षेत्रों के युवा पढ़ाई कर रहे हैं. ग्रामीण इलाकें में इसका असर दिख रहा है. वहीं, जिले के चकाई क्षेत्र के आदिवासी युवाओं ने कोरोना संक्रमण के दौरान एक नई पहल की है. जिसमें आदिवासी गांव के बच्चों को संथाली भाषा में शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं. घर बैठे बच्चे मिस कॉल के जरिये साधारण मोबाइल फोन से पढ़ाई कर रहे हैं.

संथाली भाषा में घर बैठे पढ़ाई की मुहिम की शुरुआत 'लाहन्ति क्लब' की तरफ से की गई है. लॉकडाउन में स्कूल बंद रहने के दौरान क्लब के युवा वालंटियर विभिन्न विषय के ऊपर गाने और कहानियों के जरिए शिक्षा मूलक ऑडियो की रिकॉर्ड कर रहे हैं. जिसे चिरागवानी नामक एक IVRS चैनल के माध्यम से चकाई के ग्रामीण इलाकों के आदिवासी बच्चों तक पहुंचा रहे हैं.

jamui
फोन से पढ़ाई करते बच्चे

ऑडियो फॉर्मेट में मिल रही जानकारी
यह सुविधा हिंदी और संथाली दोनों भाषा में उपलब्ध है. चिरागवानी के 9278702369 नंबर पर मिस कॉल करते ही वापस कॉल आता है. जिसमें 00 दबाकर संथाली चैनल में इंट्री होती है. इस दौरान शिक्षा संबंधित ऑडियो सम्पूर्ण निःशुल्क सुना जा सकता है. बता दें कि इसमें शिक्षा, पोषण संबंधित जानकारी और कोरोना महामारी से बचाव को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी 24 घंटे उपलब्ध है. बच्चों से लेकर बड़े विशेष जानकारी या अपनी समुदाय से जुड़े तथ्य देने के लिए मोबाइल में 3 नंबर दबा कर बोल सकते हैं.

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मोबाइल से जानकारी लेते बच्चे

युवाओं की टोली दे रहे नि:शुल्क सेवा

इस नये सिस्टम को चकाई के ग्रामीण क्षेत्रों में लाने के लिए प्रदान और ग्रामवानी संस्था इन युवाओं को मदद कर रहा है. लाहन्ति क्लब के कुसुम हांसदा, खुश्बू मरांडी, कविता मरांडी, सोनालाल मरांडी, सुमन हंसदा, सिमोन बास्के, मोतीलाल हांसदा सहित 30 युवाओं की टोली चकाई की आदिवासी बच्चों और सभी के लिए ये नि:शुल्क सेवा दे रहे हैं. बता दें कि अब तक 2,993 लोग कॉल कर चुके हैं.

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संथाली भाषा में फोन पर जानकारी लेती बच्चियां

जमुईः लॉकडाउन ने शिक्षा के पुराने पैटर्न को बदल कर रख दिया है. पूरे राज्य में नई तकनीक के सहारे शहरी क्षेत्रों के युवा पढ़ाई कर रहे हैं. ग्रामीण इलाकें में इसका असर दिख रहा है. वहीं, जिले के चकाई क्षेत्र के आदिवासी युवाओं ने कोरोना संक्रमण के दौरान एक नई पहल की है. जिसमें आदिवासी गांव के बच्चों को संथाली भाषा में शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं. घर बैठे बच्चे मिस कॉल के जरिये साधारण मोबाइल फोन से पढ़ाई कर रहे हैं.

संथाली भाषा में घर बैठे पढ़ाई की मुहिम की शुरुआत 'लाहन्ति क्लब' की तरफ से की गई है. लॉकडाउन में स्कूल बंद रहने के दौरान क्लब के युवा वालंटियर विभिन्न विषय के ऊपर गाने और कहानियों के जरिए शिक्षा मूलक ऑडियो की रिकॉर्ड कर रहे हैं. जिसे चिरागवानी नामक एक IVRS चैनल के माध्यम से चकाई के ग्रामीण इलाकों के आदिवासी बच्चों तक पहुंचा रहे हैं.

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फोन से पढ़ाई करते बच्चे

ऑडियो फॉर्मेट में मिल रही जानकारी
यह सुविधा हिंदी और संथाली दोनों भाषा में उपलब्ध है. चिरागवानी के 9278702369 नंबर पर मिस कॉल करते ही वापस कॉल आता है. जिसमें 00 दबाकर संथाली चैनल में इंट्री होती है. इस दौरान शिक्षा संबंधित ऑडियो सम्पूर्ण निःशुल्क सुना जा सकता है. बता दें कि इसमें शिक्षा, पोषण संबंधित जानकारी और कोरोना महामारी से बचाव को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी 24 घंटे उपलब्ध है. बच्चों से लेकर बड़े विशेष जानकारी या अपनी समुदाय से जुड़े तथ्य देने के लिए मोबाइल में 3 नंबर दबा कर बोल सकते हैं.

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मोबाइल से जानकारी लेते बच्चे

युवाओं की टोली दे रहे नि:शुल्क सेवा

इस नये सिस्टम को चकाई के ग्रामीण क्षेत्रों में लाने के लिए प्रदान और ग्रामवानी संस्था इन युवाओं को मदद कर रहा है. लाहन्ति क्लब के कुसुम हांसदा, खुश्बू मरांडी, कविता मरांडी, सोनालाल मरांडी, सुमन हंसदा, सिमोन बास्के, मोतीलाल हांसदा सहित 30 युवाओं की टोली चकाई की आदिवासी बच्चों और सभी के लिए ये नि:शुल्क सेवा दे रहे हैं. बता दें कि अब तक 2,993 लोग कॉल कर चुके हैं.

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संथाली भाषा में फोन पर जानकारी लेती बच्चियां
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